फ्रांस के मुस्लिम मुसीबत में

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

फ्रांस के 56 लाख मुसलमानों में आजकल कंपकंपी दौड़ी हुई है, क्योंकि ‘इस्लामी अतिवाद’ के खिलाफ फ्रांस की सरकार ने एक कानून तैयार कर लिया है। राष्ट्रपति इमेन्यूएल मेक्रो ने कहा है कि यह कानून किसी मजहब के विरुद्ध नहीं है और इस्लाम के विरुद्ध भी नहीं है लेकिन फिर भी फ्रांस के मुसलमान काफी डर गए हैं। फ्रांस में तुर्की, अल्जीरिया और अन्य कई यूरोपीय व पश्चिमी एशियाई देशों के मुसलमान आकर बस गए हैं। ऐसा माना जाता है कि उनमें से ज्यादातर मुसलमान फ्रांसीसी धर्मनिरपेक्षता (लायसीती) को मानते हैं लेकिन अक्तूबर में हुई एक फ्रांसीसी अध्यापक सेमुअल पेटी की हत्या तथा बाद की कुछ घटनाओं ने फ्रांसीसी सरकार को ऐसा कानून लाने के लिए मजबूर कर दिया है, जो मुसलमानों को दूसर दर्जे का नागरिक बनाकर ही छोड़ेगा। इस कानून के विरुद्ध तुर्की समेत कई इस्लामी देश बराबर बयान भी जारी कर रहे हैं। इस कानून के लागू होते ही मस्जिदों और मदरसों पर सरकार कड़ी निगरानी रखेगी। उनके पैसों के स्त्रोतों को भी खंगालेगी। वह मुस्लिम बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान देगी। उन्हें कट्टरवादी प्रशिक्षण देने पर रोक लगाएगी। यदि मस्जिद और मदरसे फ्रांस के ‘गणतांत्रिक सिद्धांतों’ के विरुद्ध कुछ भी कहते या करते हुए पाए जाएंगे तो उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। लगभग 75 प्रतिबंध पिछले दो माह में लग चुके हैं और 76 मस्जिदों के विरुद्ध अलगाववाद भड़काने की जांच चल रही है। इमामों को भी अब सरकारी देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार ने इस्लामद्रोह-विरोधी संगठन को भी भंग कर दिया है। अब तक अरबी टोपी, हिजाब, ईसाई क्राॅस आदि पहनने पर रोक सिर्फ सरकारी कर्मचारियों तक थी। उसे अब आम जनता पर भी लागू किया जाएगा। तीन साल से बड़े बच्चों को घरों में तालीम देना भी बंद होगा। डाॅक्टरों द्वारा मुसलमान लड़कियों के अक्षतयोनि (वरजिनिटी) प्रमाण पत्रों पर भी रोक लगेगी। बहुपत्नी विवाह और लव-जिहाद को भी काबू किया जाएगा। तुर्की और मिस्र जैसे देशों में इन प्रावधानों के विरुद्ध कटु प्रतिक्रियाएं हो रही हैं लेकिन फ्रांस के 80 प्रतिशत लोग और मुस्लिमों की फ्रांसीसी परिषद भी इन सुधारों का स्वागत कर रही है। ये सुधार राष्ट्रपति मेक्रो की डगमगाती नैया को भी पार लगाने में काफी मदद करेंगे। उन्हें 2022 में चुनाव लड़ना है और इधर कई स्थानीय चुनावों में उनकी पार्टी हारी है और उनके कई वामपंथी नेताओं ने दल-बदल भी कर लिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here