फिक्की सभागार में सूफी कत्थक व संगीत का कार्यक्रम

नई दिल्ली। सदाबहार फनकार स्मृति शेष उस्ताद नुसरत फतेहअली खां साहब को याद करते हुए अथ इंटरटेन्मेंट प्रा. लि. द्वारा सांस्कृतिक संध्या ‘सजदा’ का आयोजन किया जा रहा है। ‘सजदा’ सूफी कथक और शास्त्रीय संगीत से सजी एक संगीतमय संध्या है। आयोजन का उद्देश्य भारतीय कला-संस्कृति को युवाओं के बीच आदर्श के रूप में स्थापित करना है। कार्यक्रम में युवा कत्थक नृत्यांगना अरुषी निशंक के द्वारा सूफी कत्थक का मंचन किया जाएगा, जिन्होंने हाल ही में ताज महोत्सव सहित राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों से नृत्य प्रस्तुत किया है । पश्चिमी देशों में भारतीय शास्त्रीयता को अपने संगीत से प्रतिष्ठत करने वाले संगीतकार व जाने-माने तबला वादक उदय मजुमदार के सुर-ताल से सजी इस संध्या में रूपेश पाठक और पियु नंदी का गायन होगा। कथक नर्तक वरुण बैनर्जी भी सूफी-कथक प्रस्तुत करेंगे, जिसे कोरियोग्राफ भी उन्होंने स्वयं किया है। सितार-वादन रोहन दास गुप्ता और बांसुरी-वादन भास्कर दास द्वारा किया जाएगा।

कार्यक्रम में संगीतप्रेमियों, संस्कृतिकर्मियों और बड़ी संख्या में युवाओं सहित देश की जानी-मानी हस्तियां भी उपस्थित हो कर भारतीय कला-संस्कृति के संवर्द्धन के इस अभियान को अपना समर्थन व मार्गदर्शन देंगे। विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रसिद्ध कथक-गुरू पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज, पूर्व उप-प्रधानमंत्री व वरिष्ठ राजनेता श्री लालकृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ राजनेता श्री मुरली मनोहर जोशी, श्री अभिनव भट्टाचार्या, सांसद श्री अर्जुन राय सहित कई गणमान्य उपस्थित होंगे।

अथ इंटरटेनमेंट प्रा. लि. फिल्म-निर्माण के क्षेत्र में कार्य करती है। ‘अथ’ का अर्थ है- प्रारंभ, और प्रारंभ के देव श्री गणेश ‘अथ’ के लोगो की संरचना में है। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथियों द्वारा ‘अथ’ लोगो को लांच किया जाएगा।

विशेष जानकारी के लिए संपर्क करें-

अपूर्वा बजाज

निदेशक, अथ इंटरटेन्मेंट प्रा. लि.

09868765704,09891891038

1 COMMENT

  1. स्वाधीनता अधिनियम १९४७ अर्थात देश विभाजन अधिनियम के किस नियम के अंतर्गत पाकिस्तान देश बना , और विभाजन के उपरांत यहाँ मुलिम किस नियम में भारत की भूमि में रह रहें है, क्या बिना नियम के रह सकते है !! ?? और यदि है तो उसका नियम यानि कौन सी धरा है?? कृपया सुधि,, पाठक बताने का कष्ट करें ? अगर २० करोड़ मुस्लिम भगा दिएँ जाएँ यानि की भारत छोड़ जाएँ तो भारत में अरछान की आवस्यकता का समापन होना होजाएगा, उचित लेखन द्वरा संसूचित करिएगा !! आपका यमुना शंकर पांडे ,,

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