इस बार रावण दशहरे पर आया,
राम से बोला और वह चिल्लाया।
पहले अपने मुख पर मास्क लगाओ,
फिर आकर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
कोरोना काल है,मेरी भी है मजबूरी,
मुझसे रक्खो सब दो गज की दूरी।
मेरे निकट जो भी कोई आ जायेगा,
काल का ग्रास एक दम बन जायेगा।।
अबकी बार लंका भी न जल पायेगी,
क्योंकि उससे भी दूरी रक्खी जायेगी ।
अगर लंका को तुमने जलाना है,
दूर से उस पर हथगोले चलाना है।।
इस बार मेघनाथ शक्ति बाण नहीं चलायेगा
केवल कोरोना बाण से ही काम चलायेगा।
जिससे लक्ष्मण भ्राता मूर्छित हो जायेगा।।
और हनुमान चीन से वैक्सीन लायेगा।।
इस बार कुंभकर्ण को भी न मार पाओगे,
कोरोना के कारण वह सोता ही रह जायेगा।
रही बात लंका के दूसरे राक्षसों की,
वे तो कोरोना के कारण ही मर जाएंगे।।
इस बार तुम मुझे न मार पाओगे,
पर मेरा दाह संस्कार भी न कर पाओगे।
इस बार कोरोना वाले ही मुझे ले जायेंगे,
वे ही मेरा अंतिम संस्कार कर पायेंगे।।
इस बार विभीषण का राजतिलक न हों पायेगा,
क्योंकि वह डर के मारे राम के पास रह जायेगा।
कोरोंना काल में इस तरह भारत में,
बड़े दुःख से दशहरे को मनाया जायेगा।।