संरक्षण ही संग्रहालयों की असली जीवनरेखा है !

प्रत्येक वर्ष 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले हमें यह समझने की जरूरत है कि आखिरकार संग्रहालय है क्या ? आइए सरल शब्दों में हम इसे समझते हैं। दरअसल, संग्रहालय शब्द का यदि हम विच्छेद करें तो यह शब्द ‘संग्रह’ धन ‘आलय’ से बना है। ‘संग्रह’ का अर्थ है-‘इकट्ठा करना’ और ‘आलय’ का मतलब होता है-‘घर’। अर्थात संग्रहालय का मतलब है-ऐसा स्थान जहाँ विभिन्न वस्तुओं को संग्रह करके रखा जाता है। संग्रहालय को अंग्रेजी में म्यूजियम कहा जाता है। संग्रहालयों के भ्रमण से  हमें विभिन्न संस्कृतियों, समाजों और समय अवधि के बारे में जानने का अवसर मिलता है। संग्रहालयों में हमें विभिन्न जानवरों, पौधों और खनिजों की विभिन्न प्रजातियों के नमूनों, जीवाश्म, कंकालों, मूर्तियों, भित्ति चित्रों, पेंटिंग्स की एक विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलती है। संग्रहालय न केवल मनोरंजन का एक बड़ा स्रोत हैं बल्कि सीखने और खोज के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन है। वास्तव में संग्रहालय हमारे अतीत के असली संरक्षक होते हैं। एक प्रकार से ये गैर-लाभकारी संस्थाएं होती हैं जो इतिहास, संस्कृति, हमारी विरासत को संजोए रखते हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि

प्राकृतिक इतिहास का स्मिथसोनियन राष्ट्रीय संग्रहालय दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक इतिहास संग्रह है। यहाँ यह भी जानकारी देता चलूं कि संग्रहालय को अजायबघर भी कहा जाता है। विभिन्न संग्रहालयों में मूर्तियां, भित्ति चित्र, पेटिंग्स, विभिन्न प्रकार की पुरातत्व वस्तुएं सुरक्षित रहती हैं। वैसे तो भारत में बहुत से संग्रहालय स्थित हैं लेकिन कुछ प्रमुख संग्रहालयों में क्रमशः राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली, द प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, मुंबई(छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय), सरकारी संग्रहालय, चेन्नई, राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली, कैलिको संग्रहालय ऑफ़ टेक्सटाइल्स, अहमदाबाद(इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन कपड़ा संग्रहालय भी कहा जाता है), सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद,शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम, दिल्ली,नेपियर संग्रहालय , तिरुवनंतपुरम,एचएएल हेरिटेज सेंटर और एयरोस्पेस संग्रहालय, बेंगलुरु, भारतीय संग्रहालय(इंडियन म्यूजियम) , कोलकाता,हावड़ा रेल संग्रहालय,राष्ट्रीय कृषि विज्ञान म्यूजियम,छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय, मुंबई को शामिल किया जा सकता है। अहमदाबाद में तो पतंग संग्रहालय तक स्थित है, जहाँ पतंगों के बारे में आकर्षक तथ्य प्रदर्शित किए गए हैं। नई दिल्ली में राष्ट्रीय रेल संग्रहालय स्थित हैं, जहां पर भाप के पुराने इंजन उपकरण, अन्य चीजें बड़े जतन से सम्हाल कर रखी गईं हैं। भारत के दक्षिण में कन्याकुमारी में बेवाच वैक्स म्यूजियम स्थित है ,जो देश का पहला मोम संग्रहालय है। मेडम तुसाद की तर्ज पर बने हुए इस संग्रहालय में प्रसिद्ध व्यक्तियों व सितारों के मोम के पुतले बना कर रखे गए हैं। गुवाहाटी में मायोंग ब्लैक मैजिक एंड विचक्राफ्ट संग्रहालय स्थित है। इस संग्रहालय में विभिन्न पौराणिक महाकाव्य और काले जादू और आयुर्वेद की कुछ प्राचीन पांडुलिपि हैं। सिरमौर में फॉसिल पार्क संग्रहालय स्थित है,इसे  शिवालिक फॉसिल पार्क के रूप में भी जाना जाता है, यह शिवालिक स्तनधारियों के संरक्षण और शिवालिक जीवाश्मों के साथ एक अद्वितीय स्थान रखता है। वैसे पद्मनाभ स्वामी के मंदिर के तलघर भी एक प्रकार के संग्रहालय ही हैं।महाराष्ट्र और राजस्थान के राज घरानों में अनेक प्राचीन संग्रहालय हैं। वाराणसी बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक,केरल में प्राचीन पुस्तकों के अनेक संग्रहालय हैं। यह संग्रहालयों के प्रति भारत की समृद्ध परंपरा के प्रमाण हैं।आज भी भारत में ऐसे अनेक संग्रहालय हैं जिनका दौरा किये बिना भारत की सांस्कृतिक इतिहास या संस्कृति की जानकारी अधूरी ही रहती है।सरकारों द्वारा इन संग्रहालयों का निर्माण और संचालन किया जा रहा है, लेकिन आज भी संग्रहालयों की मेंटेनेंस के लिए बजट का अभाव रहता है और इसके अभाव में हम अपनी संस्कृति, सभ्यता को लगातार खो रहे हैं। कोलकाता में भारत का सबसे बड़ा वनस्पति संग्रहालय स्थित है। वास्तव में, संग्रहालय (म्यूजियम) एक ऐसा स्थान, जगह या यूं कहें कि एक प्रकार का संस्थान है जो समाज की सेवा और विकास के लिए जनसामान्य/आमजन के लिए खोला जाता है और इसमें मानव और पर्यावरण की विभिन्न विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है जिसका उपयोग शिक्षा, शोध, विभिन्न अध्ययनों और मनोरंजन के लिए होता है। किसी भी देश की सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए संग्रहालयों का बहुत महत्व होता है। संग्रहालय राष्ट्र की भावनाओं को प्रदर्शित करते हैं। हम संग्रहालयों में अपने पूर्वजों द्वारा प्रयोग की गई वस्तुओं को देख सकते हैं कि वे कौन कौन सी चीजें प्रयोग में लाते थे। ये हमारे ज्ञान में अभूतपूर्व बढ़ोतरी करते हैं। मनोरंजन तो होता ही है। संग्रहालय हमारी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्य की वस्तुओं और सामग्रियों को एकत्र और संरक्षित करते हैं। वे मनोरंजन का बहुत अच्छा साधन होते हैं। ये संग्रहालय ही होते हैं जो हमारे देश भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने में मदद करते हैं। वास्तव में, संग्रहालय पुरानी कलाकृतियों, मूर्तियों, वस्तुओं, इतिहास आदि का भंडार होते हैं, इनको देखकर हम इतिहास का गहन ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। संग्रहालयों में विभिन्न कलात्मक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या वैज्ञानिक महत्व की कृतियों और अन्य वस्तुओं का संग्रह रखा जाता है। कई सार्वजनिक संग्रहालय इन वस्तुओं को प्रदर्शन के माध्यम से जनता के देखने के लिए उपलब्ध कराते हैं, जिनकी मामूली टिकट भी रखी जाती है। बहुत से स्थानों पर ये आम जनता के देखने के लिए नि:शुल्क भी उपलब्ध हो सकते हैं। हम यह बात भी कह सकते हैं कि हर देश की सभ्यता-संस्कृति को समझने में कई वस्तुएं विशेष योगदान निभाती हैं जिन्हें संग्रहालयों में सहेजकर बरसों बरसों तक सुरक्षित रखकर जिंदा रखा जाता है। जानकारी देना चाहूंगा कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1977 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद् या आई.सी.ओ.एम. (इंटरनेशनल कॉउंसिल ऑफ म्यूजियमस) द्वारा की गई थी। वास्तव में, संग्रहालयों की विशेषताओं और उनके महत्व को समझते हुए ही संयुक्त राष्ट्र ने  वर्ष 1983 में 18 मई को विश्व संग्रहालय दिवस(इंटरनेशनल म्यूजियम-डे) के रुप में मनाने का निर्णय किया था। यहाँ यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि आमजन में संग्रहालयों(म्यूजियमस) को लेकर जागरूकता बढ़ाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। यहाँ यह भी बताता चलूं कि वर्ष 2021 की थीम: “संग्रहालयों का भविष्य: पुनर्प्राप्ति और पुन: कल्पना” ( द फ्यूचर ऑफ म्यूजियमस: रिकवर एंड रिइमेजिन। वर्ष 1814 में एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल (एशियाटिक सोसाइटी की वर्तमान इमारत, 1 पार्क स्ट्रीट, कोलकाता) के पालने में स्थापित, भारतीय संग्रहालय न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में बल्कि एशिया में भी सबसे पुराना और सबसे बड़ा बहुउद्देशीय संग्रहालय है। भारतीय संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1814 में कोलकाता (कलकत्ता), भारत में एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल द्वारा की गई थी। संस्थापक क्यूरेटर नथानिएल वालिच, एक डेनिश वनस्पति शास्त्र थे। यदि हम यहाँ विश्व के सबसे बड़े संग्रहालय की बात करें तो जानकारी मिलती है कि रूस के सेंट पीट्सबर्ग का हरमिटेज संग्रहालय दुनिया का सबसे बड़ा और पुराने संग्रहालयों में से एक है। वर्ष 1764 में रानी कैथरीन ने इसका उद्घाटन किया था और यहां 30 लाख से ज़्यादा कला और संस्कृति को दर्शाती वस्तुएं रखी/प्रदर्शित की गई हैं। इस विस्तृत सरकारी संग्रहालय के परिसर में कई इमारतें हैं। विश्व का प्रथम संग्रहालय वर्ष 1861 में बर्लिन में स्थापित किया गया था जो पुरानी राष्ट्रीय गैलरी (आल्ते नेशनलगैलरी) 19वीं सदी की मूर्तियों और चित्रों को प्रदर्शित करता है। जानकारी मिलती है कि भारत में लगभग 1,000 संग्रहालय हैं। यह भी जानकारी मिलती है कि कोलकाता के मध्य में जवाहरलाल स्ट्रीट पर भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन संग्रहालय स्थित है। इसे कलकत्ता इंपीरियल संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है। यह संग्रहालय कुल छह खंडों में बनाया गया है जिनमें आर्कियोलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी, जियोलॉजी, जूलॉजी, इंडस्ट्री और आर्ट शामिल किए गए हैं। अंत में यही कहूंगा कि संग्रहालय हमारे देश की विरासत, संस्कृति और इतिहास हैं। अधिकतर संग्रहालय जन सहयोग व शासकीय संरक्षण से ही चलते हैं अतः यह हम सभी का दायित्व बनता है कि हम इनमें रखी वस्तुओं, पुरातत्व चीजों/वस्तुओं का अवलोकन करें और हमारे देश के ऐतिहासिक ज्ञान, संस्कृति सभ्यता की यह विरासत आने वाली पीढ़ियों को भी हम जरुर दिखाएं। हमारे देश के विभिन्न संग्रहालय हमारी भारतभूमि की गौरवगाथा और इतिहास अपने आप में समेटे हुए हैं और देश की पुरातन संस्कृति और इतिहास की पताका फहरा रहे हैं। इसलिए इनका संरक्षण बहुत ही जरूरी है। हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि संरक्षण ही संग्रहालयों की असली जीवन रेखा है। अतः हमें इनके संरक्षण, संवर्धन के साथ ही सदैव इनकी रक्षा करनी चाहिए, यह हम सभी का नैतिक दायित्व भी है।

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