आओ धरना-धरना खेलें

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आओ धरना-धरना खेलें

सत्ता पाये भ्रष्टों के बल,

मुंह तो अब छुपाना है,

मूर्ख बनाओ जी भर-भर के,

धरना एक बहाना है।

जी भर नूरा कुश्ती खेलें,

आओ धरना-धरना खेलें। (१)

झुंझलाकर के सड़क पर बैठें,

मुझे छोड़कर सभी चोर हैं,

एक उठे पराये पर जब,

तीन ऊंगलियां अपनी ओर हैं।

भ्रष्टातंकी पाले चेले

आओ धरना-धरना खेलें। (२)

कहां गई सस्ती बिजली,

कहां गया मुफ़्ती पानी,

कहां गया वह लोकपाल,

कहां गया झूठा दानी?

देखें दिल्ली कब तक झेले

आओ धरना-धरना खेलें। (३)

नगर देहली रोटी सेके,

गाज़ियाबाद में चूल्हा,

बाराती हैं रजधानी में,

गायब रहता दूल्हा।

सड़क जाम लगाये ठेले

आओ धरना-धरना खेलें। (४)

पेट नहीं भरता भाषण से,

दशकों से सुनते आये हैं,

झूठे वादे, झूठे सपने,

अब तक हम इतना पाये हैं।

कड़वा थू-थू, मीठा ले लें

आओ धरना-धरना खेलें। (५)

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