
—विनय कुमार विनायक
कुत्बुद्दीन ऐबक का उतराधिकारी
पुत्र ‘आराम’ को हराम कर आया इल्लतुतमिश
इल्वारी नस्ल का एक नया गुलाम
कुत्बुद्दीन ऐबक का जमाता
जो कहलाया ‘दिल्ली का प्रथम सुल्तान’
उसने चलायी इक्तेदारी प्रथा,
और चलाया चांदी का टंका, पीतल का जीतल
और बनाया चालीस गुलाम का एक दल
‘तुर्कन-ई-चहलगान’
अब गुलाम ही गुलाम थे,
यहां-वहां-जहां कभी बैठते थे
भारत के बेटे वीर पृथ्वीराज चौहान!
भारत में अब तुर्की सत्ता
बन गई कैसी हाय अलबत्ता
गजनी के यालदूज, सिन्ध के कवाचा
और लखनौती के अली मर्दान का
कट गया संग-संग पत्ता!
जालौर-रणथम्भौर जीतकर
इल्लतुतमिश की बढ़ गई शान
पूर्व ही उसने मंगोलों से छुटकारा पाया
और चंगेज़ को बहलाया था।
किन्तु घड़ी बारह सौ छत्तीस की
मौत बन आई इल्लतुतमिश की
तब कुत्बुद्दीन की नातिन रजिया
बारह सौ छत्तीस से चालीस तक
याकूब से आँखें लड़ाकर
अल्तुनिया से किया ब्याह
किन्तु अन्य गुलाम के हाथों
मारी गई भोली रजिया!
छह वषों तक दिल्ली में मचा रहा कोहराम
जब गद्दी पर बैठे थे कुछ गुलामवंश के पिल्ले
बहराम, मसूद और नशीरुद्दीन महमूद सुल्तान
विद्रोह किया बलबन ने
जो था सदस्य दास चहलगान का
नायब था नशीरुद्दीन सुल्तान का
बना बधिक सुल्तान जमाता का
और गद्दी पायी बारह सौ पैंसठ में पापी ने!
बलबन था बड़ा क्रूर-कठोर-दंभी
ऊंचा सिरछद्द मीटर भर दाढ़ी लंबी
सिजदा और पाबोस प्रथा चलायी
(सिर झुकाकर पांव चुमने की प्रथा )
गैर तुर्क लोगों पर महाकहर बरपाया
दीवान-ए-आरिज (सैन्य विभाग)का
स्थापक बलबन था इस्लामपरस्त!
ईरान सा उसका दरबार सजा था
वह दैवी सिद्धांतवादी राजा था
नौ रोज का त्योहार/नव वर्ष दिवस
उससे चला एक रिवाज था।
बलबन बारह सौ छब्बीस में
बना परलोक वासी
मुहम्मद था उसका ज्येष्ठ कुमार
जो मौत का हुआ शिकार
मंगोल सरदार तामर के हाथों
सन् बारह सौ पचासी में
जिसका पुत्र कैखुसरो था
सत्ता का घोषित हकदार
किन्तु मलिक अमीरों ने,
छद्म सत्ता चोरों ने
बलबन के द्वितीय पुत्र
बुगरा खां का कमसिन सुपुत्र
कैकुबाद से गद्दी किया आबाद
सुरा-सुन्दरी का अतिशय भोगी
कैकु हुआ अपंग यौवन में
कैमुर्स शिशु सुल्तान बना बचपन में
नायब जलालुद्दीन हर्षित हुआ मन ही मन में
किन्तु मलिक कच्छन और सुरखा
रोड़ा बनकर आया,पर गैर तुर्क सहयोग से
जलालुद्दीन खिलजी सत्ता पर छाया।
ग्यारह सौ बेरानबे में पृथ्वीराज को
मारनेवाला मुहम्मद गोरी था निर्वंश
बारह सौ छह में उनकी मौत पर
तीन जरखरीद गुलामों ने बांटी सत्ता
गजनी को यालदूज,सिंध-मुलतान को कुंबाचा,
शेष भारत कुत्बुद्दीन ऐबक का हिस्सा
मामलूक कुत्बुद्दीन ने समझौता किया
यालदूज से बेटी ली,कुंबाचा को बहन दिया
और इल्लतुतमिश को बेटी दे दी!
कुत्बुद्दीन ने ना सुल्तान की उपाधि ली
ना सिक्का चलवाया,ना खुतबा पढ़वाया
लाहौर में राजधानी बना रहा आजीवन मलिक
दिल्ली का पहला सुल्तान था इल्लतुतमिश
बारह सौ ग्यारह से बत्तीस तक था काबिज,
इल्लतुतमिश पुत्री रजिया पहली सुल्तान स्त्री
मिन्हाज ए सिराज थे इल्लतुतमिश के दरबारी
जिसने लिखा इतिहास तबकाते नासिरी!