छज्जू का चौबारा

अमेरिका के  कैलिफ़ोर्निया प्रान्त में “ सिलीकॉन वैली “ प्रसिद्ध है । यहाँ बहुसंख्यक भारतीयों का निवास है । यहीं पर 1988 में वरिष्ठ प्रवासियों के हितार्थ तथा उनके परस्पर सम्पर्क हेतु मात्रा मजूमदार द्वारा अपने घर में भारतीयों का समागम  किया गया था । अपने मित्रों के माता-पिता को वे स्वयं घर से लेकर आतीं और छोड़ने जाती थीं । इस प्रकार उनके सेवानिवृत्त माता-पिता का मन भी लग जाता था  और सभी आपस में मिलकर आनन्दित होते थे । जानकारी भी मिल जाती थी। यही संस्था बाद में विकसित होकर ICSC ( इंडो-अमेरिकन सर्विस सेंटर ) के रूप में सैंटा क्लैरा काउंटी  में – “  3065 डेमोक्रेसी वे “ में  स्थापित हुई। श्री प्रदीप जोशी प्रोग्राम डाइरेक्टर बने और  उन्होंने  इसे बहुत आगे बढ़ाया।    1996  में  वरिष्ठ सदस्य – भारत में रेलवे सेफ़्टी कमिश्नर के उच्च पद से सेवानिवृत्त होकर अपने बच्चों के पास सपत्नीक आए श्री आर्यभूषण ( स्वर्णा भूषण के साथ ) जी ने क्रियेटिव राइटिंग ( रचनात्मक लेखन )  का कार्यक्रम प्रारंभ किया । इसका नाम “छज्जू का चौबारा” रक्खा। ये नाम उन्होंने अपने पिता से सुनी लोकोक्ति पर आधारित करके दिया था ।                                  “ सारी दुनिया घूमी मैंने , देखा बल्ख़ बुख़ारे में ।                                    पर वह बात नहीं पाई , जो छज्जू के चौबारे में ।।”       चौबारे में प्रत्येक बुंधवार को  इंडो-अमेरिकन सर्विस सेंटर में प्रातः दस बजे से भारतीयों का समूह जुटने लगा।। प्रारंभ में दस बारह लोग ही आते थे । बड़ी टेबल के चारों ओर बैठकर  लोग अपने अनुभव, लेख, कविता , भजन , धार्मिक वार्ता आदि सुनाते थे। धीरे धीरे संख्या बढ़ती गयी । तीज त्यौहार राष्ट्रीय पर्व भी मनाए जाने लगे । आर्यभूषण जी ने बहुत परिश्रम किया । लोगों को  उत्साहित करके  लिखकर लाने को कहा ।लेखों को कम्प्यूटर पर प्रिंट करके लाकर दिये। कई लोगों के लेखों के संकलन पुस्तक रूप में छप गये । उनमें से  कुछ  कलाकार पेंटिंग और क्राफ़्ट  भी सिखाने लगे। संख्या बहुत बढ़ गयी । जिन युवा   भारतीयों के माता-पिता यहाँ आस पास आते थे , वे सभी यहाँ आपस में मिलने जुलने , मनोरंजन के लिये आने लगे ।  कई जगह स्थान बदलते हुए चौबारा अब कूपरटीनो शहर में स्थापित हो गया है । दस बारह वर्ष पूर्व गोपी जी के परिवार ने मिलपीटस शहर में  एक बड़ा सेंटर “ ICC” इंडिया कम्यूनिटी सेंटर  बनाया , हमारी संस्था को भी उसी में मिला लिया । अब हमारा सेंटर उनकेअनुसार ही चलता है । “ छज्जू का चौबारा “ अब भी  बुधवार को ही चलता है । उसके अलावा अन्य दिनों  में भी कार्यक्रम चलते हैं ।सोमवार , गुरुवार और शुक्रवार को भी लोग आते हैं । कैरियोके के साथ गाने , बुक रिव्यू , लेक्चर, योगासन , करेंट अफ़ेयर्स  , क्रियेटिव राइटिंग , भजन आदि के कार्यक्रम इन दिनों में होते हैं ।  कुछ लोग ताश, कैरम  आदि  खेलों से अपना मनोरंजन करते हैं । अब 11 से 1 बजे तक कार्यक्रम चलते हैं और उसके बाद ताज़ा गरम भारतीय खाने की व्यवस्था रहती है । सदस्य अपनी सदस्यता के अलावा खाने के लिये पेमेंट देते हैं । खाना खाकर अपने घर वापस जाते हैं।               

प्रसिद्ध लेखिका डॉ. अंजना संधीर ने  वर्ष २००६  में अमेरिका की ८० कवयित्रियों की कविताओं का संकलन करके एक ग्रंथ बनाया। “ प्रवासिनी के बोल “ नामक ग्रन्थ में छज्जू के चौबारे के विषय में विस्तार से लिखा है और चौबारे की सभी कवयित्रियों की कविताओं को भी  उनके संक्षिप्त  परिचय  के  साथ प्रकाशित किया ।  विदुषी डॉ. उषा गुप्ता जी ने  वर्ष २००५ में  चौबारे के साहित्यकारों के जीवन तथा समीक्षात्मक लेखों के साथ दो खंडों में पुस्तक लिखी  थीं – जिस से उनको जानकारी मिली थी। “ अमेरिकी प्रवासी भारतीय – हिन्दी प्रतिभाएँ “  नाम से  उषा जी ने दोनों खंडों में  कुल १४ लेखक और कवियों  के रचनात्मक कार्यों  पर प्रकाश डाला है । उनका परिश्रम और प्रयास प्रशंसनीय है ।               “ छज्जू का चौबारा “ सभी भारतीयों की मिलनस्थली है । यहाँ सबका समय आनन्द से बीतता है । हम  मित्र बन जाते हैं। आपस में सुख-दुःख के साथी और सहायक हो जाते हैं । अमेरिका में अपना अलग परिवार सा बन  गया है ।होली, दिवाली , रक्षाबंधन , स्वतंत्रता दिवस  गणतन्त्र दिवस और विभिन्न प्रान्तों के पर्व भी धूमधाम से संगीत नृत्यादि के कार्यक्रमों के साथ ख़ुशियाँ  पाते और लुटाते हैं।।                                       

 चौबारा  सुन्दर बग़िया है, रंग रंग के फूल  खिले। 

 जिसकी प्यारी ख़ुशबू पाकर भारतवासी आन मिले।।     

प्रेम  यहाँ  बरसा करता है, भेद-भाव  भूले जाते ।   

  करें प्रतीक्षा सब इस दिन की, दूर दूर से सब आते ।।                                                                    ०-०-०-०-०-०                                                                                   शकुन्तला बहादुर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here