Home कला-संस्कृति एशिया का प्रकाश कहलाते हैं-गौतम बुद्ध 

एशिया का प्रकाश कहलाते हैं-गौतम बुद्ध 

वैशाख पूर्णिमा इस बार 5 मई 2023 को है, इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है, इसे बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। जानकारी देना चाहूंगा कि गौतम बुद्ध को एशिया का प्रकाश (लाइट ऑफ एशिया) कहा गया है। उनका जन्म नेपाल के कपिलवस्तु के लुम्बिनी वन में वैशाख पूर्णिमा के दिन 563 ई.पूर्व हुआ था। उनके जन्मदिन को आज बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता शाक्यवंश के राजा शुद्धोधन थे और माता का नाम महामाया था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनका पालन-पोषण एक राजकुमार के रूप में हुआ।आज के सन्दर्भ में कहें तो गौतम बुद्ध का जन्म भले ही नेपाल में हुआ हो पर उनकी कर्मभूमि भारत रही। यहीं उन्हें बोधित्व की प्राप्ति हुई और यहीं से उन्होंने पूरे विश्व को सन्देश दिया। आज भी जापान, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, चीन, वियतनाम, ताइवान, तिब्बत, भूटान, कम्बोडिया, हांगकांग, मंगोलिया, थाईलैंड, मकाऊ, वर्मा, लागोस और श्रीलंका की गिनती बुद्धिस्ट देशों में होती है। महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में हमेशा लोगों को अहिंसा, शांति और करुणा, मैत्री,बंधुत्व की शिक्षा दी थी।बुद्ध के अनुसार, इंसान जैसा सोचता है, उसकी सोच जैसी होती है वह वैसा ही बन जाता है।वहीं यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों(सद्विचारों) के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे जीवन में खुशियां ही मिलती हैं। कष्ट उसके सामने कभी भी आ ही नहीं सकते हैं। खुशियां उसकी परछाई की तरह उसका साथ कभी नहीं छोड़ती है। बुरी सोच कष्ट ही लाती है। गौतम बुद्ध के अनमोल विचार हम सभी को जीवन में हमेशा सफल बनने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।गौतम बुद्ध सत्य के पक्षधर थे और उनका यह मानना था कि जीवन में तीन चीजें कभी भी छुपाकर नहीं रखा जा सकता है। वो है- सूर्य, चंद्रमा और सत्य। गौतम बुद्ध का मानना था कि जिस तरह से एक जलता हुआ दिया हजारों लोगों को रौशनी देता है, ठीक वैसे ही खुशियां बांटने से आपस में प्यार बढ़ता है। वास्तव में, एक​ दीपक से हजारों दीपक जल सकते हैं, फिर भी दीपक की रोशनी कभी भी कम नहीं होती। इस तरह किसी की बुराई से मनुष्य की अच्छाई कम नहीं हो सकती है।बुद्ध के अनुसार, खुशियां बांटने से हमेशा बढ़ती हैं, बांटने से खुशियां कभी भी कम नहीं होती हैं। इसलिए मनुष्य को हमेशा जीवन में खुश रहना चाहिए और दूसरों को भी सदैव खुशियां देने का प्रयास करना चाहिए। उनका मानना था कि व्यक्ति को अपने वर्तमान में जीना चाहिए, भूतकाल और भविष्य के समय को याद करके दुखी होने का कोई अर्थ या मतलब नहीं है। आदमी अपने वर्तमान में ही खुश रह सकता है। बुराई से कभी भी बुराई को खत्म नहीं किया जा सकता है, प्रेम से दुनिया की हरेक चीज को जीता जा सकता है। उनका यह मानना था कि यदि व्यक्ति ने स्वयं पर विजय प्राप्त कर ली तो दुनिया की हरेक चीज पर विजय प्राप्त कर ली। क्रोध मनुष्य का दुश्मन है। मनुष्य को कभी भी क्रोध की सजा नहीं मिलती बल्कि क्रोध से सजा मिलती है। उनका मानना था कि-‘जीवन में आप चाहें जितनी अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ लो, कितने भी अच्छे शब्द सुनो, लेकिन जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई फायदा नहीं होगा।’ वास्तव में, आज विश्व को शांति, करूणा और सहिष्णुता के मार्ग पर चलने की जरूरत है। आज रूस-यूक्रेन में आपस में काफी समय से युद्ध चल रहा है। श्रीलंका में गृह युद्ध चल रहा है। भारत हो या कोई भी देश सांप्रदायिक, जातीय टकराव किसी भी हाल में ठीक नहीं कहा जा सकता है। याद रखें हिंसा किसी भी समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। जानकारी देना चाहूंगा कि गौतम बुद्ध ने युद्ध का हर संभव विरोध किया है। उन्होंने बार-बार कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं होता। क्योंकि हर युद्ध में जन-धन की अपार हानि होती है। कोई भी युद्ध उचित या न्याय के लिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि हर युद्ध के अपने पीछे बर्बादी और तबाही ही छोड़कर जाता है।हिंसा हमेशा क्षरण ही करती है। विश्व में जहाँ देखो वहाँ अशांति है, आतंकवाद है, नक्सलवाद है, अनैतिकता की भावना है,ऐसे में भगवान गौतम का जीवन दर्शन हमें आध्यात्मिकता के मार्ग पर प्रशस्त कर हमें समाधान का मार्ग सुझा सकता है। अहिंसा, प्रेम,भाईचारा(बंधुत्व की भावना), धैर्य, संतोष ही मानव जीवन के असली सूत्र है, जिनके सहारे मानव हमेशा आगे बढ़ सकता है, उन्नति के मार्ग पर स्वयं को और दूसरों को प्रशस्त कर सकता है। वास्तव में गौतम बुद्ध का पंचशील सिद्धांत मनुष्य के जीवन को सार्थक बना सकता है। जानकारी देना चाहूंगा कि गौतम बुद्ध के पंचशील सिद्धांतों में क्रमशः चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना, नशा न करना आदि शामिल है। कहना गलत नहीं होगा कि बुद्ध के संदेश आज के जीवन में भी उतने ही प्रासांगिक हैं, जितने कि पहले थे और इन्हें अपनाकर जीवन में बहुत कुछ सीखा जा सकता है। बुद्ध ने मानवता की मदद, समानता का संदेश इस देश-दुनिया को दिया था। आत्मबल हमें शांति की राह दिखाता है। सच तो यह है कि बुद्ध की शिक्षाएं हमारी आत्मिक उन्नति करती हैं। वास्तव में, वह मानव को मानवता का संदेश देते हैं। उनका धर्म विज्ञान पर आधारित है तथा वैज्ञानिक सोच पैदा करता है। यह अंधविश्वास के विरुद्ध है। गौतम बुद्ध ने समाज को अंधविश्वास से हमेशा दूर करने का संदेश दिया था। आज समाज को उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत अत्यंत महत्ती है।अगर दुनिया भगवान बुद्ध के आदर्शों, सिद्धांतों पर चले तो किसी भी समाज में भेदभाव, ऊंच- नीच की भावना, द्वेष, ईर्ष्या नहीं रहेगी। समाज में दंगा फसाद नहीं होंगे। हजारों साल पहले भगवान बुद्ध ने मानवजाति को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। आज आदमी, आदमी से लड़ रहा है। मनुष्य बारूद के ढ़ेर पर, हथियारों के ढ़ेर पर खड़ा है लेकिन आज मनुष्य को हथियारों की आवश्यकता नहीं है, आज मनुष्य को जरूरत है तो प्यार की, प्रेम की, अपनत्व, मानवता की भावना की। इस दुनिया को हथियार नहीं, हथियारों के स्थान पर प्रेम ही प्रेम चाहिए, नफरत की भावना नहीं, प्यार की भावना चाहिए। युद्ध की नहीं आज संसार को बुद्ध की आवश्यकता है। गौतम बुद्ध ने आष्टांगिक मार्ग यानी माध्यम मार्ग दिए। ये हर दृष्टि से जीवन को शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाते हैं। ये क्रमशः हैं- सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक्, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि। उन्होंने बताया था कि मानव जीवन की मूल समस्या है राग, द्वेष, मोह, घृणा, लालच और भय के विकारों से कैसे छुटकारा पाया जाए। यही विकार आपसी लड़ाई, एक दूसरे के साथ युद्ध, आर्थिक विषमता, शोषण, अत्याचार, अन्याय, भेदभाव, हिंसा व आतंकवाद को जन्म देते हैं। आज पूरी दुनिया में हिंसा, डर, आतंक व भ्रष्टाचार का माहौल है, जीवन में हर तरफ तनाव और अवसाद है, समस्याएं हैं, समाज में व देशों के बीच लगातार तनाव, आपसी कटुता, वैमनस्यता की भावना बढ़ रही है, मानव जाति विनाश के कगार पर(बारूद के ढ़ेर पर) खड़ी है। समाज में आर्थिक विषमता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। आज हमारे समाज में धर्म के नाम पर घोर अन्धविश्वास, धार्मिक कट्टरता, कर्मकांड व आडम्बर/आपसी दिखावे का बोलबाला लगातार बढ़ता चला जा रहा है, संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, एकल परिवार जन्म ले रहे हैं। गरीबों, शोषितों व वंचितों के प्रति उपेक्षा लगातार बढ़ रही है। ऐसे समय में भगवान् बुद्ध की शिक्षाएं पहले से और ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं। बुद्ध ने महिला सशक्तिकरण में भी अहम् योगदान दिया था। वे सामाजिक समानता के घोर समर्थक थे।बुद्ध ने कहा है कि –“मेरे शब्दों को प्रमाण न मानो। तुम्हारी बुद्धि अथवा अनुभव से जो बात जंचती हो उसे ही सत्य मानो। इस विश्व में अंतिम और अपरिवर्तनीय कुछ भी नहीं है। परिवर्तन और सतत परिवर्तन ही सत्य है।” अंत में, यही कहना चाहूंगा कि बुद्ध ने संपूर्ण विश्व में शांति, सद्भावना, भाईचारा का संदेश दिया। सभी जीवों से प्रेम करने और दीनदुखियों की मदद करने के लिए प्रेरित किया। आज के समय में यदि विश्व में शांति, बंधुत्व की स्थापना करनी है तो हमें भगवान बुद्ध के विचारों को अपने जीवन में उतारना होगा, उनके बताए हुए मार्ग का अनुशरण करना होगा। बुद्ध का संदेश है कि घृणा(बुराई) को घृणा से नहीं जीता जा सकता। घृणा को प्रेम से जीता जा सकता है। बुद्ध का धम्म तर्क संगत है। बुद्ध मार्ग दाता हैं, मोक्ष दाता नहीं। बुराइयों को दूर करने के लिए अपने मन में अच्छाइयों का विकास करना आवश्यक है।आज दुनिया जिस युद्ध और अशांति, तनाव, अवसाद से पीडि़त है, उसका समाधान कहीं न कहीं बुद्ध के उपदेशों में है। हमें विश्व को सुखी बनाना है, तो हमें अपने स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता पर जोर देना होगा, यह बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। गौतम बुद्ध के उपदेश,संदेश और विचार मनुष्यों को नैतिक मूल्‍यों और संतोष पर आधारित सादा जीवन,उच्च विचार जीवन जीने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका मानना था कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है। उन्होंने कहा था कि-‘क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है।’

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

सुनील कुमार महला

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