सीमा सुरक्षा बल के समक्ष दरपेश चुनौतियां

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तनवीर जाफ़री

                                             देश के पांच महत्वपूर्ण केंद्रीय अर्ध सैनिक सुरक्षा बलों में सीमा सुरक्षा बल भी एक अति महत्वपूर्ण अर्ध सैन्य संगठन है। इसका मुख्य कार्य पंजाब,राजस्थान,बंगाल,की तरह अनेक मैदानी,दलदली,जंगली व रेगिस्तानी इलाक़ों तथा पूर्वोत्तर के आसाम,मेघालय,त्रिपुरा जैसे अनेक क्षेत्रों के सीमान्त इलाक़ों पर नज़र बनाए रखना,इन इलाक़ों से होने वाली किसी भी संभावित घुसपैठ को रोकना,तस्करी व अवैध सामग्री के आवागमन को रोकना तथा देश की लगती सीमाओं पर सद्भाव बनाए रखना आदि शामिल है। गत एक दिसंबर को सीमा सुरक्षा बल ने अपना 57 वां स्थापना दिवस मनाया। देश की सीमाओं के सजग प्रहरी और मातृभूमि की रक्षा के लिये सर्वोच्च बलिदान देने में पीछे न हटने वाले इस सीमा सुरक्षा बल का गठन 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान एक दिसंबर 1965 को किया गया था। पहले इसका अधिकार व कार्य क्षेत्र सीमा से पंद्रह किलोमीटर के भीतरी क्षेत्रों तक ही था जिसे केंद्र सरकार ने कुछ समय पूर्व बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक कर दिया था। गोया जिस सीमा सुरक्षा बल को सीमा से मात्र पंद्रह किलोमीटर तक अपना कार्य करने का अधिकार था वह अब पचास किलोमीटर तक के क्षेत्र में अपना दख़ल रख सकेगी। यानी एक तरफ़ तो बी एस एफ़ के कार्य क्षेत्र को तीन गुने से अधिक बढ़ाया गया अर्थात उसके कार्य व ज़िम्मेदारियों में इज़ाफ़ा किया गया तो दूसरी ओर साथ ही साथ सीमा सुरक्षा बल की तैनाती वाले सीमान्त राज्यों के कार्य क्षेत्र में दख़ल अंदाज़ी करने का आरोप भी केंद्र सरकार पर लगने लगा। पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने तो एक प्रस्ताव पारित कर सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र 15 किमी से 50 किमी किए जाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गये नोटिफ़िकेशन को ही पंजाब विधानसभा में रद्द कर दिया है। पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखजिंदर रंधावा ने तो यहां तक कहा कि सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र बढ़ाना राज्य और उसकी पुलिस का अपमान है। 

                                                                        इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सीमा सुरक्षा बल के कार्य क्षेत्र का दायरा 15 किमी से 50 किमी किए जाने के सख़्त ख़िलाफ़ हैं। गत दिनों ममता ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की।  इस मुलाक़ात में उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाये जाने और त्रिपुरा हिंसा का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से बी एस एफ़ के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि-'BSF हमारा दुश्मन नहीं है। मैं सभी एजेंसियों की इज़्ज़त करती हूं लेकिन कानून-व्यवस्था, जो राज्य का विषय है इससे उसमें टकराव होता है। ममता बनर्जी ने बताया कि उन्होंने बैठक के दौरान पीएम मोदी से कहा कि संघीय ढांचे को बेवजह छेड़ना ठीक नहीं है। मैं  इलाक़ों पर जबरन किसी को नियंत्रण नहीं करने दूंगी।  इसके बारे में आप चर्चा कीजिए और बीएसएफ़ के क़ानून को वापस लीजिए. बीएसएफ़ और क़ानून-व्यवस्था के बीच संघर्ष होता है।
                                                                      2016-17 के दौरान यही बी एस एफ़ उस समय भी चर्चा में आई थी जबकि इसके एक जवान तेज बहादुर यादव ने सैन्य जवानों को घटिया क़िस्म का खाना दिये जाने का एक वीडीओ सोशल मीडिया पर वायरल किया था। इसके बाद उस जवान को बर्ख़ास्त किया गया। फिर वही जवान 2019 में प्रधानमंत्री के विरुद्ध चुनाव लड़ने वाराणसी की लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी के रूप में भी सुर्खियों में आया। सीमा सुरक्षा बल में बेहतर  'रोटी की जंग' छेड़ने वाले जवान तेज बहादुर को 19 अप्रैल 2017 को सेना से बर्ख़ास्त भी कर दिया गया था। ऐसे में सवाल यह है कि सीमा सुरक्षा बल का कार्य क्षेत्र 15 से 50 किलोमीटर बढ़ा कर राज्यों के कार्य क्षेत्र में दख़ल अंदाज़ी जैसा विवाद खड़ा करना ज़्यादा ज़रूरी है या इसी बी एस एफ़ को और अधिक शक्तिशाली बनाना,सुविधा संपन्न बनाना,जवानों को बेहतर खाना,वर्दी,सीमाओं पर बेहतर रिहाइशी प्रबंध उपलब्ध कराना,आधुनिक शस्त्र व वाहनों से लैस करना तथा आवश्यकतानुसार उनकी संख्या में समय समय पर इज़ाफ़ा करते रहना ?
                                                                 पिछले दिनों मुझे मेघालय के सघन वर्षा क्षेत्र चेरापूंजी जाने का अवसर मिला। यहाँ से लगभग दो घंटे के कार चालन के बाद डोकी नामक पूर्वोत्तर का देश का अंतिम पर्यटन स्थल है। इसी के साथ बांग्लादेश की सीमा आरंभ हो जाती है। जिस दिन मैं पहाड़ी नदी डोकी में नौकायन का आनंद ले रहा था इत्तेफ़ाक़ से वह शुक्रवार का दिन था। इस दिन बांग्लादेश में अवकाश होता है।और लाखों बांग्लादेशी पर्यटक डोंकी नदी में नौकायन व अन्य जल क्रीड़ाओं हेतु इसी सीमावर्ती क्षेत्र में आते हैं। मेघालय क्षेत्र  की भारतीय पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली डोकी नदी मात्र आधा किलोमीटर प्रवाहित होने के बाद मैदानी नदी का रूप धारण करते हुए बांग्लादेश की सरहदों में प्रवेश कर जाती है। विश्वास कीजिये कि लाखों बांग्लादेशी पर्यटकों पर नज़र रखने के लिये,नदी के इन उबड़ खाबड़ पथरीले व रेतीले किनारों पर सीमा सुरक्षा बल के मात्र तीन जवान तैनात हैं। भारी भीड़ में यह जवान दिखाई भी नहीं देते। कई बार यह जवान बांग्लादेशी नागरिकों,फ़ोटोग्राफ़र्स तथा बांग्लादेशी सामग्री बेचने वाले लोगों से बात चीत करते हुए घिरे होते हैं। तेज़ धूप में एक हाथ में शस्त्र और दूसरे हाथ में छतरी लिये जवान किसी भी संभावित घुसपैठ को रोकने के लिये तैनात रहते हैं। डोकी के साथ ही भारत बांग्लादेश के सीमान्त मुख्य द्वार भी हैं। यहाँ भी दोनों देशों के मुख्य द्वार के मध्य के लगभग 50 मीटर क्षेत्र में दोनों ही देशों के नागरिक आते जाते हैं एक दूसरे से मिलते व फ़ोटो खिंचाते हैं।
                                                        परन्तु निःसंदेह,तराई,पहाड़ी,नदी व मैदानी क्षेत्रों की हज़ारों किलोमीटर की ऐसी सीमाओं पर नज़रें गाड़ कर रखना और किसी पड़ोसी देश के किसी भी नापाक मंसूबों को नाकाम करना बी एस एफ़ के लिये एक बड़ी चुनौती है। ख़ास तौर पर ऐसे में और अधिक जबकि डोकी जैसे  ऐसे संयुक्त पर्यटन स्थल पर नज़र रखनी हो जहाँ दोनों ही देशों के पर्यटक बड़ी संख्या में इकट्ठे होते हों। इसी सीमा मार्ग से भारत प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक पत्थर का निर्यात मेघालय से बांग्लादेश को भी कर रहा हो। और ट्रकों के आने जाने का तांता लगा रहता हो। तेज बहादुर यादव की बर्ख़ास्तगी के बाद हालाँकि सीमा सुरक्षा बल के जवान अपनी परेशानियों व दुःख तकलीफ़ को आम लोगों से सांझा करने से कतराते हैं। यहाँ तक कि अपने साथ चित्र खिंचवाने या इन्हें वायरल करने से भी गुरेज़ करते हैं परन्तु उनके समक्ष दरपेश चुनौतियां उनके चेहरों से साफ़ झलकती हैं।

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