दिवाली या दिवाला ?

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diwali_small‘दीपावली’, एक पावन त्यौहार। जिसके आते ही दीप जलाये जाते हैं, खुशियां मनायी जाती हैं, तरह-तरह की मिठाईयां, पकवान, पटाखे और नये कपड़े खरीदे जाते हैं, घरों को साफ किया जाता है। लेकिन आज दिवाली आने पर आम लोगों के चेहरे उतरे नजर आ रहे हैं। कारण है महंगाई, महंगाई ने आज आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है।

दिवाली आते ही जेबें ढीली होने का डर सताने लगता है। सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। त्यौहार आने से पूरे घर का बजट बिगड़ जाता है पर करें भी तो क्या करें। बढ़ती मंहगाई ने अमीर व गरीब के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। अब गरीब आदमी की तो मन गई दिवाली। वो तो सिर पकड़कर बैठ जाता है कि दिवाली कैसे मनाए। और अगर मंहगाई से बच गए तो नकली मिठाई, नकली पटाखे आदि आपका दीवाला निकाल देंगे और रही-सही कसर प्रदूषण और शराबी लोग पूरी कर देंगे। अब आप ही सोचिए ‘दिवाली या दिवाला’।

-हिमांशु डबराल

2 COMMENTS

  1. अब दिवाली या दिवाला-शुभकामना तो ले ही लें:

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    सादर

    -समीर लाल ‘समीर’

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