उतना दूर नहीं आकाश|
दृढ़ विश्वास सबल शक्ति हो,
तो पाओगे बिल्कुल पास|
अगर नहीं छू पाये तो भी,
मत होना तुम कभी उदास|
सूरज लाखों मील दूर है,
देने आता तुम्हें प्रकाश|
ऊँचा रखना शीश हमेशा,
कभी न होना शीघ्र उदास|
तुम पर ही दुनियाँ निर्भर है,
नहीं किसी के तुम हो दास|
मंजिल तक जाना पड़ता है,
मंजिल कभी न आती पास|
कर्म करो फल मिलता ही है,
बात समझ पाते सब काश|
भले पहिन लो वस्त्र कीमती ,
ढेर ढेर दौलत हो पास ,
अगर चाहते शीघ्र सफलता,
तो आवश्यक बुद्धि विकास|