गांधीवाद और गांधीत्व में बड़ा फर्क है

पवन कुमार अरविंद

देखो भई; जब भ्रष्टाचार करना हो तो कम से कम गांधी टोपी को उतार दिया करो। गांधी टोपी को पहन कर ही ऊल-जुलूल हरकतें करना और नीयत में खोट लाना, गांधी को गाली देने के ही बराबर है। यह सरासर अनुचित है।

आखिर देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी से भ्रष्टाचारियों का क्या सम्बंध है ? समझ में नहीं आता कि गांधी के नाम की टोपी को बार-बार भ्रष्टाचार की काली करतूतों के पीछे क्यों घसीटा जाता है। जब किसी भ्रष्टाचारी नेता का कार्टून बनाना हो, कांग्रेस के विरोध में किसी नेता का पुलता फूंकना हो और ऐसे ही अन्य मौकों पर गांधी टोपी का प्रयोग जरूर किया जाता है। आखिर ऐसा क्यों है ? हालांकि ऐसा सभी कार्टूनों में नहीं होता। फिर भी ज्यादातर भ्रष्टाचारी नेताओं के कार्टूनों में गांधी टोपी का प्रयोग किया जाता है। ऐसा करना उनके विचारों को चिढ़ाने वाला ही प्रतीत होता है। क्या गांधी जी और भष्टाचार को आप एक ही सिक्के के दो पहलू मानते हैं? गांधी जी ने जीवन भर आत्मपरिष्कार और सुचिता पर विशेष ध्यान दिया और त्याग, सत्य व अंहिसा का अनूठा उदाहरण समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया। फिर भी उनकी टोपी को सरेआम क्यों नीलाम किया जा रहा है। यह किसी के भी समझ से परे है।

हालांकि, गांधी टोपी से कांग्रेस का भी कोई सम्बंध नहीं है। क्योंकि उसने स्वतंत्रता के तत्काल बाद गांधी को नजरअंदार कर दिया था। गांधी ने कहा था कि अब तो देश स्वतंत्र हो चुका है; लिहाजा इस कांग्रेस नामक संस्था को भंग कर दिया जाए। क्योंकि यह कांग्रेस आजादी की लड़ाई लड़ने का एक सामूहिक मंच थी। इस मंच से सभी विचारधाराओं के लोगों का जुड़ाव था। लेकिन इस संदर्भ में कांग्रेसियों ने गांधी की बात नहीं मानी और आजादी के बाद से ही गांधीत्व को ठोकर मारनी शुरू कर दी थी। दरअसल, गांधी को यह आशंका थी कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सेदारी की ढोल पीटकर कांग्रेस अपने नाम का दुरुपयोग कर सकती है। इसलिए कांगेस नामक संस्था को भंग करने के लिए गांधी ने बार-बार आग्रह किया।

वैसे गांधी जी कोई भगवान नहीं थे कि उनके अंदर एक भी दोष न हों, वह भी आदमी ही थे। इसलिए जीवन में उनसे भी कई गलतियां जरूर हुई होंगी। इस संदर्भ में यदि देखा जाए तो ‘गांधीत्व’ और ‘गांधीवाद’ में बड़ा फर्क है। ‘गांधीवाद’ जहां गांधी जी के जीवन के नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं पर आधारित विचारों का समुच्चय है, वहीं ‘गांधीत्व’ शब्द का अभिप्राय केवल सकारात्मक तत्व और उसके समुच्चय से है। यानी गांधी के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित विचार को गांधीवाद का नाम दिया जा सकता है। जबकि उनके सम्पूर्ण जीवन के केवल सकारात्मक पहलुओं पर आधारित विचार को गांधीत्व के नाम से पुकारा जा सकता है। अर्थात; गांधीवाद का सकारात्मक पक्ष ही गांधीत्व है। गणित की भाषा में कहें तो गांधीवाद विचारों का एक समुच्चय है; जबकि गांधीत्व उसका उप-समुच्चय। लेकिन यह उप-समुच्चय होते हुए भी गांधीवाद रूपी समुच्चय से काफी बड़ा है।

गांधी टोपी पहनने के बाद व्यक्ति की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है; क्योंकि यह केवल टोपी नहीं बल्कि एक विचार का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी टोपी पहनना यानी ‘गांधीवाद’ नहीं बल्कि ‘गांधीत्व’ का आचरण करना है। लेकिन वर्तमान कांग्रेसी एक ऐसे गांधी टोपी को धारण किए हैं जिसका न तो गांधीवाद से कोई संबंध है और न ही गांधीत्व से। हालांकि कांग्रेस में गांधीत्व का आचरण करने वाले नेताओं की भी कोई कमी नहीं है, लेकिन ऐसे लोग संगठन और सरकार में हाशिए पर रखे जाने के कारण दिखाई कम पड़ते हैं। ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं जो गांधी टोपी धारण नहीं करते; पर गांधी के पक्के भक्त हैं। ऐसे लोगों के लिए गांधी टोपी पहनने या न पहनने से कुछ फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि ऐसे लोगों का जीवन ही गांधीत्व का अनुपम उदाहरण है। ऐसे ही लोग गांधीत्व की रीढ़ हैं।

फिलहाल, गांधी टोपी धारण कर भ्रष्टाचार की अविरल गंगा प्रवाहित करने वाले नेताओं के आचरण से तो यही लगता है कि यह टोपी अब गांधी के विचार का नहीं बल्कि उनकी पार्थिव देह का प्रतीक बनकर रह गया है। यानी टोपी धारण करना केवल दिखावा भर है।

जरा सोचिए, जो व्यक्ति या संगठन गांधी को पूर्ण रूपेण आत्मसात कर लेगा, उसको भ्रष्टाचार से कुछ भी लेना-देना रह जाएगा क्या ? वह भ्रष्टाचार पर मौन कैसे रह सकेगा ? यदि कांग्रेसजन गांधी को अपना लिए होते, तो ‘भ्रष्टाचार की अविरल गंगा’ प्रवाहित क्यों करते ? इसके पीछे मुख्य कारण गांधीत्व को अंगीकार न करना ही है। यदि आप गांधी के विचारों की बार-बार दुहाई देते हैं और गांधी टोपी भी पहनते हैं; फिर भी आप भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आए, तो इसका स्पष्टीकरण मात्र एक ही शब्द में किया जा सकता है कि आप ढपोरसंख हैं। आपके लिए गांधी टोपी केवल मलाई काटने व चाटने का एक यंत्र भर है। इसलिए अच्छा यही होगा कि गांधी को बदनाम मत करिए, उनको चैन की सांस लेने दीजिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress