सुरमई शाम ढल रही है

 राकेश कुमार सिंह

सुरमई शाम ढल रही है,
बेताबियाँ सीने पर,
नस्तर चला रही है,
आज फिर से उनका,
ख्याल आ रहा है !

भोली सूरत,
कजरारी आँखे,
जुल्फें ऐसी,
बादल भी सरमाये,
उनकी यादो का,
उन मुलाकातों का,
प्यारा सरमाया,
बेजार कर रहा है !

पहचान वो बर्षो पुराना,
रवां हो रहा है,
ख्यालो में उनके,
खुद को गिरफ्तार पाया,
बंदिशे रोकती है रहें,
लगता है ऐसे,
छितिज के उस पार,
कोई हमें आज,
फिर से बुला रहा है !

 

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राकेश कुमार सिंह
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 15 फरवरी सन 1965 को हुआ। शिक्षा स्नातक पेशे से सिक्योरिटी ऑफिसर वाईएमसीए नई दिल्ली में कार्यरत शौकिया लेखन क्रॉउन पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संकलन *'यादें'* इपीफैनी पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संग्रह *तुम्हारे बिना* और स्ट्रिंग पब्लिकेशन के द्वारा *सीपियाँ*और *काव्यमंजरी* प्रकाशित। (काव्य संकलन 120 सर्वश्रेष्ठ कविताएं *दिव्या* और 200 सर्वश्रेष्ठ शायरियां साझा संकलन में सहभागिता ऑनलाइन पत्रिकाओं जैसे प्रवक्ता.कॉम, अमर उजाला.कॉम, रिटको.कॉम, योर कोटस.कॉम पर हजारों रचनाएं प्रकाशित।

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