गजल:दोस्त की शक्ल में दुश्मन से बचा ए भाई…..

इक़बाल हिंदुस्तानी

सारी दुनिया का ना तू ठेका उठा ए भाई,

तेरा जो फ़र्ज़ है तू उसको निभा ए भाई।

 

तेरी दौलत से हमें कुछ नहीं लेना देना,

कितनी इज़्ज़त है तेरे दिल में दिखा ए भाई।

 

कोई तालीम हो कोई भी ज़बां हो चाहे,

अपने बच्चे का तू किरदार बना ए भाई।

 

मुझको क्यों छोटा बनाने को परेशां हो तुम,

इक बड़ी से बड़ी लक्कीर बना ए भाई।

 

जिनको पैसे से नहीं प्यार उसूलों से हो,

ऐसे रूठे हुए यारों को मना ए भाई।

 

सबके हो के भी किसी के ना रहे तुम कैसे,

हो सके तो हमको भी ये राज़ बता ए भाई।

 

चापलूसों की क़द्र हैं यहां यारों की नहीं,

दोस्त की शक्ल में दुश्मन से बचा ए भाई।

 

तू ने पाला है भरम तू है कवि सबसे बड़ा,

खुद को इंसान बना पहले बड़ा ए भाई।।

 

 

नोट-फ़र्ज़ः कर्तव्य, तालीमः शिक्षा, किरदारः चरित्र, उसूलः सिध्दांत

 

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इक़बाल हिंदुस्तानी
लेखक 13 वर्षों से हिंदी पाक्षिक पब्लिक ऑब्ज़र्वर का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं। दैनिक बिजनौर टाइम्स ग्रुप में तीन साल संपादन कर चुके हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अब तक 1000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आकाशवाणी नजीबाबाद पर एक दशक से अधिक अस्थायी कम्पेयर और एनाउंसर रह चुके हैं। रेडियो जर्मनी की हिंदी सेवा में इराक युद्ध पर भारत के युवा पत्रकार के रूप में 15 मिनट के विशेष कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में जानेमाने हिंदी साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। हिंदी ग़ज़लकार के रूप में दुष्यंत त्यागी एवार्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। स्थानीय नगरपालिका और विधानसभा चुनाव में 1991 से मतगणना पूर्व चुनावी सर्वे और संभावित परिणाम सटीक साबित होते रहे हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के लिये होली मिलन और ईद मिलन का 1992 से संयोजन और सफल संचालन कर रहे हैं। मोबाइल न. 09412117990

1 COMMENT

  1. मुझको क्यों छोटा बनाने को परेशां हो तुम,

    इक बड़ी से बड़ी लक्कीर बना ए भाई।

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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