अल्पसंख्यकों पर चीन की दमनकारी नीति

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                       प्रभुनाथ शुक्ल

पाकिस्तान दुनिया में मुस्लिम हिमायती होने का दंभ भरता है। लेकिन आंखमूंद पर चीन पर भरोसा करने वाला पाकिस्तान चीन में अल्पसंख्यक समुदाय पर होने वाले दमन पर मुंहबंद रखता है। इमरान मियां अल्पसंख्यकों पर यह दोगलीनीति क्यों अपनाते हैं। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान का मुस्लिम प्रेम सिर्फ दिखावा है। वह केवल भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए कश्मीर में मुस्लिमों के दमन की दुहाई देता है। जबकि शिंझियांग और शिकियांग में उइगर और वीगर समुदाय के मुसलमानों के जो हालात हैं वह किसी से छुपे नहीं हैं। वहां संबंधित मुस्लिम समाज चीन सरकार की दमनकारी नीतियों का शिकार  है। लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान और मुस्लिम देशों की चुप्पी काबिले गौर है। फिर भारत की कश्मीर नीति को लेकर दुनिया में शोर क्यों मचता है। दक्षिण एशिया में मुस्लिम अधिकारों को लेकर दोगली नीति क्यों। 
कश्मीर में धरा-370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान जरुरत से अधक परेशान है। दुनिया भर में वह कश्मीरी मुसलमानों की सुरक्षा और इस्लाम की दुहाई देता फिर रहा है। अपनी ग्लोबल इमेंज रखने वाले संयुक्त अरब अमीरात ने भी इमरान मियां को कोइ तवज्जों नहीं दिया। जबकि कश्मीर पर वह भारत के साथ खड़ा दिखा। संयुक्त राष्ट्रसंघ में भी कश्मीर मसला हवा हो गया। तीसरी दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका, रुस और फ्रांस के साथ चीन ने भी उसकी अनसुनी कर दिया। फिर इमरान मियां कश्मीर राग क्यों अलाप रहे हैं। इसके पीछे उनका मसशद क्या है। इमरान पाकिस्तान में खुद मुसलमानों की चिंता नहीं कर पा रहे हैं। वहां के आर्थिक हालात बेहद नाजुक हैं। मौलाना से घिरने के बाद घराए इमरान को छुट्टी पर जाना पड़ा है। लाखों की तादात में इस्लामबाद पहुंचे मौलाना और उनके समर्थक साबित कर दिया कि इमरान को पाकिस्तान की सत्ता पर बैठने का कोई हक नहीं है। क्योंकि चुनावों के दौरान पाकिस्तानी जतना से जो वादा किया था उसे वह नहीं निभा पाए हैं। 
कश्मीर की चिंता करने वाले इमरान खान को यह पता नहीं है कि जिस चीन को वह अपना बेहद करीबी मानते हैं वहां अल्पसख्यकों की क्या दशा है। भारत दुनिया का अकेला हिंदूराष्ट्र हैं जहां इंडोनेशिया के बाद सबसे अधिक मुसलमान रहते हैं। यहां रहने वाले मुसलमान पूरी आजादी से अपना जीवन बीताते हैं। भारतीय कानून और संविधान के दायरे में उन्हें पूरी आजादी है। वह शरीयत के अनुसार अपनी धार्मिक आजादी के साथ सामाजिक जीवन जीते हैं। कश्मीर से धारा-370 हटाने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में जिस अधिकार से मुसलमान रहते हैं वैसा जीवन पाकिस्तान में भी मुसलमान नहीं जीते। पाक अधिकृत कश्मीर सिंध और बलूचिस्तान में मुसलमानों की जो स्थिति है उसे किसी से छुपी नहीं है। पाक अधिकृत कश्मीर में मुस्लिम समुदाय के लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं। वहां मानवाधिकारों को लेकर आए दिनप्रदर्शन होते रहते हैं। लेकिन पाकिस्तान पर जू नहीं रेंगता। पाकिस्तान में बढ़ती मंहगाई से आम मुसलमानों को दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो रही हैं। लोगों का जीवन नारकीय हो चला है जबकि इमरान मियां वैश्विक मंच पर भारत पर आणविक हमले की धमकी देते फिरते हैं। इसकी मूल वजह है कि इमरान मिया से पाकिस्तान की जनता पूरी तरह ऊब चुकी है। जिसकी वजह से जनता का ध्यान बांटने के लिए कश्मीर और मुस्लिम प्रेम की माला जप रहे हैं। 
पाकिस्तान का चीन बड़ा हिमायती है। पाकिस्तानवर्तमान समय में जीतना भरोसा चीन पर करता है शायद उतना खुद पर नहीं, लेकिन जमींनी सच्चाई इससे इतर हैं। चीन अपनी नीतिगत नीतियों पर काम करता है। वह भारत के खिलाफ जमींन तैयार करने के लिए हमेंशा पाकिस्तान के साथ लगा रहता है। लेकिन चीन अपने घर में आतंकवाद का सिर कुचलने के लिए बेताब दिखता है। चीन की आतंकरिक पृष्ठभूमि में तैयार होती अतिवाद की फसल उसकी सबसे बड़ी चिंता है। जिसकी वजह से वह उइगर और वीगर समुदाय के खिलाफ दमनकारी नीति अपनाता है। दक्षिण एशिया में भारत एक महाशक्ति के रुप मेउभर रहा है। भारत की वैश्विक कूटनीति की वजह से चीन को भी कई जगह मात खानी पड़ी है। जिसकी वजह से उसे अपनी विदेश नीति में बदलाव करना पड़ा है। 
कश्मीर जैसे मसले पर भी चीन ने तटस्थता दिखाई है। लेकिन खुद चीन में मुस्लिमहितों की कितनी चिंता की जाती है , यह शायद इमरान खान को भी पता नहीं होगा। चीन में वीगर और उइगर समुदाय के मुसलमान नारकीय जीवन जीते हैं। मीडिया रपट में यह आशंका जताई गई है कि शिनजिंपियांग की जेलों में 10 लाख से अधिक वीगर मुसलमान बंदी हैं। शिझिंयांग प्रांत में उइगर मुसलमानों की हालात बेहद नाजुक है। चीन की सरकार इन दोनों समुदायों पर कड़ी निगरानी रखती हैं। ग्लोबल मीडिया में साफ कहा गया है कि वहां दोनों समुदाय के साथ अमानीवय व्यवहार किए जाते हैं। सरकारी सहायता से इन्हें वंचित रखा जाता हैं। सरकारी स्कूलों में इनका दाखिला नहीं किया जाता है। सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें बुरका और नमाज अदा करने पर प्रतिबंध रहता है। चीन की सरकारें दोनों समुदायों के मानवाधिकार का खुला उल्लंघन करती हैं। लेकिन इमरान खान ने कभी चीन से दोनों मुस्लिम समुदाय के धामिक, सामाजिक और कानूनी अधिकारों को लेकर आवाज नहीं उठायी। उन्हें चीन में मुसलमानों का दमन नहीं दिखता है। सिर्फ भारत में ही मुस्लिमों का दमन और मानवाधिकारों की बात नजर आती है। इमरान में चीन की हिमाकत करने का दम नहीं है। क्योंकि वह भारत के खिलाफ जो भी आवाज उठाते हैं उसमें मुंह इमरान का रहता है लेकिन आवाज चीन की रहती है।न्यूयार्क टाइम्स हवाले से अभी हाल में खुलासा किया गया है कि चीन अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की अनदेखी करता है। वहां उइगर समुदाय के मुसलमान बेहद नारकीय जीवन बीताते हैं। चीन में उनके मानवाधिकार हितों की अनदेखी की जाती है। चीन के एक सरकारी दस्तावेज लीक होने के बाद यह बात सामने आयी हैं। जिसमें चीनी सरकार की तरफ से उइगर समुदाय के मुसलमानों के खिलाफ साफ-साफ दिशा निर्देश  दिए गए हैं। शिझिंयांग राज्य में बढ़ते उइगर मुसलमानों के प्रभाव को रोकने का सरकारी  आदेश मिला है। 400 पेज से अधिक कि इस रपट मेंराष्ट्रपति जिनपिंग ने खुद कहा है कि उइगरों के बढ़ते प्रभाव पर प्रतिबंध लगाया जाए। यह चीन के हितों के खिलाफ है। चीन आतंकवाद पर दोहरा मापदंड अपना रहा हैं। वह इसके लिए पश्चिमी एशिया के देशों को गुनाहगार ठहरा रहा है। चीन के सरकारी अखबार का आरोप है कि पश्चिमी देश शिझिंयांग प्रांत को चेचेन्या बनाना चाहते हैं जबकि चीन ऐसा नहीं होने देगा। जमींनी हकीयकत है कि यहां पांच साल पूर्व हुई एक हिंसक वारदात के बाद से ही चीन में उइगर समुदाय शोषण का शिकार हो रहा हैं। चीन सरकार की लीक रपट के बाद यह साफ हो गया है कि वहां मुसलमान सुरक्षित नहीं है। लेकिन कश्मीर और भारतीय मुसलमानों को लेकर पूरी दुनिया में गला फाड़ने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को यह बात नहीं दिखती है। पाकिस्तान की इस दोहरी नीति से कुछ होने वाला नहीं है। भारतीय मुसलमानों पर पाकिस्तान वैश्विक मंच घड़ियाली आंसू बहाना छोड़ दें। क्योंकि भारतीय मुसलमान सच्चे भारतीय हैं। वह पाकिस्तान से कई गुना घृणा करते हैं जबकि उससे लाख गुना भारत और कश्मीर से प्रेम करते हैं। भारत एक सहिष्णु राष्ट्र है । यहां जितनी आजादी हिंदुओं को हैं उतनी मुस्लिम और दूसरे समुदाय को भी हैं। तभी तो कहा गया है सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा। इमरान मियां अगर दम है तो पहले चीन में मुसलमानों की चिंता करों बाद में फुर्सत  में कश्मीर की तरफ देखना।

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