भविष्य चयन में मिल रही अब बच्चों को स्वतंत्रता, बदल रही माँ-बाप की सोच

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कोरोना महामारी ने आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को भी त्रस्त कर रखा है | पिछले सत्र से ही छात्रों की शिक्षा-दीक्षा की प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित नही हो पा रही है | इस बीच एक बार फिर नए अकादमिक सत्र की शुरुआत होने जा रही है, वही १२वी के परिणाम बिना एक्जाम के ही निरंतर मूल्यांकन के आधार पर घोषित होने हैं | ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे माहौल में बच्चा किस कोर्स का चयन करे? किस कॉलेज या विश्विद्यालय में दाखिला ले और बिन पढाई या मौजूदा दौर में चल रही पठन-पाठन की प्रक्रिया से बच्चों का भविष्य कितना संरक्षित होगा?
इससे इतर सामान्य अवस्था में भी छात्रों व माता-पिता / गार्जियन के जहन में एक बड़ा सवाल होता है कि १२वी के बाद क्या करना है ? सामान्य तौर पर अधिकतर मध्यमवर्गीय परिवार में माता-पिता अपने सपनों और अपने आर्थिक स्थिति के अनुरूप बच्चों को किसी निश्चित कोर्स में दाखिला लेने को बोलते हैं या फिर सामान्य बीए डिग्री कराते हुए सरकारी नौकरी हेतु प्रतियोगिता की तैयारी का सलाह देते हैं | वहीं दूसरी तरफ देखने को मिलता है कि उच्च वर्ग में बच्चे पहले से निर्धारित कर रखे होते हैं कि उन्हें आगे क्या करना है या फिर माता- पिता पहले से उनको उस माहौल में जोड़ चुके होते हैं, जिस प्रोफेशन में वे खुद हैं, उन्हें पढाई के बाद क्या करना है वह बना बनाया प्लेटफोर्म या तो उनके समक्ष परोस दिया जाता है या तो उन्हें आगे क्या करना इसकी कोई परवाह ही नही होती | इसके बाद निम्न वर्ग के बात करें तो अधिकतर लोग जीवन यापन व रोजी- रोटी से इतर उच्च शिक्षा को बहुत महत्ता नहीं दे पाते हैं | हाँ कुछ ख़ास कर्मठ छात्र जरुर आगे पढाई जारी रखने की हिम्मत जुटाते हुए आगे बढ़ते हैं, सघर्ष करते हैं लेकिन प्रायः प्रोफेशनल कोर्स उनकी प्राथमिकता की सूची में नहीं होती है |
हालांकि पिछले कुछ सालों में कोर्स या भविष्य के चयन को लेकर माता-पिता / गार्जियन की सोच में भी बदलाव हुआ है, अब अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर पहले से रिजिड (कठोर या अपना निर्णय थोपने ) होने के बजाय बच्चों की रूचि और संभावनाओं पर विचार करने लगे हैं, या फिर बच्चों की राय जानने की कोशिश कर रहे हैं | अब अधिकतर माता-पिता बच्चों की पढाई व कोर्स के चयन में अपनी आर्थिक स्थिति को भी रोड़ा नही बनने दे रहे हैं, वे एजुकेशन लोन की तरफ बढ़ रहे हैं | ऐसे में बच्चों को अपने करियर के चयन में स्वतंत्रता मिल रही है | वहीं अधिकतर ग्रामीण इलाकों से सम्बंधित ज्यादा-पढ़े लिखे न होने के कारण भी बच्चों के पसंद का कोर्स कराने को राजी हो जाते हैं | हाँ, अभी भी इसको लेकर कुछ कुछ गार्जियंस के अन्दर जागरूकता नही है, वे अब भी अपनी पसंद के कोर्स बच्चो के ऊपर थोप रहे हैं, लेकिन काफी हद तक इसमें परिवर्तन आया है |
दरअसल, आम समाज में शुरुआत से ही लोगों के जहन में उत्तम शिक्षा व समाज की एक धारणा और सफलता का एक निश्चित मानक तैयार कर दिया है कि बच्चे को किस निश्चित उम्र में क्या –क्या करना है, पढ़ना है और कौन सी नौकरी मिलने के बाद बच्चा ज्यादा सफल माना जाएगा | जैसे कि यदि बच्चा १२वी साइंस/ गणित से है तो बच्चे को इंजनियरिंग में प्रवेश लेना चाहिए, यदि कामर्स से है तो बैंकिग ही परफेक्ट है, बायो से है तो फिर मेडिकल / नर्सिंग में प्रवेश ले लो, बाकी बचे तो बीए के साथ साथ सरकारी प्रतियोगिता की तैयारी करना शुरू कर दो .. आदि आदि | वहीं पचास प्रतिशत माँ-बाप की पहली पसंद होती है कि बेटा/ बेटी (अधिकतर केस में बेटा) इंजिनियर बने, फिर डॉक्टर उसके बाद बचे तो बैंकिंग सेक्टर नही तो समाज में सफलता का स्तर गिर जाता है | भले ही बच्चा बीस हजार रूपये की नौकरी कर रहा हो लेकिन आम समाज में इंजीनयर और डॉक्टर का टैग ही सफलता का मानक बन चुका है | हाँ, सरकारी नौकरी मिल जाय तो सारे पाप धुले जा सकते हैं, चाहे आपको क्लर्क की ही नौकरी क्यों न मिल जाय | आप का सामाजिक शान ओ शौकत और दुल्हे के रूप में भाव बढ़ जाता है |
सही मायने में आज इससे इतर हुनर आधारित कोर्सेज का चयन करने की जरूरत है, जिससे आप अपने सफलता की सीढ़ी खुद चढ़ सके | साथ ही यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आने वाले समय में किस क्षेत्र में नौकरी की संभावनाएं हैं | १२वी के बाद आप जिस किसी कोर्स का भी चयन करते हैं, उसके आधार पर ही आप अपने भविष्य निर्माण की नींव रखते हैं , चाहे उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने की बात हो या भविष्य में नौकरी की | ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण होता है निर्णय लेने में माता-पिता और बच्चे के बीच वार्तालाप और सामंजस्य | इस दौरान माता-पिता और बच्चों दोनों को अपने अपने स्तर पर कुछ ख़ास बिन्दुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है |

  • बच्चे की रूचि किस क्षेत्र में है?
  • बच्चा जिस क्षेत्र में रूचि रख रहा है, उसके कुछ गुण बच्चे में वास्तविक रूप से है या नही ?
  • बच्चे के रूचि के क्षेत्र से सम्बंधित कौन-कौन से पाठ्यक्रम (कोर्सेज) हैं?
  • बच्चा जिस कोर्स में प्रवेश लेना चाह रहा / या आप दिलाना चाह रहे, उस क्षेत्र के मौजूदा हालात अभी क्या हैं?
  • बच्चा जब तक कोर्स कम्प्लीट करेगा, तब तक उसमें भविष्य की संभावनाए कितनी होंगी?
  • आने वाले समय में किस कोर्स की डिमांड अधिक है?
  • माता-पिता उस कोर्स को कराने में आने वाले खर्च को उठाने में सक्षम हैं कि नही ?
  • यदि नही, तो अन्य क्या-क्या श्रोत हैं? जो सुचारू रूप से उपयोग में आए, बच्चे की पढाई बाधित न हो | ऐसे तमाम बिंदु हैं जिसपर माता-पिता और बच्चों दोनों को सोचने की आवश्यकता होती है, जिससे सही पाठ्यक्रम (कोर्स) का चयन किया जा सके और पढाई के दौरान किसी तरह की बाधा न उत्पन्न हो | क्योंकि कई बार बच्चा अपने शौक और काबिलियत में फ़र्क नही समझ पाता है और उनके बीच उलझ कर रह जाता है | जरूरी नही कि बच्चे की रूचि संगीत में हो तो वह संगीतकार बनने की काबिलियत भी रखता हो या फिर यदि बच्चे को गेम खेलना अच्छा लगता हो तो वह एक अच्छा सॉफ्टवेयर इंजिनियर/ कोडर बन जाएगा | किसी भी इंसान की रूचि उसके काबिलियत से इतर हो सकती है, इसलिए जिस भी क्षेत्र में बच्चा रूचि दिखा रहा है उसका बच्चे द्वारा स्वमूल्यांकन और माता-पिता द्वारा भी बच्चे के उस क्षेत्र के प्रति गंभीरता को समझना व विचार करना जरूरी हो जाता है |
    इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी समस्या या बाधा होती है, आर्थिक स्थिति | माता-पिता / गार्जियंस को यह समझना भी जरूरी होता है कि वह पढाई के दौरान आने वाले तमाम खर्चों को पूरण रूप से उठाने में सक्षम है या नहीं ? क्योंकि पढाई के दौरान केवल फीस ही नही बल्कि उसके साथ बच्चे के रहने-खाने और अन्य दैनिक खर्चे भी होते हैं, जो बाहर रहने के दौरान स्वभाविक हो जाता है | प्रायः आज एजुकेशन लोन लेकर फीस तो भर दिया जाता है लेकिन अप सक्षम नही हैं तो अन्य छोटे-छोटे खर्चे भी कुछ समय बाद भारी पड़ने लगते हैं | इस स्थिति में माता-पिता पैसों के जुगत में तमाम समझौते करने शुरू करते हैं और समस्याएं बढ़ने लगती है या फिर बच्चा समझौता करते हुए एडजस्ट करने की कोशिश तो करता है लेकिन मानसिक अवसाद का धीरे धीरे शिकार होने लगता है | उसका ध्यान पढाई से इतर अब आर्थिक समस्या पर भी दौड़ने लगता है, जिससे पढाई के दौरान ही उसपर एक विशेष प्रकार का दबाव बनना शुरू हो जाता है |
    इसके आलावा १२वी के बाद किसी भी कोर्स का चयन करते समय यह समझना भी जरूरी है कि उस निश्चित क्षेत्र के मौजूदा हालात क्या है? नौकरी की कौन-कौन सी संभावनाए हैं? और भविष्य में इस क्षेत्र में क्या क्या संभावनाए लग रही हैं ? कोइ कोर्स का चयन केवल इसलिए नही कर लेना होता है कि इस कोर्स का नाम आज कल बहुत है, या फिर साथ के बहुत ढेर सारे लोग कर रहे हैं, या फिर हमारा कोइ जानने वाला इस कोर्स को कर के एक अच्छे मुकाम पर है … बल्कि इससे इतर अपनी काबिलियत, मौजूदा हालात और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए |
    कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि लोग (खाकसार ग्रामीण क्षेत्रों में) बीई, बीटेक, बीएससी, बीए (दो से तीन स्ट्रीम) कुछ गिने चुने कोर्सेज को छोड़कर अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज से अनभिज्ञ हैं, जिसके कारण वह भविष्य की अन्य सम्भावनाओं को नही देख पाते हैं | वह कभी कभी सोचते तो हैं कि उन्हें यह बनना है लेकिन उस तक पहुँचने का रास्ता ही नही मालुम होता है | ऐसे में किसी भी छात्र को अपने रूचि व काबिलियत के बाद सबसे पहले अपने विषय (जो १२वी में लिया हो, आर्ट या साइंस) के बाद क्या –क्या कोर्सेज हैं उसे जानना और समझना भी जरूरी हो जाता है |
    आर्ट्स के छात्रों के लिए कोर्सेज-
    BA (History, Sociology, Hindi, Sanskrit….etc)
    BJMC – Bachelor of Journalism and Mass Communication
    BBA- Bachelor of Business Administration
    BMS- Bachelor of Management Science
    BFA- Bachelor of Fine Arts
    BEM- Bachelor of Event Management
    BTTM- Bachelor of Travel and Tourism Management
    Integrated Law Course- BA + LL.BBJMC- Bachelor of Journalism and Mass Communication
    BFD- Bachelor of Fashion Designing
    BSW- Bachelor of Social Work
    BBS- Bachelor of Business Studies
    B.A.- Interior Design
    B.A. Hospitality and Hotel Administration
    Bachelor of Design (B. Design)
    Bachelor of Performing Arts

साइंस के छात्रों के लिए कोर्सेज-
BJMC – Bachelor of Journalism and Mass Communication
B.Sc. – Nutrition & Dietetics
B.Sc- Applied Geology
BA/B.Sc. Liberal Arts
B.Sc.- Physics
B.Sc. Chemistry
B.Sc. Mathematics
B.Sc.- Information Technology
B.Sc- Nursing
BPharma- Bachelor of Pharmacy
B.Sc- Interior Design
BPT- Bachelor of Physiotherapy
BCA- Bachelor of Computer Applications
BE/B.Tech- Bachelor of Technology
B.Arch- Bachelor of Architecture
BDS- Bachelor of Dental Surgery

उपर्युक्त सूची में कुछ बेसिक कोर्सेज के बारे में बताया गया है, जो आर्ट्स और साइंस से १२वी पास छात्र कर सकते हैं, लेकिन इनमें कुछ ऐसे भी कोर्स हैं, जो साइंस और आर्ट्स दोनों के छात्र कर सकते हैं, जैसे कि बीबीए, बीजेएमसी आदि| हालांकि अधिकतर ऐसा होता है कि साइंस के छात्रों के लिए स्नातक स्तर पर के ढेर सारे रास्ते खुल जाते हैं क्योंकि वे आर्ट्स फ़ील्ड के भी कुछ कोर्स का चाहें तो चयन कर सकते हैं लेकिन आर्ट्स के छात्रों के लिए एक निश्चित दायरा होता है, जिसके अंतर्गत ही उन्हें किसी कोर्स का चयन करना पड़ता है | हालांकि एक धारणा यह भी है कि यदि बच्चे ने १२वी में साइंस लिया था तो उसे इंजीनियरिंग, बीसीए आदि जैसे ही कोर्स करना चाहिए, क्योंकिं यदि उसे आर्ट्स फ़ील्ड के कोर्स का ही चयन करना है तो १२वीं में गणित या साइंस लेने का क्या मतलब रह जाएगा | तो ऐसे में यह भी समझना जरूरी है कि जरूरी नही कि बच्चे ने१२वीं में साइंस लिया हो तो वह आगे भी बेहतर कर पाए या वह उसमें अच्छा कर रहा हो | कई बार ऐसा भी होता है कि १२वीं में बच्चा साइंस का चयन तो कर लेता है लेकिन उसमें उसका मन नही लगता या बमुश्किल वह पास हो पाता है, ऐसे में समय रहते स्नातक स्तर पर आपनी गलती सुधार लेनी चाहिए और अपने पसंद के कोर्स का चयन करना चाहिए | हालांकि माँ-बाप और स्कूली स्तर पर ही शिक्षकों को चाहिए कि शुरुआत से ही बच्चों के रूचि और क्षमता के आधार पर ही साइंस या आर्ट की श्रेणी में डालें, न कि उनपर अपना निर्णय थोपें |

अरुण कुमार जायसवाल
सहायक प्राध्यापक
जनसंचार विभाग,
मंदसौर विश्विद्यालय

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