क्या पाकिस्तानी हुकमरानों को भारत की ताकत पर अब भी कोई संशय रह गया है?

                    रामस्वरूप रावतसरे

रावलपिंडी सैन्य मुख्यालय के जनरल पाकिस्तान को एक खतरनाक रास्ते पर ले जा रहे हैं। जनरल असीम मुनीर की अगुवाई में पाकिस्तान ने जो रास्ता पकड़ा है, उसकी मंजिल सिर्फ तबाही है। भारत ने पाकिस्तान के अंदर आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसके बाद लगा कि पाकिस्तान की सरकार भी तनाव बढ़ाने को तैयार नहीं है लेकिन पिछले दो दिनों से जो कुछ हो रहा है, उससे लगता है कि पाकिस्तानी जनरलों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने आतंकी ठिकानों के सफाए का बदला लेने की ठान ली और पाकिस्तान सरकार को अपने इशारे पर चलने पर मजबूर कर दिया क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के तत्काल बाद पाकिस्तानी सरकार की प्रतिक्रिया और उसके बाद पाकिस्तानी फौज की करतूत में जमीन-आसमान का अंतर नजर आ रहा है।

22 अप्रैल को पहलगाम हमले में पाकिस्तान में पले-बढ़े आतंकियों का हाथ है। उसके बाद से पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर पहले युद्धविराम का उल्लंघन शुरू किया। फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद वाली लगातार दो रातों 7-8 और 8-9 मई को ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिशें की हैं। भारतीय सशस्त्र सेना उसकी हर हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। पाकिस्तान पूरी तरह से फेल हो रहा है क्योंकि भारत के पास कहीं बेहतर हवाई सुरक्षा प्रणाली है। भारत ड्रोन बनाने का केंद्र बन रहा है जबकि पाकिस्तान के पास ऐसा कुछ नहीं है। भारत के पास पाकिस्तान से कहीं ज्यादा संसाधन हैं। चीन भी पाकिस्तान के इस लफड़े में पड़ने के लिए तैयार नहीं हो रहा। इसलिए, पाकिस्तान एक हारने वाला खेल खेल रहा है। भारत को आर्थिक और सैन्य तौर पर बड़ी बढ़त हासिल है। भारत लगातार तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है लेकिन अपनी संप्रभुता की कीमत पर हरगिज नहीं।

ऑपरेशन सिंदूर में जब भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर  में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले करके उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया था, तब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का पहला बयान इसी ओर इशारा कर रहा था कि वह कोई भड़काऊ जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा जबकि, पहले वाले इनके बयान काफी भड़कीले रहे थे लेकिन मुनीर की सेना अपनी सरकार की बात मानने को तैयार नहीं हुई। उन्होंने बदला लेने की कसम खाई और शहबाज शरीफ की सरकार को अपनी बात मानने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तान की यही सबसे बड़ी त्रासदी है कि सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है और सेना जो कहती है, वही होता है।

दुनिया में भारत आज कहां खड़ा है, इसे स्वीकार करने के लिए शायद पाकिस्तान तैयार नहीं है। जब भारतीय सशस्त्र सेना लाहौर में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानें पर उसके एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर रही थी, तब इस्लामिक सहयोग संगठन के दो महत्वपूर्ण देशों के मंत्रियों की विदेश मंत्री एस जयशंकर दिल्ली में मेजबानी कर रहे थे। ये देश हैं सऊदी अरब और ईरान। जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची और सऊदी अरब के मंत्री आदिल अल-जुबेर से अलग-अलग बैठकें कीं। ईरान तो पाकिस्तान का पड़ोसी भी है। भारत ने दोनों मुस्लिम देशों के मंत्रियों को ’’ऑपरेशन सिंदूर’’ के बारे में जानकारी दी। भारत ने बताया कि ये ऑपरेशन, पाकिस्तान की ओर से पहलगाम में किए गए आतंकी हमलों के बाद किया गया। सऊदी अरब और ईरान दोनों ने पहलगाम हमले की निंदा की है। विदेश मंत्री ने अपने मेहमानों को समझाया कि भारत की प्रतिक्रिया ’’नपी-तुली, सटीक और किसी तरह से भड़काने वाली नहीं’’ थी। भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे स्थिति और बिगड़े।

पहलगाम आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है तो ऑपरेशन सिंदूर के बाद हालात बेकाबू न हो, इसकी भी जिम्मेदारी उसी की है, यानी अब जो कुछ हो रहा है, उसे रोकने की पहल पाकिस्तान को ही करनी पड़ेगी और अमेरिका भी बिना कहे, इसी ओर संकेत दे रहा है। भारत ने हमेशा सीमा पार से होने वाली हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया है और आगे भी देता रहेगा। पाकिस्तान को यह याद रखना जरूरी है कि तनाव की शुरुआत उसी ने की है। भारत ने सिर्फ आतंकियों और उनके आकाओं के खिलाफ एक सटीक और लक्षित कार्रवाई की; और भारत ने दुनिया भर के देशों को अपना रुख स्पष्ट रूप से बता दिया है और दुनिया भर से मिल रही प्रतिक्रियाएं भी भारत के रुख की पुष्टि कर रही हैं।

    इसके बावजूद, पाकिस्तान की फौज ने ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश करके और उकसाने की कोशिश की। हालांकि, भारत के इंटीग्रेटेड काउंटर यूएएस ग्रिड और एयर डिफेंस सिस्टम, जिसमें टॉप-ऑफ-द-लाइन एस-400 भी शामिल है, ने उन सभी को हवा में ही मार गिराया है यानी इस मामले में पाकिस्तान फिर से भारत के सामने बौना साबित हुआ है। पाकिस्तान को 8 और 9 अप्रैल की रात को भी पश्चिमी सीमाओं पर भारतीय सशस्त्र बलों से इसी तरह का करारा जवाब मिला है। दरअसल, 2019 में बालाकोट के बाद से भारत ने अत्याधुनिक हवाई रक्षा ग्रिड बनाने पर काफी पैसा खर्च किया है। चाहे वह रूस से खरीदा गया एस-400 हो या फ्रांस से मंगवाए गए अचूक राफेल लड़ाकू विमान भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को लगभग अभेद्य बना दिया है। यही वजह है कि पाकिस्तान ने बुधवार और गुरुवार की रात अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर कई जगहों पर भारतीय सुरक्षा को तोड़ने की कोशिश की लेकिन उसके पास भारत की बराबरी का कुछ भी नहीं है। पाकिस्तान ने सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की जिसके जवाब में भारतीय सेना ने इजरायल में बने हारोप और हार्पी ड्रोन से पाकिस्तानी हवाई रक्षा प्रणालियों को भेद दिया और लाहौर में हवाई रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया।

ड्रोन भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत पाकिस्तान से बहुत आगे है। भारत ड्रोन बनाने का केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है जबकि इस्लामाबाद के पास ऐसा कोई औद्योगिक आधार नहीं है और वह शायद सिर्फ तुर्की और चीन के ड्रोन पर ही निर्भर रह सकता है। इन सब बातों को देखते हुए, इस्लामाबाद के लिए नई दिल्ली के साथ लंबी लड़ाई लड़ना मुश्किल होगा। उसके पास इतने संसाधन नहीं हैं। अगर वह तनाव बढ़ाता है, तो उसके पास गोला-बारूद भी खत्म हो सकता है। भारत के पास गोला-बारूद का मजबूत भंडार है, इसलिए उसे ऐसी कोई चिंता नहीं है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तान का ’’आयरन-ब्रदर’’ चीन भी आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है, जो पाकिस्तान को बिना कुछ कहे सब कुछ बता रहा है।

इसलिए, पाकिस्तान एक हारने वाला खेल खेल रहा है। भारत की आर्थिक शक्ति, संघर्ष के प्रभाव को झेलने की क्षमता और कहीं ज्यादा मजबूत सैन्य ताकत उसे स्पष्ट बढ़त दिलाती है। भारत लगातार तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के जनरलों को अब यह समझ जाना चाहिए और पीछे हट जाना चाहिए। उन्हें आत्महत्या का रास्ता छोड़ देना चाहिए।

  पहलगाम में 26 निर्दाष जिंदगियों को निगलने वाले आतंकी हमले के बाद भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि वह आतंकवाद के खिलाफ कितना सख्त और बुलंद है। ’’ऑपरेशन सिंदूर’’ के जरिए भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, बल्कि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति भी तेज कर दी। विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल दुनियाभर के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं, ताकि पाकिस्तान में पल रहे आतंक के सच को हर देश तक पहुंचाया जाए। यूएनएससी के सदस्य देशों से लेकर बड़े मुल्कों के शीर्ष अधिकारियों तक, भारत ने सभी को इस ऑपरेशन की जानकारी दी है।

बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक विशेष कूटनीतिक मिशन में जुट गए। डोभाल ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, सऊदी अरब, यूएई, जापान और फ्रांस के शीर्ष नेताओं व सुरक्षा अधिकारियों से संपर्क कर ऑपरेशन की कार्रवाई को स्पष्ट किया जिसमें केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, न कि पाकिस्तानी नागरिक या सैन्य प्रतिष्ठानों को। दूसरी ओर, जयशंकर ने वैश्विक मंच पर भारत की शून्य सहिष्णुता की नीति को रेखांकित करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के दृष्टिकोण से अवगत कराया। यह समन्वित प्रयास भारत की स्थिति को मजबूत करने, क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए था।

सुबह के सन्नाटे में, जब दुनिया सो रही थी, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने ’’ऑपरेशन सिंदूर’’ को अंजाम दिया। 1.05 बजे से 1.30 बजे तक, सिर्फ 25 मिनट में, नौ आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे खूंखार संगठनों के 90 से ज्यादा आतंकी इस कार्रवाई में ढेर हो गए। यह ऑपरेशन इतना सटीक था कि मानो भारत ने आतंक की रीढ़ ही तोड़ दी! विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसे ’’बढ़ावा नहीं, बल्कि जवाब’’ करार दिया। उन्होंने साफ कहा, ’’हमने विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की, जिसका एकमात्र मकसद था,  आतंकवाद को जड़ से उखाड़ना।’’

दिल्ली में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 13 विदेशी राजदूतों के साथ एक हाई-प्रोफाइल ब्रीफिंग की। इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन की पूरी कहानी बयां की। ब्रिटेन के एक सवाल पर कि क्या भारत ने मस्जिदों को निशाना बनाया, मिस्री ने दो टूक जवाब दिया, ’’हमने एक ऐसे परिसर को निशाना बनाया, जहां आतंकी कैंप चल रहा था।’’ यह जवाब न सिर्फ भारत की पारदर्शिता दिखाता है, बल्कि उसकी सटीकता भी दिखाता है।

पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत के हमलों में आम नागरिक मारे गए, लेकिन भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मिस्री ने कहा, ’’हमने ठिकानों को इतनी सावधानी से चुना कि कोई नागरिक या गैर-सैन्य ढांचा प्रभावित न हो।’’ विंग कमांडर सिंह और कर्नल कुरैशी ने भी यही भरोसा दिलाया कि ऑपरेशन में नागरिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ। यह भारत की सैन्य ताकत के साथ-साथ उसकी नैतिकता को भी दर्शाता है।

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी है – आतंकवाद को पनाह देना अब महंगा सौदा साबित होगा। भारत ने बार-बार कहा है कि वह अपनी जमीन पर आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस कार्रवाई ने न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत का लोहा मनवाया, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंक के खिलाफ उसकी अग्रणी भूमिका को भी मजबूत किया।

भारत अब इस ऑपरेशन को वैश्विक मंच पर ले जाकर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा कर रहा है। विदेश मंत्रालय और एनएसए की गहन कूटनीतिक कोशिशों से भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है। यूएनएससी के सदस्यों और बड़े देशों के साथ भारत की बातचीत इस बात का सबूत है कि वह आतंक के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।

ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ भारत की आतंकवाद के खिलाफ जंग में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अगर पाकिस्तान ने आतंक को समर्थन जारी रखा तो भारत और सख्त कदम उठाने से नहीं हिचकेगा।

रामस्वरूप रावतसरे

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