गूगल के सोशल नेटवर्क बज़ (Buzz) में प्राइवेसी पर धावा

हाल ही में गूगल ने सोशल नेटवर्क की दुनिया में Buzz के नाम से नेट यूजरों को एक नया मंच प्रदान किया है। इसका लक्ष्य है ट्विटर और फेसबुक को चुनौती देना। इस सामाजिक नेटवर्क ने बहुतों को निराश किया है। जो लोग इस नेट पर गए उनके साथ सबसे बुरी हुई है, जो व्यक्ति इस सामाजिक नेटवर्क पर गया उसे अपने सभी किस्म के नेट संपर्कों से हाथ धोना पड़ा। उसके ईमेल पते, नेट पर गपशप (चैट) करने वालों के पते, पूरे विवरण और ब्यौरे, मेडिकल रिपोर्ट आदि अन्य किसी ने चुरा लिए या सार्वजनिक हो गए। व्यक्तिगत डाटा चोरी की घटना अनेक लोगों के साथ घटी है। जिन लोगों ने अपने प्रोफाइल के साथ नेट पर अपने संपर्क और संवाद करने वालों के पते की सूची भी लगायी हुई थी वह सूची भी सार्वजनिक हो गयी और अनेक यूजरों के निजी ड़ाटा इस तरह सार्वजनिक हो गए। यूजरों की डाक्टरी रिपोर्ट, डाक्टरों की मरीजों की रिपोर्ट आदि अनेक निजी गुप्त जानकारियां भी सार्वजनिक हो गईं और चुरा ली गयीं। नेट हमलावरों ने डाटा चोरी के साथ यह भी पता लगा लिया कि आखिरकार यूजर किस स्थान पर है। यूजर के देश और काल का पता चल जाना बड़ी घटना है। इससे यूजरों के साथ गंभीर समस्याएं हुई हैं। नेट पर यूजरों की सुरक्षा की चिंता करने वाली संस्थाओं ने ज्योंही गूगल के बज़ के अंदर चल रहे गुलगपाड़े का रहस्योदघाटन किया। गूगल ने तुरंत ही इसे दुरुस्त किया। उसने तकनीकी तौर पर बज़ के चोर रास्ते तुरंत बंद कर दिए हैं और नया मॉडल लागू किया है। बज़ को सोशल नेटवर्क का एक अच्छा विकल्प माना जा सकता है, जरुरत है कि यूजर जब भी वहां जाएं तो अपनी जिन सूचनाओं और ईमेल पते सार्वजनिक न करना चाहें उन्हें छिपाकर रखें। इस कांड के बाद गूगल ने बज़ पर छिपाने की व्यवस्था कर दी है। इसके बावजूद डाटा चोरी का खतरा रहेगा, क्योंकि डाटा चोर शांत नहीं बैठे हैं।

दूसरी ओर के खिलाफ इलैक्ट्रोनिक प्राइवेसी सेंटर ने एक अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन में एक याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि बज़ के जरिए गूगल ने प्राइवेसी बनाए रखने के अपने ही वायदे को तोड़ा है। यूजर की सूचनाओं का वगैर उसकी अनुमति के सार्वजनिक होना प्राइवेसी बनाए रखने के गूगल के वायदे का उल्लंघन है।

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

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