भारत सरकार से छीन ली जाएगी करोड़ों की संपत्तियां

-लोकेन्द्र सिंह राजपूत

मुस्लिम सांसदों के दबाव में शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 में संसोधन स्वीकृत

इस देश की राजनीति में घुन लग गया है। राष्ट्रहित उसने खूंटी से टांग दिए हैं। इस देश की सरकार सत्ता प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती है। अधिक समय नहीं बीता था जब केन्द्र सरकार ने कश्मीर के पत्थरबाजों और देशद्रोहियों को करोड़ों का पैकेज जारी किया। वहीं वर्षों से टेंट में जिन्दगी बर्बाद कर रहे कश्मीरी पंडि़तों के हित की चिंता आज तक किसी भी सरकार द्वारा नहीं की गई और न की जा रही है। मेरा एक ही सवाल है- क्या कश्मीरी पंडि़त इस देश के नागरिक नहीं है। अगर हैं तो फिर क्यों उनकी बेइज्जती की जाती है। वे शांत है, उनके वोट थोक में नहीं मिलेंगे इसलिए उनके हितों की चिंता किसी को नहीं, तभी उन्हें उनकी जमीन, मकान और स्वाभिमान भरी जिन्दगी नहीं लौटाने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। वहीं भारत का राष्ट्रीय ध्वज जलाने वाले, भारतीय सेना और पुलिस पर पत्थर व गोली बरसाने वालों को 100 करोड़ का राहत पैकेज देना, उदार कश्मीरी पंडि़तों के मुंह पर तमाचा है। इतने पर ही सरकार नहीं रुक रही है। इस देश का सत्यानाश करने के लिए बहुत आगे तक उसके कदम बढ़ते जा रहे हैं।

एक पक्ष को तुष्ट करने के लिए सरकार कहां तक गिर सकती है उसका हालिया उदाहरण है शत्रु संपत्ति विधेयक-2010 का विरोध करना फिर उसमें मुस्लिम नेताओं के मनमाफिक संसोधन को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृति देना। कठपुतली (पपेट) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें इसी बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 में संसोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1968 में पाकिस्तान गए लोगों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था, इस संपत्ति पर अब भारत में रह रहे पाकिस्तान गए लोगों के कथित परिजन कब्जा पा सकेंगे। जबकि पाकिस्तान गए सभी लोगों को उनकी जमीन व भवनों का मुआवजा दिया जा चुका है। उसके बाद कैसे और क्यों ये कथित परिजन उस संपत्ति पर दावा कर सकते हैं और उसे प्राप्त कर सकते हैं।

दरअसल पाकिस्तान गए लोगों की सम्पत्ति को प्राप्त करने के लिए पहले से ही उनके कथित परिजनों द्वारा प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि 1968 में लागू शत्रु संपत्ति अधिनियम में कुछ खामी थी। उत्तरप्रदेश में यह प्रयास बड़े स्तर पर किए जा रहे हैं। 2005 तक ही न्यायालय में 600 मामलों की सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने उन्हें वांछित शत्रु संपत्ति पर कब्जा देने के निर्देश दिए हैं। शत्रु संपत्ति हथियाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में 250 और मुम्बई उच्च न्यायालय में 500 के करीब मुकदमे लंबित हैं। मैं यहां कथित परिजन का प्रयोग कर रहा हूं, उसके पीछे कारण हैं। समय-समय पर इस बात की पुष्टि हो रही है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान भारत के विभिन्न राज्यों में आकर बस जाते हैं। कुछ दिन यहां रहने के बाद सत्ता लोलुप राजनेताओं और दलालों के सहयोग से ये लोग राशन कार्ड बनवा लेते हैं, मतदाता सूची में नाम जुड़वा लेते हैं। फिर कहते हैं कि वे तो सन् 1947 से पहले से यहीं रह रहे हैं।

शत्रु संपत्ति अधिनियम-1968 की खामियों को दूर करने और कथित परिजनों को शत्रु संपत्ति को प्राप्त करने से रोकने के लिए गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने 2 अगस्त को लोकसभा में शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 प्रस्तुत किया गया था। इस विधेयक के प्रस्तुत होने पर अधिकांशत: सभी दलों के मुस्लिम नेता एकजुट हो गए। उन्होंने विधेयक में संसोधन के लिए पपेट पीएम मनमोहन सिंह और इटेलियन मैम सोनिया गांधी पर दबाव बनाया। दस जनपथ के खासमखास अहमद पटेल, अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री सलमान खुर्शीद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में मुस्लिम सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर उनके कान में मंत्र फंूका कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है। अगर यह मंजूर हो गया तो कांग्रेस के माथे पर मुस्लिम विरोधी होने का कलंक लग जाएगा और कांग्रेस थोक में मिलने वाले मुस्लिम वोटों से हाथ धो बैठेगा। यह बात मनमोहन सिंह को जम गई। परिणाम स्वरूप विधेयक में संसोधन कर दिया गया और उसे पाकिस्तान गए मुसलमानों के कथित परिजनों के मुफीद बना दिया गया। जिस पर बुधवार को पपेट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में मुहर लगा दी गई। अब स्थित अराजक हो सकती है सरकार से उन सभी ऐतिहासिक और बेशकीमती भवनों व जमीन को ये कथित परिजन छीन सकते हैं, जो अभी तक शत्रु संपत्ति थी। जबकि इनका मुआवजा पाकिस्तान गए मुसलमान पहले ही अपने साथ भारत सरकार से थैले में भर-भरकर ले जा चुके हैं।

7 COMMENTS

  1. डॉ. राजेश कपूर जी, एलआर गांधी जी, सुनील पटेल जी, इंजीनियर दिनेश जी, सुधीर शर्मा जी आप लोगों का धन्यवाद। इस कानून को निरस्त कराने के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा। या तो सरकार बदलनी पड़ेगी या फिर न्यायपालिका की मदद से कानून। भारत की राजनीति बहुत बुरे दौर से गुजर रही है।
    प्रति, श्रीराम तिवारी जी मानते हैं कि यह काम राष्ट्रविरोधियों ने किया है। तिवारी जी आपका धन्यवाद कम से कम आपने माना तो सही कि यह राष्ट्रविरोधी लोगों का कुकर्म है। हां आपका यह सवाल भी जायज है कि राष्ट्रवादी कहां मर गए थे जब यह शत्रु सम्पति विधेयक पारित हुआ।

  2. bahut khub.pakistan ke khilaf karwai me nakam aur seema suraksha me phel ho chuki congress sarkar aur raksha adhikari ab kya kar rahen hai,khuleyam desh virodhi sabha aur narebaji ke bavjud ye chup baithe hai.sach to ye hai congress sarkar juthe secularism ke nam par desh ko barbad karne me lagi hai.jisase atanki takaton ko badava mil raha hai.iese rokna hoga.jaruri ye bhi hai ki bjp aur dusari partiyan iske khilaf aawaj buland karen.jaihind

  3. लोकेन्द्र जी आपने एक बहुत बड़े खतरे की जानकारी दी है. यह तो सोनिया सरकार की सहायता से भारत पर एक और इस्लामी आक्रमण है. भारत पर आक्रमण करके पाकिस्तान अधिकार नहीं कर सका तो अब इस प्रकार भारत पर पाक के अधिकार का दरवाज़ा खोल दिया गया है.
    – सोनिया सरकार के इस निर्णय से एक बार फिर साबित हो गया की यह सरकार भारत के शत्रुओं के हित में काम करने वाली विदेशी ताकतों की एजेंट सरकार है. अथवा —-
    ” हम भारतीयों द्वारा चुनी गयी, भारत के शत्रुओं की, भारत के शत्रुओं के हित में काम करने वाली, विदेशी ताकतों की सरकार है.”
    – इनका हर काम भारत के हितों के विरुद्ध, विदेशी साम्राज्यवादी ताकतों के हित में होता हर रोज़ नज़र आ रहा है. नपुंसक और भ्रष्ट विपक्ष इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से नहीं उठा रहा. संदेह होता है की वे लोग भी सरकारी ‘ब्लैकमेल का शिकार’ अपने कुकर्मों के कारण बन रहे हैं और या फिर बिके हुए हैं.
    – ऐसे में भारत के आम नागरिकों को जागरूक होने- करने के इलावा कोई रास्ता नहीं सूझ रहा. बाबा रामदेव जी और आर्ट ऑफ़ लीविंग से भी आशा बंधी है की ये हमारे भीतर बैठ कर भारत को ख़त्म करने वाले शत्रुओं से हमें मुक्ती दिलवाएंगे.
    – इन हालात में आप सरीखे प्रतिभावान और देशभक्त युवाओं का लेखनका ये बहुत बड़ा योगदान है जिससे लोग जागरूक, सचेत होते हैं. मेरा साधुवाद, शुभकामनयें.

  4. बहुत ही यथार्थ परक और प्रभावशाली लेख के लिए साधुवाद ! ये सेकुलर शैतान मुस्लिम वोट की खातिर तो अपनी माँ को भी बेच देंगे … देश की किसको परवाह है।

  5. यदि बाकई ये सच है तो संसद में उपस्थित सभी विपक्षी दल और खास तौर से वे जो राष्ट्रभक्ति के अलमबरदार बने बैठे हैं -वहां क्या तमाशा देख रहे थे .इसके अलावा एक और बिडम्बना है की यु पी ये प्रथम से पूर्व एन डी dए की सरकार के समय शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पर कोई सार्थक कार्यवाही क्यों नहीं की गई ?

  6. लोकेन्द्र भाई बेहद शानदार लेख| मनमोहन सिंह को पपेट की उपाधि खूब जमती है|
    ऐसा नहीं है की कश्मीरी पंडितों के हित में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया, अरे भाई उनके लिए देश की राजधानी के सबसे बदबूदार क्षेत्र में इतनी सारी झुग्गियों का बंदोबस्त करना क्या कोई छोटा काम है? आखिर सेक्युलरिज्म नाम की भी कोई चीज़ होती है कि नहीं? इस शब्द को भूल जाएंगे तो मुस्लिम वोट कहाँ से मिलेंगे?
    लोकेन्द्र भाई आपके लेख सच में बड़े शानदार होते हैं|

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