12 जून जन्म दिवस पर विशेष….
सुरेश हिन्दुस्थानी
वर्तमान में देश की राजनीति का जो स्वरुप हमारे सामने है, उसमें धवल चित्र और चरित्र की पहचान करना बहुत ही कठिन कार्य है। लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो लोकतंत्र की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं। भारतीय राजनीति के लोकपथ पर अहर्निश और अनथके योद्धा के रुप में गमन करने राजनेताओं की कोई श्रंखला बनाई जाए तो वह सूची निश्चित रुप से केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नाम के बिना अधूरी ही कही जाएगी। वे प्रारंभ से लेकर आज तक सत्यनिष्ठा और उज्जवल छवि के साथ लोक जीवन में अबाध गति से सक्रिय हैं। श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सत्ता बहुत निकट से देखी है और उसे जीया भी है, लेकिन उनके अंदर किसी ने भी आज तक सत्ता का अहंकार नहीं देखा। आज के जमाने में ऐसे नेता विरले ही होते हैं।
राजनीति में मात्र छोटे से पद को प्राप्त करने के बाद जहां अन्य राजनेता अपने आपको अतिविशिष्ट श्रेणी का राजनेता मानने की भूल कर बैठता है, वहां नरेन्द्र सिंह तोमर राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचने के बाद भी अपने आपको आम व्यक्ति की तरह बनाए हुए हैं। यह चरित्र और स्वभाव ही उनकी विशेषता है। नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रदेश और देश की राजनीति में ठोस कदम रखकर जो ठोस धरातल कायम किया है, वह निश्चित रुप से एक तपस्या है, एक साधना है। वे राजनीतिक वैभव की जगह समन्वय और सादगी में विश्वास करने वाले राजनेता हैं। यह उनके स्वयं के गुण और परिवार तथा संगठन से मिले संस्कारों का ही परिणाम है कि उनके पास अहंकार नाम की कोई चीज नहीं है। जब वे मंत्री नहीं थे तब भी और आज मंत्री बनने के बाद भी वे अत्यंत सहज हैं और पूरी आत्मीयता के साथ ही सभी से मुलाकात करते हैं। उन्होंने वास्तव में आम और खास की दूरी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के लिए न तो कोई खास है और न ही कोई आम। सबके प्रति समदृष्टि और समता का व्यवहार ही उनकी कार्य शैली का महत्वपूर्ण अंग है। उनके व्यवहार को देखकर ऐसा ही लगता है कि सब उनके अपने हैं और वे आम जनता के लिए अपने हैं। कहीं कोई भेद नहीं।
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पोरसा विकासखंड के तहत आने वाले ग्राम ओरेठी में मुंशी सिंह तोमर नामक किसान के पुत्र नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म 12 जून 1957 को हुआ था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है। वे इस दौरान महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। शिक्षा पूरी करने के बाद वे ग्वालियर नगर निगम के पार्षद पद पर निर्वाचित हुए। इसके बाद वे पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय रहे। वे 1977 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष बनाए गए। वे युवा मोर्चा में विभिन्न पदों पर रहते हुए 1996 में युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। बाद में वे मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में कई जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के बाद अध्यक्ष बनाए गए। तोमर पहली बार 1998 में ग्वालियर से विधायक निर्वाचित हुए और इसी क्षेत्र से वर्ष 2003 में दूसरी बार चुनाव जीता। इस दौरान वे सुश्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे। बात करने की बजाए काम को प्राथमिकता देने वाले तोमर पहली बार प्रदेश के मुरैना संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2009 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। वे इसके पहले प्रदेश से राज्यसभा सदस्य थे। इसके बाद तोमर ग्वालियर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए और वर्तमान में एक बार फिर से मुरैना श्योपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए नरेंद्र सिंह तोमर संगठनात्मक क्षमता के कुशल रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें वर्ष 2008 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने उत्कृष्ट मंत्री के रूप में सम्मानित किया था। भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणा पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय चाहते थे कि देश में जब तक अंतिम छोर पर निवास करने वाले समाज के उत्थान के बारे में नहीं सोचा जाएगा, तब तक भारत का विकास संभव ही नहीं है। वैसे तो पूरी भाजपा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार अवधारणा पर ही अपना पूरा ध्यान केन्द्रित कर योजनाओं को संचालित कर रही है, लेकिन उनके सपनों को पूरी तरह से साकार करने के लिए केन्द्र सरकार की टीम के महत्वपूर्ण सदस्य नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपनी सारी योजनाओं को गांवों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। ऐसा लगता है कि उन्होंने गांवों के विकास में ही भारत का भविष्य देख लिया हो। यह शाश्वत सत्य भी है कि भारत के विकास का रास्ता गांवों से होकर ही जाता है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद देश की सरकारों ने गांवों पर उतना ध्यान नहीं दिया, जितना देना चाहिए। अब देश में नरेन्द्र मोदी की सरकार है और उनके मंत्रिमंडल में नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे मंत्री भी हैं, जिनकी दृष्टि गांवों के विकास पर केन्द्रित हो गई है।
श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के राजनीतिक जीवन की एक और बड़ी विशेषता यह भी है कि वे बिना किसी पक्षपात के योजनाओं का लाभ आम जनता को दिलाते हैं। वर्तमान में ऐसे राजनेता बहुत ही कम हैं जो बिना किसी भेद के काम करते हों, जब राजनेता केवल अपनों को ही उपकृत करते हैं, ऐसे में नरेन्द्र सिंह तोमर एक मिसाल हैं। वे नरेन्द्र मोदी सरकार के सूत्र वाक्य सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास वाली नीति पर ही काम कर रहे हैं। कहीं किसी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं। कोई द्वेष नहीं। वास्तव में श्री तोमर के स्वभाव में इन सब बातों के लिए कोई जगह ही नहीं है। वे भारतीय राजनीति में इसलिए भी बहुत सफल राजनेताओं की कतार में शामिल हैं, क्योंकि उन्होंने किसी भी पद को अपने साथ नहीं जोड़ा, बल्कि मेरी स्वयं की जिम्मेदारी क्या है, यही ध्येय वाक्य जीवन का प्राथमिक कर्तव्य बना और बना रहेगा।
आज वे भारतीय राजनीति के उन नेताओं के लिए एक श्रेष्ठ आदर्श बनकर उभरे हैं जो भारतीय राजनीति के माध्यम से देश भाव के साथ सेवा करना चाहते हैं। श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने राजनीति की पहली सीढ़ी से एक-एक कदम रखकर आज ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं, जो राजनेताओं के लिए एक प्रेरणा हैं। नरेन्द्र सिंह तोमर अपने कार्यों के माध्यम से यह संदेश अवश्य ही देते हैं कि यदि ईमानदारी और सत्य निष्ठा के साथ राजनीति की जाए तो आज भी सफलता के द्वार पर पहुंचा जा सकता है।