मसखरे लफ़फाज़ ओर ढोंगी बाबाओं से ज़न-क्रांति की उम्मीद करने वालो सावधान!

श्रीराम तिवारी

जब -जब इस धरती पर कोई नया भौतिक आविष्कार हुआ ,इंसान को लगा कि ‘दुःख भरे दिन बीते रे भैया ,अब सुख आयो रे’ इसी तरह जब-जब किसी निठल्ले आदमी ने धर्म-अध्यात्म के कंधेपरचढ़करअपनी शाब्दिक लफ्फाजी से समाज में आदर्श राज्यव्यवस्था स्थापित करने और परिवर्ती व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया तो तत्कालीन समाज के सकरात्मक परिवर्तनों की प्रक्रिया को ठेस पहुंची.मानव सभ्यताओं के राजनैतिक इतिहास में इन दोनों घटनाक्रमों के अंतहीन सिलसिले का ही परिणाम है आज की विश्व व्यवस्था.भारत के ज्ञात इतिहास का निष्कर्ष भी यही है.जब-जब धर्म और अध्यात्म ने राजनीति में हस्तक्षेप किया तब-तब अन्याय और अत्याचार में ,शोषण के सिलसिले में तेजी से बृद्धि होती चली गई.कई बार तो भारत [भरतखंड या जम्बू द्वीप]को इस वाहियात मक्कारी से पराजय का मुख देखना पड़ा.

मुहम्मद -बिन-कासिम ने जब सोमनाथ पर आक्रमण का ऐलान किया तो तत्कालीन गुर्जर नरेश सौराष्ट्र वीर भीमसेन देव ने सोमनाथ की रक्षा का संकल्प व्यक्त किया.उनके निकट सहयोगी आचार्य गंग भद्र ने उन्हें युद्ध से विमुख करने की वह एतिहासिक गलती की जो बाद में भारत की बर्बादी का सबब बनी.सोमनाथ मंदिर के पुजारियों ने और आचार्य गंग भद्र ने यह विश्वाश व्यक्त किया था कि जो भगवान् सोमनाथ सारे संसार की रक्षा कर सकता है ,क्या वह अपनी स्वयम की रक्षा नहीं कर सकेगा? जैसा की सारे संसार को मालुम है कि न केवल मुहम्मद-बिन-कासिम बल्कि उसके बाद मुहम्मद गौरी , गजनवी और मालिक काफूर ने भरपल्ले से न केवल सोमनाथ न केवल काशी,मथुरा,द्वारका,अयोध्या बल्कि सुदूर दक्षिण में मह्बलिपुरम से लेकर देवगिरी तक भारत की अत्यंत समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यत्मिक धरोहर को कई-कई बार लूटा.इसके मूल में विजेताओं की भोग लिप्सा और उनकी जहालत को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है किन्तु विजित कौम भी अपने तत्कालीन तथाकथित ‘दंड-कमंडल’या संघम शरणम् गच्छामि के अपराध से मुक्त नहीं हो सकती.

इन दिनों भारत में वही २ हजार साल पुरानी खडताल बजाई जा रही है,जिसमें कोरी शाब्दिक लफ्फाजी और मक्कारी के अलावा कुछ भी नहीं है.जबकि निकट पश्चिम में काल- व्याल कराल के रूप में ‘हत्फ’ गौरी” गजनी’जैसे मिसाइल लांचर और घातक परमाणु बमों के जखीरे तैयार हो रहे हैं. यहाँ भारत कि जनता को धरम कीर्तन और नाटक-नौटंकी में उलझाया जा रहा वहाँ पाकिस्तान में साम्प्रदायिक तत्वों की कोशिश है कि न केवल पाकिस्तान में बल्कि समूचे भारतीय उप महाद्वीप में उनके मंसूबे कामयाब हों.बहरहाल तो अमेरिका के पाकिस्तान में घुसकर ओसामा को मार देने से भारत विरोध की जगह अमेरिका विरोध अन्दर-अन्दर सुलगने लगा है.भारत के प्रति पाकिस्तान की अमनपसंद जनता का रुख कुछ मामूली सा द्रवित हुआ है.किन्तु भारत में अमूर्त सवालों को लेकर कोहराम मचा हुआ है ,विदेशी हमलों से निपटने का जज्वा नदारत है. भारतीय मीडिया ने क्रिकेट की तरह सारे संसार में अपने वैभव का लोहा मनवाने का बीजमंत्र खोज लिया है.वह कभी भ्रस्टाचार को ,कभी सत्ता पक्ष को,कभी विपक्ष को,कभी भ्रुस्ट व्यवस्था को,कभी अन्ना एंड कम्पनी के जंतर-मंतर पर ज़न-लोकपाल विधेयक कि मांग को लेकर किये गए अनशन को और कभी दिल्ली के रामलीला मैदान में अभिनीत ‘बाबा रामदेव के योग से राजनीती की और परिभ्रमण ‘के प्रहसन को ,एक अद्द्य्तन प्रोडक्ट के रूप में संपन्न माध्यम वर्ग और साम्प्रदायिक तत्वों के समक्ष परोसने में जुटा है. बाबा रामदेव के वातावरण प्रदूश्नार्थ उबाऊ ,चलताऊ भाषणों और उनके पांच सितारा नकली सत्याग्रह को तमाम इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने लगातार महिमा मंडित करने की मानो शपथ ले रखी है.दूसरी ओर इसी दिल्ली में २३ फरवरी २०११ को देश भर से आये १० लाख नंगे भूंखे मजदूर-किसान और शोषित सर्वहारा न तो इस बिकाऊ मीडिया को दिखे और न ही अन्न्जी या रामदेव को दिखे.

रामदेव यदि बाबा या स्वामी होते तो अनशन को सत्याग्रह में क्यों बदलते?पतंजलि योगसूत्र के स्वद्ध्याय से क्रमिक विकाश की मंजिल राजनीती की गटर गंगा नहीं होती -समझे बाबा रामदेव!यम ,नियम,आसन,प्रत्याहार,प्राणायाम ,ध्यान,धारणा और समाधी में से आप किसी एक को ही आजीवन करते रहेंगे तो दोई दीन से जायेंगे.क्योंकि अष्टांगयोग एक सम्पूर्ण विधा और ब्रहम विद्द्या है ,आप अकेले लोम-विलोम या शारीरिक आसनों को योग बताकर भारत के सम्पूर्ण योग शाश्त्रों का मखौल उड़ा रहे हैं अस्तु आप न तो योगी हैं और न स्वामी ,आप केवल नट-विद्द्या और शाब्दिक राष्ट्रवादी लफ्फाजी में सिद्धहस्त हैं .आप कभी भारत स्वाभिमान,कभी विदेशी वस्तू बहिष्कार,कभी आयुर्वेद बनाम एलोपैथी का विरोध,कभी विदेशी बैंकों में जमा काला धन और अब ४ जून २०११ को पूर्व लिखित स्क्रिप्ट अनुसार आपने ऐंसी तमाम मांगें रामलीला मैदान में बखान की कि बरबस ही वाह!वाह!कहना पड़ा.तब तो आपने हद ही कर दी जब ‘व्यवस्था परिवरतन’का नारा दे दिया .अब यह तो सारा संसार जानता है कि इसका तात्पर्य होता है ‘क्रांति’ जो कि साम्यवादियों,समाजवादियों,नक्सलवादियों और मओवादिओं का पेटेंट है. मान गए बाबा रामदेव आपने संघ परिवार को तो पहले से ही साध रखा थाकिन्तु कांग्रेस को साधने में गच्चा खा गए. बाबा रामदेव ने वही गलती की जो एक बन्दर ने की थी और नाई कीदेखा देखी अपने हाथों अपनी गर्दन काट ली थी.रामदेव इतने मूर्ख हो सकते हैं ये तो जनता को तब मालूम पड़ा जब कपिल सिब्बल ने आचार्य बालकृष्ण का हस्ताक्षक्षारित सहमती पत्र मीडिया के सामने खोला.उस पत्र के खुलासे ने न केवल बाबाजी के चटुकारकरता-धर्ता बल्कि मीडिया भी अब बाबाजी की जड़ें खोदने में जुट गया है. ,अबबाबा जी के नकली सत्याग्रह की कहानिया चठ्कारे लेकर लिखी जाएँगी.पढ़ी भी जाएगी. ४ जून से २० जून २०११ तक दिल्ली के रामलीला मैदान में पूर्वानुमति से और पूर्ण सहमती से कांग्रेस और केंद्र सरकार को साधकर ही बाबा रामदेव ने ये नकली सत्याग्रह किया है .अब तक परिस्थतियों ने कांग्रेस और खास तौर से दिग्विजय सिंह का साथ दिया है.उन्होंने बाबा पर और बाबा के शुभ चिंतकों पर जो-जो आरोप लगाये थे वे सहज ही सच सवित होते जा रहे हैं.

भोली भाली देश भक्त जनता जो कि भ्रष्टाचार से आजिज आकर किसी अवतार या क्रांति कि तलबगार हो चुकी थी उसे एक बार फिर उल्लू बनाया गया और बनाने वाले भले ही रंगे हाथ पकडे गए किन्तु धन-दौलत को मान -सम्मान से ऊँचा समझने वाले बाबा रामदेव आप ! वाकई आज इस भारत भूमि पर सबसे बड़े वैश्विक कलाकार हो.आपके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ ,क्रांति के लिए वेस्ब्री से इन्तजार करता आपका एक चिर आलोचक विनम्र निवेदन करता है किअपने गुनाहों को छिपाने के लिए धर्म -अध्यात्म और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को दांव पर न लगायें.धन्यवाद. आपके दकियानूसी भाषणों और कोरी राष्ट्रवादी लफ्फाजी से आहात आपका एक चिर आलोचक.

33 COMMENTS

  1. माननीय तिवारीजी मेरी नाराजगी आपसे नहीं आपकी विचारधारा से है जो आपकी मानसिकता से उपजती है क्योंकि ये विचारधारा नकारात्मक सोच से जुडी है जो भटके हुए को सही रास्ते पर लाने के बजाय उसे और भटकाएगी एसी विचारधारा का सम्मान कैसे किया जा सकता है जो बढ़ते कदम को और बढ़ाने के बजाय रोकने का प्रयास करती है कैसे एसी विचारधारा को अपनाया जा सकता है जो देश हित में सोचने वाले का सहयोग करने के बजाय असहयोग को बढ़ावा देती है
    में मानता हु की मेने टिप्पणी में कुछ ज्यादा ही कडवे शब्दों का प्रयोग किया परन्तु में ये भी मानता हु की ये शब्द आपके आलेख के शब्दों से कम कडवे ही है
    धन्यवाद

  2. तिवारी आप बहुत बकवास करतो हो और निरंकुश जी आप उल जलूल बात जरूरत से ज्याद करते हो ये सब बकवास कहा से ले हो लगता है आप भी सर्कार कअगेंट हो जो देश भक्तो को बदनाम कर रहे हो

  3. कभी आप मिलेंगे (लेखक महोदय) तो आपको मध्य-प्रदेश की मीलों के मजदूरों की जिंदगी के बारें में तफसील से बताउंगा की इस तथाकथित साम्यवाद के कारण आज वे कैसी नारकीय ज़िंदगी जी रहे हैं,

  4. मीणाजी, आपने जो भगवा आंतकवाद शब्द लिया है उससे आपको नहीं लगा की यह तिरंगे का अपमान है यह यहाँ की संस्कर्ती का अपमान है परन्तु आनुवंसिक रोगों से पीड़ित आप लोगो उससे क्या लेना

  5. वामपंथ का वास्तविक अर्थ इस लेख से मिल जाता है वामपंथ कभी वर्तमान में नहीं चलता यह या तो भूतकाल में होगा या भविष्य में वामपंथियों की सोच हमेसा नकारात्मक रही है अगर तिवारीजी को ले तो लिख दिया की जब २३ फरवरी को आये मजदुर बाबा , अन्ना या मिडिया को क्यों नहीं दिखे
    क्या बाबा ने इस मजदुर वर्ग के आन्दोलन का विरोध किया क्या बाबा से कोई सहायता मांगी गयी और बाबा ने इंकार कर दिया तिवारीजी देश की सबसे बड़ी समस्या भर्ष्टाचार है अगर मजदुर वर्ग उपेक्षित है तो भर्ष्टाचार के कारन है या आप जैसे मक्कारों की शालीनता के कारन आपने उस मजदुर वर्ग की कितनी सहायता की भर्ष्टाचार गरीब ,अमीर ,मजदुर शिक्षित अशिक्षित या कोई अन्य वर्ग देश के हर नागरिक की समस्या है (आप को छोड़कर ) बाबा ने अन्ना ने उसी समस्या का मुद्दा उठाया जो देश के हर नागरिक की समस्या है परन्तु आप जैसे लोग लोगो भटकाने के लिए उसकी तुलना मजदुर वर्ग से कर दी आप को २३ फरवरी को आये मजदुर ही क्यों दिखे

    एसा क्यों नहीं लिखा की देश में हर साल हजारो किसान आत्महत्या करते फिर भी बाबा या अन्ना ने उस महत्त्व नहीं दिया समस्याए बहुत है देश की ८४ लाख लोग २० रुपये की आमदनी पर जीते ये मुद्दा कम क्यों आँका मुद्दे अनेक है समाधान एक है भर्ष्टाचार व् भरष्ट लोगो को मिटाना और बाबा का मुद्दा सर्व समस्याओ का हल है
    जो आचार्य गंगभद्र है यह भी पूरा वामपंथी ही था जब मोका था तब तक खाता रहा और बात लड़ाई की आई तो तर्क दे दिया की जो संसार की रक्षा करता है वो खुद की रक्षा क्यों नहीं करता यही चाल वामपंथियों की है

    इश्वर आपको सद्बुद्धि पर्दान करे में आशा करता हु की आप अगली बार मानसिक व् वैचारिक रोगों से मुक्त होकर एक बार फिर प्रवक्ता पर पेश होंगे वैसे आप लाइलाज बीमारी से पीड़ित है मुझे नहीं लगता की आप को इस बीमारी से निजात मिलेगी फिर भी तुलसीदासजी के अनुसार ” सठ सुधरहि सत्संगति पाई” तो आप भी संतो महात्माओ की संगती का सहारा लीजिये जरुर फायदा होगा
    आपका पागलपन सही होने की पर्तीक्षा में आपका चिर आलोचक

    • आदरणीय राम् नारायण जी आपकी नाराजगी मेरे आलेख से है या आपकी नाराजगी श्रीराम तिवारी से है ?

  6. ये सिर्फ एयर कंडीशन में लिखने के आदी है, इनकी विचार धारा के लोगों ने कमसे कम दस करोड़ लोगों का रोजगार छीना है जबकि बाबा रामदेव ने हजारों लोगों को रोजगार दिया है,पंतजली में सबसे छोटे स्तर का व्यक्ती भी इन प्रोफ़ेसर साहब से ज्यादा सुखी है चाहे तो ये स्वयं जा कर देख ले ऐसे साम्यवाद को हम कूदा करकट ना समझे तो क्या समझे नालायक लोगसमाज को कुछ दे तो नहीं सकते सिर्फ कलम तोड़ते रहते हैं. इन्दोर की मालवा मिल बंद करवा दी ग्वालियर की विश्व-प्रसिद्ध जियाजी कोटन मिल बंद करवा दी सेकड़ों मिले बंद करवा दी करोडो लोगों को फांके मारने पर मजबूर कर दिया भगवान् से प्रार्थना हैं कभी ये मुझे सामने मिल जाएँ.

  7. मीणा जी वाह क्या खूब कहानी बनाई है…सोनिया आपको जरुर पुरस्कृत करेगी इस देश द्रोह के लिए…कहानियां लिखना बहुत आसान है…मैं भी बहुत सी कहानियां लिख सकता हूँ…प्रमाण दीजिये…
    कहीं आपको दिग्विजय वाली बीमारी तो नहीं लग गयी…दिग्गी से दूर रहिये…उसका काटना घातक हो सकता है…परिणाम आप देख ही रहे हैं…

    ऐसी कहानियां बाज़ार में बहुत बिकती हैं मनोहर कहानियों के नाम से…किस किस पर विश्वास करेंगे?

  8. डॉ पुरषोत्तम मीना “निरंकुश” और विजय दुवे की टिप्पणी और उनके तत्संबंधी आलेखों को पढने के लिए जिन्दा दिली और सच का सामना करने का हौसला चाहिए ,जिन अबोध -नादानों ने मेरे प्रासंगिक आलेख को पढ़े विना ही अपनी साम्प्रदायिक नज़रे इनायत की है ,उन्हें शायद डॉ पुरषोत्तम मीना और विजय दुबे की टिप्पणी से गहरा आघात पहुंचा होगा!मेने अनुभव किया है कि जिस किसी विषय या व्यक्ति चरित्र को में समाज या राष्ट्र विरोधी मानता हूँ ,अन्ततोगत्वा वह वैसा ही सावित होता है .मेरे द्वारा प्रवक्ता .कॉम ,नै दुनिया,दैनिक भास्कर,और स्वयम के ब्लॉग व्व्व.janwadi .blogspot .कॉम पर प्रकाशित समस्त आलेखों को अनगिनत लानत-मलानत भेजीं गईं किन्तु सच अंततः सबके सामने है चाहे अन्ना हजारे हों ,रामदेव हों ,प्रशांत भूषन,शशिभूषण या अल्लन -फल्लन जी हों सभी आजकल देश की जनता के सामने घिघया रहे हैं रही सरकार और राजनैतिक पार्टियों की बात तो उनके सर्टिफिकेशन के लिए तमाम जनता आम चुनावों में स्वयम देख लेती है.

  9. तिवारी जी लगता है आप को भगवा वेश धारियों से elargy है लगता है आप अधर्मी हो वैसे आप को अपना इलाज करवलें चाहिए जल्दी करवा लीजिये नहीं तो और पगला जओंगे और पागल जानवरों को मर दिया जाता है जल्दी जाईये पुणे मैं आप जैसे मानसिक (वामपंथी) लोगों के लिए स्पेशल वार्ड है , हो भी चाहिए , इतनी बड़ी हार का सामना जो करना पद रहा है

  10. आदरनीय
    तिवारीजी आप एसे लेख लिखकर क्या काला धन देश में वापस लाने वाले लोगो पर रोक लगाना चाहते हो

    • भाई स्याम सुन्दर जी ,में मानता हूँ कि प्रस्तुत आलेख में भृष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का मुद्दा हासिये पर है और गैर राजनैतिक,और गैर jimmedaar logon कि राजनैतिक aakanksha का bhanda fod jyda ho gaya और us की भरपाई मेने अन्य आलेखों से पूरी कर दी है .आपसे निवेदन है कि प्रवक्ता .कॉम पर मेरा अद्द्य्तन आलेख “स्वामी निगमानंद का ये बलिदान!याद रखेगा हिन्दुस्तान !! अवश्य पढ़ें.आपने मेरे आलेख को ध्यान से पढ़ा और अपने अमूल्य विचार रखे उसके लिए कृतग्य हूँ>

  11. लेख तो यह कही से नहीं है किन्तु फिर से हिन्दू आस्था पर प्रहार किया है आदरणीय तिवारी जी ने.
    भ्रष्टाचार से त्रस्त लोगो को एकजुट करने के लिए स्वामी रामदेव जो प्रयास कर रहे है इसका समर्थन करने के बजाय उनकी आलोचना करना वाकई गलत है.

  12. आदरणीय श्री तिवारी जी आपने साहस पूर्वक सच को कहने का सर्वोत्तम प्रयास किया है| साधुवाद|

    अन्य सभी बातों के अलावा आपने लिखा है कि

    “क्योंकि अष्टांगयोग एक सम्पूर्ण विधा और ब्रहम विद्द्या है ,आप अकेले लोम-विलोम या शारीरिक आसनों को योग बताकर भारत के सम्पूर्ण योग शाश्त्रों का मखौल उड़ा रहे हैं अस्तु आप न तो योगी हैं और न स्वामी ,आप केवल नट-विद्द्या और शाब्दिक राष्ट्रवादी लफ्फाजी में सिद्धहस्त हैं ”

    यह एक गहरी और विचारणीय बात है हालाँकि इस वाक्य का अंतिम हिस्सा पूरी तरह सच नहीं है| अर्थात “शाब्दिक राष्ट्रवादी लफ्फाजी में सिद्धहस्त हैं ” मैं इस बात से सहमत नहीं क्योंकि यदि “सिद्धहस्त” होते तो खुद की मिट्टी पलीत नहीं करते| स्त्री वस्त्र धारण नहीं करते|

    असल बात ये है की नागपुर से संचालित होते हैं और खुद को खुद के बारे में अनेक गलत फहमी हो गयी हैं|

    आदरणीय श्री तिवारी जी मेरे ब्लॉग पर एक पाठक ने टिप्पणी की है, जिसमें उसने अन्य साईट के हवाले से “बाबा” के बारे में जानकारी दी है, जो अब तक तो सार्वजनिक हो चुकी होगी आप एवं अन्य बंधू भी पढ़ चुके होने, लेकिन फिर भी यहाँ आपके लेख के एक पूरक परिच्छेद के रूप में इसे प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ|

    आशा है की बाबा के प्रायोजकों को अपनी आत्मा (बशर्ते उनकी आत्मा जिन्दा हो) में झाँकने का अवसर मिले!
    ——
    “””””Vijay Dubey Delhi said…
    डॉ. मीना जी आपने जो कुछ लिख है उससे भी अधिक लिखने की जरूरत है, क्योंकि बाबा तो इस देश पर भगवा आतंक और भगवा सरकार थोपने के लिए कुछ भी कर सकते हैं| बाबा का कोई चरित्र ही नहीं है| बाबा की असलियत जानने के लिए मैं एक लेख प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसका लिंक भी साथ में दे रहा हूँ|

    Source : https://himalayauk.org/2011/06/congress-cllearence-himalaya-uk/

    सरकार गिराने के ऐवज में राष्ट्रपति बनाने का था ऑफर

    कांग्रेस का सनसनीखेज खुलासा- सरकार गिराने के ऐवज में राष्ट्रपति बनाने का था ऑफर
    खुफिया एजेंसियों ने यह जानकारी तो सरकार को दी थी कि रामदेव के पीछे संघ परिवार
    योग गुरु बाबा रामदेव दिल्ली के रामलीला मैदान में विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के लिए नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को गिराने आए थे। रामदेव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ मिलकर जो व्यूहरचना की थी, उसके मुताबिक रामलीला मैदान को भारत के “तहरीर चौक” में बदलकर केंद्र सरकार को गिराने की थी। बदले में संघ परिवार की ओर से रामदेव को 2012 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव दिया गया था।
    चार जून को इसकी पुख्ता जानकारी सबसे पहले कपिल सिब्बल को हुई। सिब्बल ने फौरन प्रणब मुखर्जी से बात की। फिर दोनों प्रधानमंत्री के पास गए। प्रधानमंत्री ने चिदंबरम से बात की। सोनिया को बताया। तय हुआ कि शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रामदेव के साथ हुई “डील” को सार्वजनिक किया जाए और अनशन न खत्म होने पर मैदान खाली कराने के लिए “प्लान दो” को अमल में लाया जाए।
    सूत्रों ने बताया कि रामदेव और संघ परिवार की सियासी खिचड़ी कई दिनों से पक रही थी। संघ के थिंक टैंक माने जाने वाले एस.गुरुमूर्ति, संघ और सर्वोदयी और अन्य गैर वामपंथी सोच वाले स्वयंसेवी संगठनों के बीच पुल का काम कर रहे पूर्व प्रचारक गोविंदाचार्य इस योजना के सूत्रधार थे। इनके प्रयासों से रामदेव की संघ प्रमुख मोहन भागवत, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी व अन्य संघ नेताओं के साथ कई बार मुलाकात हुई। हरिद्वार जाकर भी मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी रामदेव से मिले थे।
    रामदेव के सत्याग्रह शुरू होने से पहले लखनऊ में भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक के दौरान भी गडकरी इस मामले पर भागवत का निर्देश लेने नागपुर गए थे। वित्तीय अनियमितताओं को लेकर कानून के कठघरे में आए पाँच बड़े पूँजीपतियों समेत कुछ अन्य उद्योगपतियों ने भी पूरा सहयोग देने का वादा किया था। इनमें एक उद्योगपति के रामदेव से रिश्ते जगजाहिर हैं।
    रणनीति के मुताबिक चार जून से रामदेव का अनशन शुरू होने के बाद पाँच और छः जून तक संघ और बाबा अपनी ताकत झोंक कर दिल्ली में रामलीला मैदान और उसके आसपास दो से तीन लाख लोगों की भीड़ जुटा देते। फिर रामदेव विदेशी बैंकों में जमा काले धन का कथित ब्यौरा देना शुरू करते, जिससे कांग्रेस और केंद्र सरकार का संकट बढ़ता और सोनिया गाँधी पर निशाना साधते हुए मनमोहन सिंह से इस्तीफे की माँग की जाती।
    सूत्रों के मुताबिक भाजपा, जद (यू), अकाली दल, ओमप्रकाश चौटाला, चंद्रबाबू नायडू, नवीन पटनायक, असम गण परिषद जैसे विपक्षी दल भी इस माँग का समर्थन करते हुए अपना दबाव बढ़ाते। जनमत के दबाव में वाम मोर्चे के दल भी इससे जुड़ते। फिर संप्रक में द्रमुक और दूसरे नाखुश घटक दलों को छिटकाने की कोशिश होती। लालकृष्ण आडवाणी और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की पिछले दिनों हुई मुलाकात में भी कुछ खिचड़ी पकने की बात सरकारी सूत्र कह रहे हैं। कहा यह जा रहा था कि सरकार गिरने पर राजग और संप्रग के घटक दलों को मिलाकर कोई ऐसी सरकार बनाई जाएगी, जिसे भाजपा व वाम मोर्चे दोनों का समर्थन मिले। हालाँकि खुफिया एजेंसियों ने यह जानकारी तो सरकार को दी थी कि रामदेव के पीछे संघ परिवार है, लेकिन सरकार गिराने की योजना की मुकम्मल जानकारी सबसे पहले कपिल सिब्बल को पं.एनके शर्मा से मिली
    नई दिल्ली से विनोद अग्निहोत्री
    June 16, 2011 10:07 ऍम””””

    मैं समझता हूँ की उपरोक्त टिप्पणी बहुत से लोगों के मुखौटे उतारने वाली है|

  13. इनकी बीमारी हद से ज्यादा बढ़ गई है मेरा टिप्पणीकारों से अनुरोध है की अगर कोई आप लोगों में से मनः चिकित्सक है तो इनकी बीमारी दूर करने के लिए एडी चोटी का जोर लगा दे.

    • तुम्ही ने दर्द दिया है,तुम्ही दवा करना.
      जहां वेदर्द हाकिम हों वहाँ फरियाद क्या करना..समझे बाबु दिवस दिनेश गौड़ उर्फ़ इंजीनियर .विषय पर बात करो ,यदि हम गलत हैं तो इतिहास हमें माफ़ नहीं करेगा.और आप लोग जिस रौ में बहते जा रहे हैं वहां मृग मरीचिका के सिवा कुछ भी शेष नहीं है.किसे क्या बीमारी है वो तो वक्त बताएगा अभी तो आप और आप जैसे अन्य तमाम नौजवानों को जो पीलिया रोग हो रहा है उसका इलाज होना जरुरी है.

  14. तिवारीजी आप शिक्षक है वो भी इतिहास के .इतिहास क्या है ये वो चीज है जिस पर मतान्तर होता ही है और किसी एक मत पर चिपकना अपनी दृष्टि को संकुचित कर लेना भर है बाबा रामदेव की निंदा और भार्तार्श्ना कर के आपको बहुत सुख मिला होगा चलिए कहीं से तो सुख मिला अब अगर आपको गली गलोज करने में ही मजा आता है तो किसी को क्या दिक्कत.वैसे रामदेवजी ने किसी के अभद्र सब्दों का कभी भी कोई जबाब नहीं दिया इसीलिए आप जैसे लोग दिग्विजय सहित अपने खजाने से जितनी भी अभद्र शब्दावली का प्रयोग कर लेते हैं अरे भाई जिसके पास जो चीज होगी उसका ही तो प्रयोग करेगा यदि वह विषधारी है तो उससे अमृत की तो आशा नहीं की जा सकती.आप कुछ भी गलत नहीं कर रहे है केवल उपरोक्त सिधांत को सही साबित कर रहे हैं.बाबा रामदेव योगी नहीं हैं या ढोंगी है या इसी प्रकार की अनर्गल बाते अहने का अधिकार आपको किसने दिया श्रीमान .उन्होंने तो आपको कभी कहा की आप भ्रष्ट हैं या ढोंगी है अरे यार क्यों इस तरह की बातें बोलते हो यह तुम्हारी छुद्रता को स्पस्ट करती है.आपके गली देने से या दिग्विजय के भूँकने से रामदेव पर कोई फर्क नही पड़ेगा वह एक सन्यासी है और आपके जैसा कुत्सित विचारों वाला भी नहीं उसकी लोकप्रियता आप जैसों को रस नहीं आ रही है न आवे ये आपकी समस्या है इसे आप खुद हल कीजिये. आपका विपिन

  15. तिवारी जी ,काफी प्रतिक्रियाओं में काफी कहा गया है दोहराऊंगा नहीं .पता चला है की आप शिक्षक हैं तो कम से कम इतिहास तो गलत न पढ़ायें .सोमनाथ पर जिस हमले की बात आपने लिखी है वह मुहम्मद गजनवी ने किया था न की बिन कासिम ने .इनके हमलों में ४०० साल का फरक है करीब करीब .और बिन कासिम का हमला सिंध पर हुआ था न की सोमनाथ पर .

    • आदरणीय राजसिंह जी आप ने मेरी भूल सुधारी,धन्यवाद .फिर भी निवेदन करूँगा की उस पेराग्राफ को पुनः पढ़ें जहां मुहम्मद -बिन-कासिम का या सोमनाथ का जिक्र आया है.उसी पेराग्राफ में मेने महमूद गजनवी का भी उल्लेख किया है,वास्तव में आतताइयों के क्रमिक आक्रमणों का सिलसिला तो मुहम्मद -बिन-कासिम से ही प्रारंभ हुआ था .किन्तु मेरे विद्वान् साथी मेरे इस आलेख में उस तरफ ध्यान न देकर केवल उस क्रम में गजनवी का नाम वाद में आने से इतने कुपित क्यों हो रहे हैं?क्या आप लोग मुहम्मद -बिन कासिम को हमलावर नहीं मानते?

  16. प्रस्तुत सन्दर्भ में मेरा बाबा रामदेव पर एक और आलेख प्रकाशनार्थ प्रतीक्षित है.सभी विद्द्वान साथियों से निवेदन है की कृपया www pravakta .com पर पधारने का कष्ट करें..धन्यवाद

  17. तिवारी जी
    प्रणाम
    आपने ये तो साबित करदिया की आप ज्ञानी है आपको इतिहास का भी पता है |
    पर इस लेख से आप क्या कहना चाहते है?
    की बाबा रामदेव बेकार घटिया इंसान है?
    चलो आपकी ये बात भी मानी तो क्या वो जो मुद्दा उठाये हम उसकी आलोचना ही करे?
    आपकी सोच को साधू वाद पर मित्र किसीकी गलतिया निकालने मात्र से कोई बड़ा नहीं बनता ,उसके लिए सोच का बड़ा होना जरूरी है ज्ञान का नहीं … आपको बुरा जरूर लगना चाहिए .. बड़े आये मुगलों और पता नहीं इतिहास के कौन कौन से पन्ने पढने और यहाँ छपने से समस्या का समाधान चाहिए वो नहीं मिलता|
    मुझे कोई पडी नहीं है किसी बाबा की लो हम आपका गुण गान कर लेंगे आप आगे आजाओ और इस भ्रष्टाचार रूपी दानव से हमें और देश को मुक्त करवाओ या ऐसा कोई सार्थक प्रयास ही करो … निंदा ही एकमात्र आपका उद्देश्य है तो बात दूसरी है .. काश आपने अपने ज्ञान और सामर्थ्य को सही दिशा में लगाया होता आप जैसे लोग खुद कुछ करते नहीं और कोई करे तो उसे भी करने देते नहीं … भ्रष्टाचार का असल कारन आप जैसे ही लोग है जो अनजाने में ही उनका समर्थन कर बैठते है जिनका शायद वजूद ही नहीं होना चाहिए…
    मई किसी पार्टी या बाबा का चेला नहीं हु पर किसीके भी अच्छी दिशा में किये जा रहे प्रयास का निश्चय ही समर्थक हु …
    मै अज्ञानी सार्थक हु आप ज्ञानी रोड़ा …. नहीं पर्वत है…
    भगवान् आपको सही दिशा दे …

  18. तिवारी जी आप पेशे से एक शिक्षक प्रतीत होते हैं लेकिन आपकी संकुचित सोच ये बताने के लिए काफी है की आप अपने छात्रों को क्या पढ़ाते-सिखाते होंगे!
    https://janwadi.blogspot.com/ पर आपके ताजा लेख देखकर यही लगता है की आप हर तरफ नकारात्मकता ही देखते हैं और कुछ नहीं! बाबा का क्या इतिहास है ये जानने और समझने के वजाय ये चीज देखो की वो इस वक़्त मुद्दा क्या उठा रहे हैं! क्या उनकी बातें मनघडंत हैं? क्या आपने समाचारों में लोगों पर हुआ जुल्म नहीं देखा? क्या सिब्बल /दिग्विजय द्वारा बोला जा रहा झूठ आपको नहीं नजर आया? क्या देश की जनता मुर्ख है और सिर्फ आप जैसे लोग ग्यानी जिनके देखने का नजरिया ही अलग है? होश में आओ जरा सा ……………. इन्कलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए आपके द्वारा ऐसी ओछी टिप्पणी जरा भी शोभा नहीं देती!

  19. tivari जी, अगर ek पागल बाज़ार mai kuch chillata jai to बाज़ार उसके sath नहीं चल padta, sab us par hastai hai और अपने kam par lag jate hai…………..

  20. ऐसे बावा रामदेव के बारे में निम्न विचार मैंने अन्यत्र व्यक्त किया है .इसको यहाँ दुहराने की इजाजत चाहता हूँ:
    चमत्कार दिखाने वाले ४६ वर्षीय राम कृष्ण यादव उर्फ़ बावा राम देव का खुद का जीवन भी कम चमत्कारी नहीं है.
    साधारण परिवार में जन्मे ४६ वर्षीय (ज्न्म१९६५) राम कृष्ण यादव को, जहाँ तक जानकारी उपलब्ध है, कोई ख़ास पैत्रिक सम्पति शायद ही मिली थी. राम कृष्ण यादव की शिक्षा दीक्षा का जो विवरण उपलब्ध है,उसके अनुसार उनकी विधिवत शिक्षा आठवीं कक्षा तक हुई थी.बाद के वर्षों में उन्होने आदर्श गुरुकुल खानपुर में दाखिला लिया था, जहाँ उन्होने संस्कृत और योग का अध्ययन किया. उद्योग चलाने की न तो उन्हें कोई विधिवत शिक्षा मिली और न उन्होनें कहीं से कोई अनुभव प्राप्त किया ऐसे में इतनी कम उम्र में तकरीबन १२०० करोड़ का ( प्रत्यक्ष रूप में, ,परोक्ष रूप में ज्यादा भी हो सकता है)उद्योग खड़ा कर लेना ,वह भी उस जमाने में, जब बिना पैसा खिलाये एक कागज भी आगे नहीं बढ़ता ,कोई खेल नहीं है.इससे यही सिद्ध होता है की कल के राम कृष्ण यादव और आज के बावा रामदेव केवल योग गुरु हीं नहीं ,बल्कि एक अनुकरणीय उद्योग पति भी हैं.अभियंता होने के नाते और वह भी यांत्रिक अभियंता जिसका सारा उम्र उद्योग और उद्योग पतियों के बीच गुजरा हो यह बात मेरे जैसों की समझ में बड़ी मुश्किल से आती है.
    सूचनानुसार यह पूरा उद्योग शायद पिछले सात आठ वर्षों में पनपा है. यह उद्योग विकास का एक ऐसा उदाहरण है,जिसका विश्व के किसी भी कोने में दूसरा उदाहरण यदि है तो कम से कम मुझे यह ज्ञात नहीं मेरी सूचना और मेरा आकलन गलत भी हो सकता है,क्योंकि मैं तो अपने को एक आम आदमी समझता हूँ,जो दो और दो के जोड़ को केवल चार ही कह सकता है.

  21. सुरेशजी चिपलूनकर से निवेदन है कि अंतरात्मा से निष्पक्ष होकर इस बाबा वादी प्रहसन पर वे हमारा मार्ग दर्शन करें कृपया बाबा रामदेव के व्यक्तित्व-कृतित्व को जानने के लिए www janwadi .blogspot .com पर आने का कष्ट करें.सभी सुधि टिप्पणीकारों को धन्यवाद

  22. आपके परिचय में वामपंथ लिखा है तो इसका अर्थ ये तो नहीं की आप पूरी जिन्दगी में सच्चाई के आलोचक ही बने रहोगे आपके विचार महाभारत के शकुनी से मिलते जुलते है जो पूरी जिंदगी पांड्वो में दोष निकालता रहा और कपट को सत्य सिद्ध करने की कोशिस करता रहा परन्तु अंतिम परिन्नाम क्या निकला उस स्वार्थ कपट कुटिल राजतन्त्र का उसके भी आपकी तरह बहुत से समर्थक रहे होंगे कुटिलता का अंत भी कुटिलता से होता है क्योंकि आचार्य द्रोण को मरवाने के लिए धर्मराज ने केवल एकबार झूठ बोला था जिंदगी भर कलंकित रहे परन्तु उस दुर्योधन का क्या जो जिन्दगी भर कुटिलता में जी रहा था यही इस्त्थी बाबा की है जो सचाई पर है फिर भी पांड्वो की तरह आरोपों से घिरे है …………………..और लेखक जब कलम में सवार्थ की स्याही भर कर लिखता तो इतिहास अन्धकार में चला जाता है और आप जैसे लोग लेखनी पर हावी होकर असलियत को छोड़कर विचारो का इतिहास बना देते है

  23. बाबा रामदेव को त्रिपुरा भेजकर अपने मन की कसक पूरी करो …शुभस्य शीघ्रम ..

  24. वामपंथी सब कुछ तो हार chuke है पर इनका दंभ है जो टूटता नहीं है ..वो कहावत इनपे चरितार्थ लगता है की ” रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया ” अगर कुछ कर ही पाते तो एक साथ इस देश से गाएब नहीं हो जाते …लिखते रहिये साहब अब आप लोगो के पास यही काम शेष है हा त्रिपुरा अभी भी आप लोगो के चंगुल में है उसे बचने के लिए भी कुछ लिखिए ….

Leave a Reply to agyani Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here