महात्मा गांधी द्वारा इस्तेमाल की गई चप्पलों व चश्मों की नीलामी की तैयारी न्यूयार्क में चल रही है। इससे देश भर के गांधीवादी खासे नाराज हैं।
दुनिया भर के समाचार पत्रों ने नीलामी को ऐतिहासिक करार दिया है, जबकि इस खबर से कई लोग आहत हुए हैं। गांधीवादियों का कहना है कि हमारे विचारों, रिश्तों, सोच और संस्कृति का अमेरिका में बाजारीकरण हो रहा है। यह सोच-सोचकर बड़ा दुख होता है।
वे लोग मानते है कि गांधी जी द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तु नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का माध्यम बन सकती हैं अतः उनसे जुड़ी सभी वस्तुओं को किसी सुरक्षित जगह पर जनता के दर्शन के लिए रखा जाना चाहिए। इससे कि आने वाली पीढ़ी उन्हें देखकर ही कम से कम कुछ प्रेरणा हासिल कर सके।
ब्रिटेन के एक समाचार पत्र के मुताबिक एंटिकोरम आक्सनर्स द्वारा 4 व 5 मार्च को आयोजित की जाने वाली इस नीलामी में गांधी की पॉकेट घड़ी, एक कटोरा व एक प्लेट को भी शामिल किया जाएगा। गांधी ने अपने चश्मों को भारतीय सेना के एक कर्नल यह कहते हुए दिया था कि इसने आजाद भारत की मुझे दृष्टि दी।
अपनी चप्पलों को उन्होंने वर्ष 1931 में लंदन में आयोजित गोलमेज बैठक के पहले एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी को दे दिया था। इसी तरह पॉकेट घड़ी आभा गांधी को दे दी थी। आभा हमेशा महात्मा के साथ रहती थीं और वर्ष 1948 में गोली लगने बाद गांधी आभा की बाहों में ही गिरे थे।
गौरतलब है कि गांधी अपनी हर चित्रों में वर्ष 1910 के आसपास निर्मित इसी पॉकेट घड़ी को लटकाए हुए दिखाई देते थे।