आइये जाने वर्ष 2012 के विवाह मुहूर्त (लग्न मुहूर्त) ; Hindu Marriage Dates for 2012

इस साल अप्रैल तक होंगे शादी विवाह–(बजेगी शहनाई और गुंजेंगे मंगल गीत)—

लंबे अंतराल के बाद 15 जनवरी,2012 से पुनः वैवाहिक कार्यों की शुरुआत होने के कारण शहनाइयों के साथ मंगल गीतों की गूंज फिर सुनाई देने लगी है। गुरु और शुक्र का

तारा अस्त होने के साथ ही धनु-मीन की संक्रांति (मलमास) और देवशयन काल की वजह से लंबे अंतराल से शादियां नहीं हो रही थीं।

* जनवरी से अप्रैल तक है विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त।

* संक्रांति के बाद किए गए विवाह के परिणाम शुभ।

* बसंत पंचमी व अक्षय तृतीया पर विशेष शुभ मुहूर्त।

ज्योतिषियों की राय में विवाह और सुखी दांपत्य जीवन के मद्देनजर समय शुद्धि बहुत महत्वपूर्ण है। संक्रांति को मलमास की समाप्ति होने के कारण शादियों का सिलसिला फिर शुरू हो गया।

ज्योतिषीय आंकलन के अनुसार इस साल (2012 ) में गुरु और शुक्र ग्रह की वक्र दृष्टि पड़ रही है। इसलिए कोई भी शुभ/अच्छा मुहूर्त देखकर अपना विवाह संपन्न करवा लेवें…वेसे भी वर्ष में छह महीने विवाह के लिए उत्तम माने गए हैं। छह महीने में चार महीने विष्णु शयन एवं दो महीने खरमास के कारण विवाह निषिद्ध होता है। शादी-विवाह माता-पिता के साथ-साथ हर एक युवक-युवती का सपना होता हें..यदि अच्छा जीवन साथी मिल जाये और श्रेष्ठ मुहूर्त में विवाह संपन्न हो जाये तो जीवन शुखी और आनंद पूर्वक गुजरता हें..इसीलिए हिन्दू विवाह हेतु शुभ मुहूर्तों की व्यवस्था की गयी हें…जीवनसाथी के साथ सात फेरों में बंधने को आतुर युवक-युवतियों के लिए इस वर्ष 2012 में विवाह के अनेक मुहूर्त हैं।

उत्तम मुहूर्त में शादी करने से वर-वधू का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है. बाधाएं उपस्थित नहीं होतीं हैं.अतः विवाह शुभ लग्न व मुहूर्त के साथ-साथ शुद्ध मंत्रोच्चार व विधि विधान से ही होना चाहिए

ज्योतिर्विद पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि जैसे सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेगा वैसे ही शुभ कार्यों का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। सूर्य उत्तरायण होंगे और देवताओं के प्रभातकाल की शुरुआत हो जाएगी। जनवरी में विवाह की सर्वाधिक तिथियां हैं। जब स्त्री और पुरुष के आपसी संबंधों के लिए विवाह मिलान किया जाता है तथा दोनों के ग्रहों को राशि स्वामियों के अनुसार समय को तय किया जाता है तभी विवाह किया जाता है, और उसी ग्रह के नक्षत्र के समय में लगन और समय निकाल कर विवाह किया जाता है।

इस संबंध में ज्योतिर्विद पंडित दयानन्द शास्त्री ने कहा कि जब सूर्यदेवता दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं तो ये काल देवताओं का काल रहता है। इसमें विवाह आदि संस्कार श्रेष्ठ माने गए हैं। मकर संक्रांति के बाद विवाह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है। इस काल में किए गए विवाह के परिणाम शुभ मिलते हैं। इसके साथ ही मकर संक्रांति के पर्व से विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य शुरू हो गए। अप्रैल माह तक चलने वाले शादी समारोह को लेकर लोगों ने जोरदार तैयारियां शुरू कर दी हैं। जनवरी से शुरू हुए विवाह समारोह अब अप्रैल तक चलेंगे।

सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही शुभ कार्य शुरू हो गए हैं। अप्रैल तक दो अबूझ मुहूर्त भी हैं। जिसमें 28 जनवरी को बसंत पंचमी व 24 अप्रैल,2012 को अक्षय तृतीया पर्व है। इसमें बिना मुहूर्त के भी कई लोग शादी-विवाह करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर सामूहिक विवाह समारोह का भी आयोजन होता है।

इस वर्ष 15 जनवरी,2012 से शुरू हुए विवाह मुहूर्त में 16, 18, 19, 27, 28 जनवरी को विवाह संपन्न किए जा सकते हैं।

19 जनवरी 2012 —माघ कृष्ण पक्ष ११ गुरुवार..

28 जनवरी को बसंत पंचमी का अबूझ सवा/मुहूर्त रहेगा..

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फरवरी,2012 :—-निम्न मुहूर्त शुभ रहेंगे—-

08 -02 -2011–फ़ाल्गुन कृष्ण पक्ष १ बुधवार

10 -02 -2011-फ़ाल्गुन कृष्ण पक्ष ३ शुक्रवार

17 -02 -2012–फ़ाल्गुन कृष्ण पक्ष १० शुक्रवार

24 -02 -2012–फ़ाल्गुन शुक्ल पक्ष ३ शुक्रवार

25, 26, 27 तारीख।

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मार्च,2012 : 9 व 11 तारीख के विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त हैं।

1 से 8 मार्च 2012 तक होलाष्टक होने से भी विवाह के मुहूर्त नहीं दिए गए हैं।

मई में गुरु-शुक्र तारा अस्त होने से मुहूर्त नहीं,

14 मार्च से मीन संक्रांति का मलमास लगेगा।

14 अप्रैल तक विवाह के लिए मुहूर्त नहीं हैं।

3 मई को गुरु अस्त, 18 मई को उदय होंगे।

1 जून को शुक्र अस्त, 11 जून को पुन: उदय।

जून 2012 में 24, 27, 29 जून को विवाह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त आ रहे है। इन दिनों में जमकर विवाह होंगे।

ग्रीष्मकाल के माह अप्रैल, मई एवं जून की तिमाही में महज 9 शुभ मुहूर्त विवाह समारोह के लिए बन रहे हैं। जिनमें 13, 24, 25 एवं 30 अप्रैल, एक मई तथा 12, 24, 27 एवं 29 जून को शुभ महूर्त बन रहे हैं।

 

 

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