चौथी कसम उर्फ दिल्ली पहुंचकर मारे गये गुलफाम

0
157

नवेन्दु उन्मेष

तीसरी कसम फिल्म का हीरामन अपनी बैल गाड़ी हांकता हुआ किसान आंदोलन में
शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच गया। उसके दिल्ली पहुंचते ही अन्य
किसानों ने उसका जमकर स्वागत किया। हीरामन से कहा कि अच्छा हुआ हीरामन
तुम दिल्ली आ गये। यहां तो सिर्फ बिहार के किसानों की कमी खल रही थी। कुछ
दलों की ओर से बार-बार कहा जा रहा था कि इस आंदोलन में कुछ राज्यों के
किसान शामिल हैं बिहार के किसान क्यों नहीं आ रहे हैं ? इस बात को सुनकर
हीरामन ने कहा-धत् बुड़बक हम किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए थोड़े आये
हैं। हम तो यह देखने आये हैं कि किसान खेतीबारी छोड़कर दिल्ली में धरना-
प्रदर्शन कैसे करते हैं।
तभी हीरामन से किसी ने कहा हीरामन तुम उस नौटंकी कंपनी वाली बाई को कहां
छोड़ आये। इस पर हीरामन ने कहा वह भी बैलगाड़ी में लुका के आयी है। उसका भी
मन कर रहा था कि ट्रैक्टर रैली क्या होती है और कैसे निकाली जाती है।
इसलिए वह भी इसे देखने के लिए आयी है। छब्बीस जनवरी को जब किसानों की
रैली निकली तो हीरामन बैल गाड़ी में बैठकर बाई को साथ लेकर निकल पड़ा।
जमुना किनारे पहुंचने के बाद वह बतला रहा था कि यहां कभी महुआ घटवारिन
रहती थी। वह दिल्ली में सरकार चलाने के लिए आयी थी। जब तक वह यहां रही
दिल्ली आने वाले सभी मर्द उससे डरते थे और जुमना के तट पर नहीं आया करते
थे। हीरामन आगे बढ़ता जा रहा था। दिल्ली के बच्चे भी कभी बैलगाड़ी देखे
नहीं थे सो वे पीछे-पीछे उसके साथ बढ़ते जा रहे थे। देखने से वे किसानों
के बच्चे लग रहे थे। बच्चे गा रहे थे- ‘हम अपनी फसलों को गिरवी रख सकते
नहीं, एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं।‘
रैली आगे बढ़ती जा रही थी। किसान ट्रैक्टर पर सवार होकर तेजी से बढ़ते जा
रहे थे। हीरामन बैलगाड़ी हांके जा रहा था। कभी लोग हीरामन को देखते तो कभी
हीरामन लोगों को। नौटंकी वाली बाई भी कभी-कभी पर्दा उघार कर रैली देख
लिया करती। गांव के आदमी हीरामन को नहीं मालूम था कि दिल्ली की ट्रैफिक
व्यवस्था क्या है। एक चौथी चौराहे पर लाल बत्ती जली थी कि उसकी बैलगाड़ी
आगे बढ़ गयी। परिणाम यह हुआ कि पुलिस वाले वहां आ गये और उस पर जुर्माना
ठोक दिया। हीरामन ने कहा जुर्माना क्यों ठोकते हो। अगर बिहार में होते तो
हम तुम लोगों को ठोक देते। बात हीरामन और पुलिस वालों के बीच बढ गयी थी।
तभी वहां कुछ किसान आ गये और बोले दिल्ली पुलिस की यह हिम्मत कि हीरामन
को रोक ले और उस पर जुर्माना ठोक दे। उन्होंने कहा चल हीरामन देखते हैं
कि कौन तुम से जुर्माना वसूलता है। आखिर दिल्ली हमारी है। दिल्ली किसी के
बाप की थोड़े है। हम अन्न उपजाते हैं तो दिल्ली वाले खाते हैं। तब तक उस
चौक पर हरी बत्ती जल गयी। हीरामन बैल गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया। आगे बढ़ते हुए
बोला हम चौथी कसम खाते है कि फिर कभी दिल्ली नहीं आयेंगे। बिहार में लोग
कहते थे कि दिल्ली दिल वालों की है लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि
दिल्ली लाल और पीली बत्ती वालांे की है। दिल्ली को प्रत्येक चौक- चौराहे
पर खड़ी लाल और पीली बत्ती चलाती है। लाल जले तो रुक जाओ, हरी जले तो चलो
और तब तक चलो जब तक कि अगले चौराहे पर रंगबिरंगी पंचलाइट न दिखाई दे।
हीरामन कुछ बड़बड़बड़ाता हुआ आगे बढ़ रहा था कि बैलगाड़ी में बैठी बाई जी ने
कहा हीरामन तुम तो कहते थे कि किसान आत्महत्या कर रहे हंै लेकिन यहां तो
किसान आंदोलन कर रहे हैं। लालकिले पर उपद्रव फैल रहे हैं। हीरामन ने कहा
किसानों को बिहार के चंपारण आंदोलन से सीख लेनी चाहिए। कभी जेपी ने कहा
था अहिंसा हिंसा से हार नहीं सकती। भगवान महावीर ने कहा है हिंसा
परमोधर्मः।
इसके बाद हीरामन चौथी कसम खाकर बिहार की ओर रुख कर लिया। बाई को मलला रह
गया कि उसे दिल्ली में नौटंकी करने का कोई मौका नहीं मिला। उसने कहा यहां
तो गांव से ज्यादा नौटंकी बाज हैं। ऐसे में मेरी नौटंकी कौन देखेगा।

नवेन्दु उन्मेष

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,741 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress