आशाओं के रंग


बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन ।
आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन ।।

तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात ।
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात ।।

बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल ।
बोयें हम नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल ।।

तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार ।
नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार ।।

छाले पांवों में पड़े, मान न लेना हार ।
काँटों में ही है छुपा, फूलों का उपहार ।।

भँवर सभी जो भूलकर, ले ताकत पहचान ।
पार करे मझदार वो, सपनों का जलयान ।।

तरकश में हो हौंसला, कोशिश के हो तीर ।
साथ जुड़ी उम्मीद हो, दे पर्वत को चीर ।।

नए दौर में हम करें, फिर से नया प्रयास ।
शब्द कलम से जो लिखें, बन जाये इतिहास ।।

आसमान को चीरकर, भरते वही उड़ान ।
जवां हौसलों में सदा, होती जिनके जान ।।

उठो चलो, आगे बढ़ो, भूलो दुःख की बात ।
आशाओं के रंग से, भर लो फिर ज़ज़्बात ।।

छोड़े राह पहाड़ भी, नदियाँ मोड़ें धार ।
छू लेती आकाश को, मन से उठी हुँकार ।।

हँसकर सहते जो सदा, हर मौसम की मार ।
उड़े वही आकाश में, अपने पंख पसार ।।

हँसकर साथी गाइये, जीवन का ये गीत ।
दुःख सरगम-सा जब लगे, मानो अपनी जीत ।।

सुख-दुःख जीवन की रही, बहुत पुरानी रीत ।
जी लें, जी भर जिंदगी, हार मिले या जीत ।।

खुद से ही कोई यहाँ, बनता नहीं कबीर ।
सहनी पड़ती हैं उसे, जाने कितनी पीर ।।

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