गणपति बप्पा मोरया…

0
457

ganesh-jiपरमजीत कौर कलेर

घर का कोई भी शुभ काम करने से पहले उनकी पूजा की जाती है…वो सवांरते हैं सभी के बिगड़े काम…और सभी की करते हैं विघ्न बाधाएं दूर… तभी तो सारा जग जानता है उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से….जी हां हम बात कर रहें हैं गणपति बप्पा यानि कि गणेश जी की…सारा देश गणेश चतुर्थी के रंग में रंगा हुआ है…इस त्यौहार को देश भर में बड़ी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है …ये त्यौहार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है…भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दोपहर में भगवान गणेश का जन्म हुआ था…इस उत्सव को गणेश उत्सव, गणेश चतुर्थी के रूप में बड़ी श्रद्धा-भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है…गणेश चतुर्थी के मौके पर हर कोई रंगा नज़र आ रहा है गणपति बप्पा के रंग में….जय-जय बप्पा मोरिया की धुनों पर गाते लोग बस मस्ती में झूमते नज़र आते हैं …हर कोई मशगूल है गणपति की भक्ति में …ताल से ताल मिलाते इनके रिदम का है खास अंदाज़…गाने के साथ ताल से ताल मिलाकर व नाचना बड़ा ही मुश्किल है वाकई इनका हुनर लाजवाब है…हर कोई मगन है गणपति की भक्ति में….भक्ति भी ऐसी कि झूम उठे पूरा आलम…हर कोई रंगा है गणपति के रंग में छोटे बच्चे भी कम नहीं हैं वो गणपति बप्पा की भक्ति के लीन हैं…और मिला रही हैं ताल के साथ ताल…चारो ओर बप्पा के मंत्रों की गूंज पूरे इलाके में फैली है…इस अवसर पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं…शास्त्रों में वर्णित है कि हिन्दुओं में तेतीस करोड़ देवी देवता हैं इन में से सबसे पहले गणपति जी की पूजा होती है…वैसे भी हम मंदिर में जाते हैं तो सबसे पहले विघ्नहर्ता की ही पूजा की जाती है…गणेश चतुर्थी पर तो इनका महत्व और भी बढ़ जाता है…इस दिन गणेश जी की पूजा बड़े विधि-विधान से की जाती है …मन की मुराद, इच्छाएं पूरी करने के लिए श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं…क्योंकि गणेश जी है विघ्न विनायक …और वो सभी की बाधाओं, मुसीबतों, मुश्किलों को तो दूर करते ही हैं…साथ ही ये पर्व लोगों के साथ मेल मिलाप का एक जरिया भी बनता है…गणपति बप्पा को कई नामों से जाना जाता है…गजानन, भगवान गणेश, लंबोदर, और ना जाने कितने ही नामों से उन्हे याद किया जाता हैं गणपति जी को..

भगवान गणेश को बुद्धि का देवता भी माना जाता है…यही कारण है कि वेद-पुराणो में ऐसा वर्णन है कि बच्चे अपनी शिक्षा का शुभारंभ इसी दिन से करते थे…बेशक आज माहौल बदल चुका है आधुनिकता के दौर में पर्व मनाने में भी बदलाव आया है…फिर भी छोटे – छोटे बच्चे इस दिन डंडों को बजाकर खेलते है इसलिए गणेश चतुर्थी को डण्डा चौथ के नाम से भी जाना जाता है ।

हर त्यौहार और पर्व मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक आधार या धार्मिक महत्व होता है…गणेश उत्सव यानि गणेश चतुर्थी के पर्व के पीछे भी प्रचीन कथा जुड़ी है…हर तरफ गजानन की सुज्जित मूर्तियां नज़र आती हैं…लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता… गणपति की कृपा पाने और हर घर में सुख स्मृद्धि के लिए पूरे दस दिन की जाती है गणपति की पूजा अर्चना …मंदिरों में श्रद्धालुओं की लगी लम्बी लम्बी लाईनें … हर कोई गणपति बप्पा की पूजा अर्चना में लीन नज़र आता है…हर श्रद्धालु गणपति के चरणों में सीस नवाता है और मन की मुरादें पाता है। इस मौके पर मंदिरों में विशेष साज-सज्जा की जाती है…गणपति बप्पा की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं…इन मूर्तियों को बनाने के लिए कलाकार कई महीने पहले ही तैयारियां शुरू कर देते हैं….कलाकार अपने हाथों से भगवान गणेश की ऐसी मूर्तियां बनाते हैं कि देखने वाले बस देखते ही रह जाएं…इसे कलाकारों के हाथों की जादूगरी न कहें तो और क्या कहें…जिसे मिट्टी की मदद से बनाया जाता है…मिट्टी की ये मूर्तियां इतनी शानदार लगती है कि मानों अभी ये मूर्तियां बोल पड़ेंगी…गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के अलावा हाथी की भी पूजा की जाती है….गणेश चतुर्थी के बारे में कहा जाता है कि इसी दिन यानि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को एक ही एक घटना घटी थी उसी के बाद ये पर्व मनाया जाता है…कहा जाता है कि एक बार भगवान शंकर कहीं बाहर गए थे और उनके जाने के बाद माता पार्वती स्नान करते हुए अपने तन की मैल से एक पुतला बनाया और उसे जीवित कर उसका नाम गणेश रखा…और गणेश जी को आदेश दिया कि हे पुत्र जब तक मैं स्नान न कर लूं .. तुम द्वार पर पहरा देना….उसी दौरान देवाधिदेव माहादेव अंदर जाने लगते हैं…तो गणेश जी उन्हें अन्दर जाने से रोका…भगवान भोलेनाथ इससे काफी नाराज़ हुए…और इसे अपना अपमान समझ कर शिवजी ने गणेश जी का सर धड़ से अलग कर दिया…जब पार्वती जी शिव को क्रोधित देखती हैं तो उनके क्रोध का कारण समझ नहीं आया…और इस क्रोध का कारण भोजन में देरी को समझती हैं…तभी वो खाने के लिए दो थालियां लगाती हैं…दूसरी थाली लगी देखकर शिव पूछते हैं कि दूसरी थाली किसके लिए लगाई है पार्वती जी ने कहा…कि अपने पुत्र गणेश के लिए…जो द्वार पर पहरा दे रहा है…यह सुनकर शिव की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा..और गणेश के साथ हुए वाक्या को सुनाते हैं तो मां पार्वती गणेश पुत्र की जीवन लीला समाप्त होने की बात से बहुत दुखी होती हैं और मारे दुख के उनके आंखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ती है…माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को जीवित करने की जिद करती हैं…पार्वती जी के दुख को दूर करने के लिए भोलेनाथ ने अपने गणों को आदेश दिया कि जो भी रास्ते में पहले मिले उसका सिर ले आओ अपने स्वामी की आज्ञा पाकर गणों ने रास्ते में मिले हाथी का सिर काट भगवान शंकर के सामने पहुंचे जिसके बाद उस बालक के धड़ से जोड़ कर गणेश को जीवन दान दिया गया…पुत्र को जीवित देखकर माता पार्वती की खुशी का ठिकाना नहीं रहा…इस तरह पार्वती जी ने अपने पुत्र पति को भोजन करा कर खुद भोजन किया…इसलिए गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले महिलाएं त्रितीया पर बिना अन्न-जल के अपने पुत्र के लिए उपवास रखती हैं…. ये तो थी लंबोदर यानि कि गणेश जी के बारे में पौराणिक कथा …ये कथा हमें सन्देश भी देती है कि किस तरह बालक गणेश जी ने अपनी मां की आज्ञा का पालन किया…इसलिए हर बच्चे को अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए…

विघ्नहर्ता, मंगलकारी , हैं गणपति जी …जब हम मंदिर जाते हैं तो सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती…क्योंकि जीवन में आने वाली अड़चनो,दुविधाओं को भगवान गणेश ही दूर करते हैं…घर में कोई भी शुभ कार्य हो उसकी शुरुआत सबसे पहले आदि देव गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद ही श्रीगणेश किया जाता है….

ऐसा माना जाता है भगवान गणेश की परिक्रमा कर पूजा करने से भक्तों की मन की मुरादें पूरी होती हैं…परिक्रमा को करते हुए अपनी मनोकामनाओं और इच्छाओं को दोहराते रहें…और उन्हें विनायक के नाम से ही तर्पण करना चाहिए.. सुबह प्रात काल स्नान करके सोने, तांबे, मिट्टी और गोबर से गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है…गणेश जी की प्रतिमा को कोरे कलश में जल भरकर,कलश पर कोरा कपड़ा बांधकर उनकी प्रतिमा को स्थापित किया जाता है…और सिन्दूर चढ़ाकर उनका पूजन करना चाहिए…

ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने के दौरान 21 लड्डूयों का भोग लगाना चाहिए…इनमें से पांच लड्डू गणेश जी के पास रखने चाहिए बाकी ब्राहम्णों को बांट देने चाहिए…भगवान गणेश की पूजा तो दूब और मोदक के लड़्डू के बिना अधूरी मानी जाती है…गणेश जी हरियाली के भी प्रतीक हैं…जो हर एक के जीवन में हरियाली और खुशियां लाते हैं…गणेश चतुर्थी पर मौसम भी सुहाना होता है गर्मी जा चुकी होती है और बारिश भी अपने अंतिम पड़ाव पर होती है मौसम काफी खुशगंवार होता है….इस मौसम में होती है चारों और हरियाली और गणेश जी भी लेकर आते हैं सबके जीवन में खुशियों की खुशहाली….लोगों का इस पर्व के प्रति उत्साह , जोश और श्रद्धा तो देखते ही बनता है मंदिरों में शंखों घंटाघड़ियालों की आवाज हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है…मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतार तो होती ही है…साथ ही लोग अपने घर में भी गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित करते हैं…इस दौरान घर की साफ-सफाई और रंग-रोगन करके घरों को सजाया जाता है…हर दिन सुबह-शाम भगवान गणेश की आरती, और मंत्रोंच्चार किया जाता है…इस पूजा में पूरा परिवार सम्मिलित होता है…

गणपति जी को विद्या , बुद्धि और रिद्धि – सिद्धि के देवता भी माना गया है…भगवान गणेश के गुणों को शब्दों में व्यक्त करना नामुमकिन है….अथाह गुणों के भंडार ….उनका चरित्र बेहद निराला है….गणेश जी का हर रूप ही श्रद्धालुओं के लिए सर्वोपरि है…भगवान गणेश का मस्तक भले ही हाथी का है…लेकिन उनकी गिनती बुद्धिमान और आज्ञाकारी पुत्र के रूप में होती है…आज्ञाकारी पुत्र होने के साथ साथ बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में भगवान गणेश की ख्याति है…कुछ लोगों का तो ये भी मानना है कि बेशक महाभारत के रचियता वेदव्यास जी हैं…मगर इस ग्रन्थ की रचना श्रीगणेश जी की कलम से हुई थी…रिद्धि और सिद्धि इनकी पत्नियां हैं जबकि इनकी सवारी मूसा यानी चूहे की है…गणेशउत्सव को भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी त्यौहार को बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है…हर कोई इस पर्व को मना कर खुशियों और संपन्नता का अपने घर में वास चाहता है….नौ दिन पूजा आराधना के बाद दसवें दिन यानी गणेश चतुर्थी के अन्तिम दिन भक्तो की आस्था तो देखते ही बनती है..गणेश जी को विसर्जित करने से पहले यज्ञ-हवन और महाआरती होती है….फिर सभी बड़े ढोल ढमाके के साथ गणपति का विसर्जन करने के लिए जाते हैं…रथ में गणेश जी की मूर्तियों को शानदार तरीके से सजाया जाता है…सबकी ख्वाहिश होती है कि गणपति मोरया को इस उम्मीद के साथ विदा करें कि अगले वर्ष फिर भगवान गणेश आएं और विराजे तब-तक पूरे परिवार और देश दुनिया पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें….

समंदर के किनारे लोगों का हुजूम और जयघोष….सूरज का रथ आंखों से ओझल होता हुआ सुनहली किरणे समंदर में बिखेरे जैसे बप्पा को विदा करने आईं हों…सारा देश सराबोर है गणेशउत्सव के रंग में…मानो सारा जहान उमड़ पड़ा हो गणपति विसर्जन करने के लिए…पर मक्सद सिर्फ एक ही होता है पूजा अर्चना…दस दिनों तक भक्तिभाव में डूबे रहने के बाद गणेश विसर्जन के दिन श्रद्धालुओं का उत्साह , जोश और उमंग देखते ही बनता है…भगवान गणेश की भक्ति और मस्ती में सराबोर लोग…कही ढोल की थाप पर…तो कही भजन-कीर्तन गाते बजाते भक्तों की टोली निकलती हैं…साथ साथ होता है नाच-गाना…वैसे गणेश चतुर्थी केवल माहाराष्ट्र में ही नहीं मनाई जाती …देश के अलग-2 राज्यों में भी ये पर्व धूम-धाम से अपने अपने अंदाज में मनाया जाता है…बड़ी श्रद्धा और भक्ति भावना से भगवान गणेश जी की नगर यात्रा निकाली जाती है हर कोई बेताब होता है शोभा यात्रा में शरीक होने को …मानो शहर भी उनके आने की बाट जोह रहा हो…मुम्बई के लोगों में तो इस पर्व को लेकर एक अलग ही उत्साह नज़र आता है …सारी मुबंई रोशनी से नहाई हुई नज़र आती है ….इस खास पर्व पर ठेल गाड़ियों में सुज्जित गणेश जी की मूर्तियां हर एक का मन मोह लेती है…और इस पर्व में ऐसे रंगारंग कार्यक्रम पेश किए जाते हैं कि देखने वाले बस देखते ही रह जाते हैं…इसे लोगों की भगवान गणेश के प्रति गहरी आस्था ही कहेंगें कि हर कोई लीन हो जाता है भगवान की भक्ति में…सात समंदर पार भी बड़ी शानो शौकत के साथ गजानन की मूर्तियो तो सजाई जाती है शोभा यात्रा भी बड़े ही सलीके से निकाली जाती …जिसमें हर कोई शरीक होता है…हर कोई गणपति की भक्ति के रंग में रंगा तो है ही साथ ही …बेशक गणेश चतुर्थी मनाने का अंदाज अलग है मगर सबका मक्सद सिर्फ एक ही होता गणेश जी कृपा पाना…हर किसी की कामना होती है कि विघ्नहर्ता का आशीष मिले…सबकी ख्वाहिश होती है कि गणपति बप्पा मोरया को अलविदा करें…. महाराष्ट्र मे तो लोग बेहद मनमोहक नृत्य प्रस्तुत करते हैं…इन कलाकारों को देखने वाले तो बस देखते ही रह जाते हैं…हर पंडाल जगमगा उठता है…ऐसे में हर एक की जुबान पर होता है गणपति बप्पा मोरिया मंगल मूर्ति मोरिया का नाम..गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर पूरा देश भगवान गणेश के रंग में रंगा है….और सबकी बस यही कामना है कि विघ्न हर्ता लोगों के जीवन में अपार खुशियां लेकर आए।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,687 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress