छोटे दलों का बड़ा सियासी मंसूबा

-एम. अफसर खां सागर-   religion & Politics

हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,

जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।

कुछ इसी हौंसले के साथ पुर्वांचल सहित समूचे उत्तर प्रदेश में सियासी परिवर्तन का परचम लहराने के लिए सात छोटे दलों का गठबंधन एकता मंच बेताब है। जिसका आगाज दो फरवरी को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के लंका मैदान में विशाल जनसैलाब से हो चुका है। सियासत हमेशा से संभावनाओं का खेल रहा है। फिल्वक्त मौका भी है और दस्तूर भी। दिल्ली का किला फतह करने के लिए बेताब कांग्रेस, भाजपा, सपा व बसपा सहित तमाम सियासी दल उत्तर प्रदेश में सियासी जमीन लताश रहीं हैं। कहते हैं दिल्ली के गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। इसीलिए कहीं विजय शंखनाद रैली के जरिए हुंकार भरा जा रहा है तो कहीं देश बचाओ-देश बनाओ रैली से जनता के बीच पैठ बनाने की रस्साकसी जारी है।

जातीय राजनीति के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश में एक नये ताने-बाने के साथ एक नई इबारत लिखने में जीजान से जुटे ये छोटे दल एकता मंच के बैनर तले स्वजातीय वोटों को एकजुट करने में कहां तक कामयाब होंगे ये तो वक्त ही बतायेगा मगर एक बात तय है कि इन दलों के गठजोड़ ने बड़े दलों के पेशानी पर सिकन जरूर ला दिया है। एकता मंच पिछड़ों, अति पिछड़ो व मुसलिम मतों को लामबंद कर नया व ठोस सियासी फार्मूला आजमाने की कोशिश में है। कौमी एकता दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय परिवर्तन दल, फूलन सेना, महान दल, सर्वजन विकास पार्टी सरीखे दल एकता मंच को जातीय मजबूती प्रदान करने के लिए लामबंद हैं। तभी तो गठबंधन के सभी दलों के नेताओं ने गाजीपुर की रैली में विकास, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी के साथ जाति का खूब बखान किया।

राष्ट्रीय परिवर्तन दल के अध्यक्ष पूर्व मंत्री डीपी यादव ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों, गरीबों, मजलूमों, बेरोजगारों का हक दिलाने, हक और अधिकार से वंचित जातियों और महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकार की लड़ाई लड़ने के मकसद से ही एकता मंच का गठन किया गया है। किसानों पर लाठी बरसाने वालों को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। गरीबों की लड़ाई लड़ने के लिए ही राजनीति में आया हूं। गरीब जनता ने ही मुझे प्रधान से मंत्री तक बनाया है। गरीबों की लड़ाई लड़ने के लिए ही मुझे माफिया और बाहुबली तक बना दिया गया लेकिन जनता की अदालत में हमेशा बरी होता रहा हूं। उत्तर प्रदेश की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे बड़े प्रदेश में चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ है। बिजली, पानी जैसी मूलभूत चीजें जनता को नहीं मिल पा रही हैं। उसपर दावा विकास का किया जा रहा है। अखिलेश सरकार की खिल्ली उड़ाते हुए डीपी यादव ने कहा कि कौन कहता है कि सरकार काम नहीं कर रही है। काबिना मंत्री आजम खां की सात भैंसे चोरी हो गई। भैंसों को खोजने के लिए पूर पुलिस अमला ही लग गया। जबकि किसी गरीब, किसान, व्यापारी से लूट होने पर सरकार व पुलिस को कोई परवाह नहीं होती।

भासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बसपा का वजूद मिटा देने की मैंने कसम खई है, जिसके लिए एकता मंच का गठन किया गया है। आने वाले लोकसभा चुनाव में तय मानिए पुर्वांचल में भाजपा की बोहनी नहीं होने दी जाएगी। कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि पूर्वांचल की आठ सीटों पर बनारस, बलिया, गाजीपुर, मिर्जापुर, सलेमपुर, राबर्टसगंज, कुशीनगर व घोसी पर किसी की दाल नहीं गलने वाली। सपा व बसपा ने जनता के साथ पूर्वांचल के साथ धोखा किया है। आगामी लोकसाभा चुनाव में पूर्वांचल सहित प्रदेश की जनता इन दलों को सब सिखायेगी। रैली में डीपी यादव को एकता मंच का संयोजक बनाया गया।

बैलगाड़ी से मोटर गाड़ी तक का सफर तय हुआ और पाती से मोबाइल की थाती तक। विकास की दौड़ में भारत हांफता हुआ चल रहा है। जहां अनेकों कल कारखानों का विकास हुआ, वहीं कदीमी दस्तगीरी ने दम तोड़ना शुरू किया। तकरीबन 18 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश का पूर्वी इलाका प्रति व्यक्ति आय में काफी पीछे है। लड़खड़ाती कास्तकारी दम तोड़ती दस्तगीरी विकराल रूप धारण करती बेरोजगारी हर रोज इलाका छोड़ते मजदूर और एक के बाद एक बन्द होते उद्योग धन्धे ने पूर्वांचल के लोगों के लिए चिंता का सबब है। पूर्वांचल ने तमाम सियासतदां को सियासत के पटल पर लाया मगर यहां के लोगों को वादों के सिवा कुद हासिल नहीं हो सका। शायद यही वजह है कि छोटे दलों ने गठबंधन कर बड़ा सियासी सिगूफा छोड़ने का काम किया है। मुसलमान, राजभर, यादव, चौहान, बिन्द, केवट, कुशवाहा सहित अन्य जातियों को एकता मंच के बैनर तले लाकर ये छोटे दल बड़ा सियासी मंसूबा बना रहे हैं, जो सपा, बसपा, भाजपा सहित दूसरे बड़े सियासी दलों के लिए चिंता का सबब हो सकता है। सियासी उंट किस करवट बैठेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। मगर एक बात तय है कि एकता मंच के आ जाने से पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है।

1 COMMENT

  1. चलो अच्छा है, समाजवादी पार्टी व ब स पा के गुंडई राज से एक बार तो मुक्ति मिलेगी यदि बहुमत मिल गया , बाद में तो इनको भी वैसा ही हो जाना है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,688 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress