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कलक्टर का अप्रत्यक्ष ब्यान ; कंधमाल के दंगों के पीछे धर्मांतरण की भूमिका हो सकती है

कंधमाल में पिछले साल हुए दंगों के मामले में जांच कर रहे न्यायिक आयोग को पूर्व जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि 2004 से 2007 के बीच धर्मांतरण के मामले आधिकारिक तौर पर दर्ज दो मामलों से ज्यादा थे। वहां धर्मातरण के कई मामले थे, लेकिन कुछ ही जानकारी जिला प्रशासन को मिली37061979_27be00e3d5

कंधमाल में विहिप नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद बड़े स्तर पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। पिछले साल भड़की हिंसा का कारण क्या धर्मांतरण था, इस सवाल पर किसी तरह की टिप्पणी से इंकार करते हुए सिंह ने जिरह के दौरान कहा कि कलेक्टर कार्यालय में धर्मांतरण के मामले दर्ज करने के लिए एक रजिस्टर था लेकिन जनवरी 2004 में जिले में इस तरह के दो ही मामले दर्ज किए गए।

15 सितंबर 2004 से तीन अक्टूबर 2007 तक कंधमाल के डीएम रहे श्री सिंह ने कहा, उड़ीसा में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के वैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। धर्मातरण के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई, इसलिए कोई मुकदमा नहीं चला। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ जनगणना के आंकडे़ बताते हैं कि कंधमाल में सभी धार्मिक समूहों की जनसंख्या बढ़ी है . पूर्व कलेक्टर ने यह भी स्वीकार किया कि कंधमाल में जाली प्रमाणपत्र, सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और आदिवासियों की भूमि को गैर जनजातीय लोगों को हस्तांतरित किए जाने से संबंधित मामले भी हुए।

भारत में अब तक दर्जनों आयोग दंगों ,भ्रष्टाचार और हत्या जैसे मुद्दों के लिए गठित हो चुकी है जिनमें से कुछ की रपट आने पर भी कोई परिणाम मिलता नहीं दिख रहा . महाराष्ट्र में मुंबई दंगों की जाँच कर रहे कृष्ण आयोग की रपट अब भी फाइलों में धुल फांक रही है . बहरहाल , कंधमाल दंगों के लिए गठित न्यायिक आयोग की अंतिम रपट के आने तक दंगों के वास्तविक कारणों के सम्बन्ध में कुछ कह पाना कठिन होगा . और आयोग की यह रपट कब तक आएगी इसका तो भगवान हीं मालिक है !