प्यार के शुरुआत का,
दोस्ती को श्रेय है!
भिन्न-लैंगिक दोस्ती में,
प्यार ही तो ध्येय है!
प्यार सुन्दर भावना,
सत्य है, हूं मानता!
पर इक सत्य और, जो
हरकोई है जानता!
जानने के बाद भी,
बोलता कोई नही!
प्यार के इस रूप को,
खोलता कोई नही!
सत्य ये, प्यार से ही
ये जगत गुलज़ार है!
सत्य ये, प्यार ही तो
‘प्रजनन का द्वार है’!
दोस्ती से प्यार है;
प्यार से संयोग है;
संयोग से सृष्टि है;
संयोग ही भोग है;
संयोग की भावना,
प्यार की बुनियाद है!
संयोग से ही सृष्टि है,
औ’ जगत आबाद है!
दोस्ती बिन प्यार ना;
प्यार बिन संयोग ना;
संयोग बिन सृष्टि ना;
शेष कोई लोग ना;