एक हरियाणा लोक गीत

सावन का महीना है भरतार,
तू मुझे झूला झुलाने आईयो,
तू मुझे झूला झुलााने आईयो
मै करूंगी तेरा घना इंतजार।।

हाथो की चूड़ी लाना,
पैरों की बिछवे लाना,
मांग का सिंदूर लाना,
क्रीम पाउडर भी लाना।
मै करूंगी सोलह सिंगार,
सावन का महीना है भरतार।।

कानों के कुंडल लाना,
माथे का टीका लाना,
नाक की नथ भी लाना
माथे की बिंदिया लाना
भूलना न गले का हार,
सावन का महीना है भरतार।।

बालों के लिए गजरा लाना,
आंखो का सुरमा भी लाना,
पैरों की पायजेब भी लाना,
हाथों में लिए कंगन लाना,
मै सजूगी तेरे लिए भरतार।।
सावन का महीना है भरतार।।

रेशम की डोरी लाना,
चांदी का पटरा लाना
ढोलक मंजीरा लाना,
संगीत की धूम मचाना,
तू झोटे देना मुझको यार,
सावन का महीना है भरतार।।

घाघरा चुन्नी मत लाना,
साड़ी जनफर मत लाना,
ये फैशन से है अब बाहर,
केवल जींस टॉप ही लाना,।
मै मैम बनूंगी तेरी अब यार
सावन का महीना है भरतार

आर के रस्तोगी

Previous articleनयी तकनीक से ग्रामीण भारत में कृषि क्षेत्र को बदलना होगा
Next articleवे ही बने हैं वर्ण पर्ण!
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress