बदलते मीडिया और उसकी जरूरतों को समझना जरूरी

भोपाल, 30 नवंबर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम में देश के दो ख्यातिनाम पत्रकारों ने विद्यार्थियों से अपने अनुभव बांटे। ये मेहमान थे बंगला पत्रिका ‘लेट्स गो’एवं ‘साइबर युग’के प्रधान सम्पादक जयंतो खान (कोलकाता) एवं प्रवक्ता डॉट काम के सम्पादक संजीव सिन्हा (दिल्ली)।

पत्रकार जयंतो खान ने विद्यार्थियों को अखबार व पत्र-पत्रिकाओं की साज-सज्जा के बारे में जानकारी दी। रंगों का विज्ञान समझाते हुए उन्होंने हर रंग की विशेष अपील एवं प्रभावों के बारे में बताया। पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में इस्तेमाल होने वाली छपाई तकनीक के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के बारे में भी जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने विजुअलाइजेशन, और ग्राफिक्स के बारे में भी छात्रों को जानकारी देते कहा कि बदलते मीडिया और उसकी जरूरतों को जानना बहुत जरूरी है।

कार्यक्रम में अपने विचार रखते प्रवक्‍ता डॉट कॉम के संपादक संजीव सिन्‍हा

प्रवक्ता डॉट काम के सम्पादक संजीव सिन्हा ने वेब पत्रकारिता के बारे में जानकारी दी। अपने अनुभव बांटते हुए उन्होंने कहा कि जो तेजी इस माध्यम में है वह मीडिया की अभी अन्य किसी विधा में नहीं है। यही तेजी इस माध्यम के लिए वरदान है। वेब मीडिया अपने आप में एक अनूठा माध्‍यम है जिसमें मीडिया के तीनों प्रमुख माध्‍यम प्रिंट, रेडियो और टेलीविजन की विशेषताएं समाहित है।

प्रवक्ता डाट काम के संपादक संजीव सिन्हा का स्वागत करतीं हुई एमएएमसी- तृतीय सेमेस्टर की छात्रा नितिशा कश्यप

उन्‍होंने मुख्‍यधारा के मीडिया की दशा-दिशा पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि मीडिया दिनोंदिन जन सरोकार की खबरों से दूर हो रहा है। इसलिए देश में वैकल्पिक मीडिया की सख्‍त आवश्‍यकता है। प्रवक्‍ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।

उन्‍होंने कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों से वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने  के लिए तैयार होने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में वेबमाध्‍यम अन्‍य सभी मीडिया माध्‍यमों को कड़ी टक्‍कर दे रहा है और मुद्रित समाचार पत्र निकलने बंद हो रहे हैं। भारत में वेब पत्रकारिता का इतिहास लगभग 15 साल पुराना है जब 1995 में अंग्रेजी के हिंदू अखबार ने अपना वेब संस्‍करण प्रस्‍‍तुत किया था, वहीं हिंदी की पहली वेबसाइट होने का सौभाग्‍य ‘वेबदुनिया डॉट कॉम’ को प्राप्‍त है। इसलिए वेब पत्रकारिता अपने देश में अभी प्रारंभिक अवस्‍था में है लेकिन इसका तेजी से विकास हो रहा है और इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ती जा रही है। छात्रों ने वेब पत्रकारिता से जुडी जानकारियों के अलावा इससे जुड़े विभिन्न आयामों जैसे- विश्वसनीयता, सामग्री आदि के बारे में भी प्रश्न पूछे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में विभागाध्यक्ष संजय द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्रकाशन अधिकारी सौरभ मालवीय, राकेश ठाकुर खासतौर पर मौजूद रहे। आरंभ में अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर विभाग की छात्राओं नीतिशा कश्यप और अमृता राज ने स्वागत किया।

6 COMMENTS

  1. संजीव जी, आप बहुत ही उम्दा बढिया काम कर रहे है| सच कहु तो मै आप की विचारों से मेरे अंदर उत्साह और आत्मविश्वाश की एक लहर दोड़ जाती है.. .. मुझे प्रोत्साहित करने के लिए…. मै आपका आभारी हु…
    बहुत धन्यवाद सर | मै आशा करता हु की.. मै आपसे हमेशा जुड़ा रहू ……

  2. आदरणीय पुरुषोत्तम जी, आपने सवाल किया है, ‘यह आलेख कितने दिनों से प्रदर्शित हो रहा है, जबकि अन्य लेख एक दो दिन में गायब हो जाते हैं. संजीव जी प्रवक्ता पर कानूनी अधिकार बेशक आपका है, लेकिन पाठकों के बिना प्रवक्ता का अस्तित्व क्या है? यह भेद क्यों?’

    यह अच्‍छी बात है कि आप प्रवक्‍ता पर कड़ी नजर रखते हैं। लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि प्रवक्‍ता पर कोई भेदभाव नहीं चलता है।

    आप यह अच्‍छी तरह जानते होंगे कि प्रवक्‍ता पर समसामयिक विषयों पर औसतन 6-7 विश्‍लेषणात्‍मक लेख प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं। लेकिन समाचार हम कम प्रकाशित करते हैं क्‍योंकि अभी प्रवक्‍ता के पास संवाददाता जैसी व्‍यवस्‍था नहीं है। प्रवक्‍ता के लेखक ही जब कभी समाचार भेजते हैं तो हम उसे इस ‘क्षेत्रीय खबरें’ स्‍तंभ में प्रकाशित करते हैं, लेकिन इसकी आवृत्ति बहुत कम है। उदाहरण के लिए इस स्‍तंभ में लेख के नीचे गत दो महीने में केवल चार समाचार प्रकाशित हुए हैं।

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    इसलिए प्रवक्‍ता के पास समाचार आने पर यह स्‍वत: पीछे चला जाएगा।
    निश्चित रूप से आप जैसे सुधी लेखक व पाठक ही प्रवक्‍ता की जान हैं।

  3. यह आलेख कितने दिनों से प्रदर्शित हो रहा है, जबकि अन्य लेख एक दो दिन में गायब हो जाते हैं. संजीव जी प्रवक्ता पर कानूनी अधिकार बेशक आपका है, लेकिन पाठकों के बिना प्रवक्ता का अस्तित्व क्या है? यह भेद क्यों?

  4. मीडिया ने आज सारे दुनिया को बाजारवाद के रूप में प्रभावित किया है| हर आदमी चाहता है की वाषिक सूचना उसे मिलती रहे|इसी क्रम में साइबर पर्त्कारिता की जरुरत बढ़ी है |साइबर ने दूरियों को कम कर दियaहै |ghar bathe ही हम सुचना चाहते hai

  5. लगे रहो बंधू. आज वाम-वंश और वर्गवाद की राजनीति करने वालो की चरण-वन्दना में लगे मुख्यधारा के एक पक्षीय मीडिया के दौर में वेब पत्रकारिता बेशक एक अच्छा विकल्प है.
    वेब पत्रकारिता से अच्छे मीडिया घरानों की दादागिरी ख़त्म हो चुकी है. चाहे वह Times of India हो या न्द्त्व. अब सही खबरों को दबाने और सेकुलावार की आड़ में एक तरफा सामग्री परोसने के दिन लद गए है. क्योंकि इन्टरनेट ने एक उम्दा माध्यम पेश किया है.

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