आओ घर घर दीप जलाये |

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आओ घर घर दीप जलाये |
कोरोना को देश से दूर भगाये ||

जब हर घर में प्रकाश होगा |
नई चेतना का आवास होगा ||
तिमिर का तो विनाश होगा |
आशा का आगमन ही होगा ||
निराशा का निर्गमन होगा |
हर घर घर एक विकास होगा ||
विकास से घर खुशाहाली आये |
आओ घर घर दीप जलाये ||
कोरोना को देश से दूर भगाये |

जब घरो में एक साथ दीप जलेगे |
ये देश की एकता के प्रतीक होगे ||
देश का सगठन मजबूत होगा |
इससे कोरोना का सामना होगा ||
तभी देश से इसका निष्कासन होगा |
फिर से आशा का दीप जलाये ||
आओ घर घर दीप जलाये |
कोरोना को देश से दूर भगाये ||

नो बजे हर घर में दीप जलाये|
इसे एक त्यौहार की तरह मनाये ||
त्योहारों से बढ़ता है मन में उल्लास |
इससे होता है काम करने साहस ||
साहस बढ़ेगा तो देश आगे बढ़ेगा |
विकास की और प्रशस्त करेगा ||
इस भावना का देश में संचार लाये |
आओ घर घर दीप जलाये |
कोरोना को देश से दूर भगाये ||

ये हमारे प्रिय प्रधान मंत्री की सोच |
इसको बढ़ाना है अब सबको निसंकोच ||
ऐसी सोच से ही देश का विकास होगा |
कोरोना से लड़ने का आभास होगा ||
अंत में हमारी विजय अवश्य होगी |
कोरोना की हार निशित रूप से होगी ||
आओ इस विजय का जश्न मनाये |
आओ घर घर दीप जलाये |
कोरोना को देश से दूर भगाये ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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