हल्दी वाला दूध पियो

ठंड नहीं लगती क्या चंदा,
नंगे घूम रहे अम्बर में।
नीचे उत रो घर में आओ,
सेको जरा बदन हीटर में।

कड़क ठंड है अकड़ जाओगे,
बिस्तर तुम्हें पकड़ना होगा
किसी वैद्य के या हकीम के,
अस्पताल में सड़ना होगा |

कोरोना के कारण जग में,
सभी तरफ फैली बदहाली |
बड़े दवाखानों में तुमको,
बिस्तर नहीं मिलेगा खाली |

हल्दी वाला दूध पियो तुम,
इससे बदन निखर जाएगा |
औषधियों वाले काढ़े से ,
कोरोना भी डर जाएगा |

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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