1 नवम्बर/स्थापना दिवस विशेष
राजेश कश्यप
संविधान के सातवें संशोधन द्वारा भारतवर्ष के सत्रहवें राज्य के रूप में हरियाणा प्रदेश का उदय मंगलवार, 1 नवम्बर, 1966 को हुआ। अलग राज्य बनने से पहले यह पंजाब का ही भाग था। अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा प्रदेश ने हर क्षेत्र में बेहद उल्लेखनीय प्रगति की है और विकास के मामले में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अस्तित्व के समय हरियाणा प्रदेश की जनसंख्या 1 करोड़ 29 लाख थी। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस समय प्रदेश की जनसंख्या 2 करोड़, 53 लाख है। हरियाणा प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 44,212 वर्गकिलोमीटर है, जोकि भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.34 प्रतिशत है।
सर्वविद्यित है कि हरियाणा प्रदेश कृषि प्रधान रहा है। हरियाणा ने कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में बड़ी तेजी से उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय विकास किया है। वर्ष 1966 में राज्य के गठन के समय खाद्यान्नों का उत्पादन 25 लाख 92 हजार टन था, जोकि वर्ष 2010-11 में बढ़कर 166.29 लाख टन तक पहुँच गया। राष्ट्र को खाद्यान्न भण्डार में योगदान देने में हरियाणा प्रदेश को दूसरा स्थान हासिल है। पशुधन के मामले में हरियाणा प्रदेश ने विश्व में अपना डंका बजाया हैं। इस प्रदेश की मुर्राह नस्ल भैंस विश्वविख्यात हो चुकी हैं। मुर्राह नस्ल की भैंस को अधिकतम दूध देने का गौरव हासिल हो चुका है। मत्स्य पालन में वर्ष 2010-11 में प्रति इकाई देशभर में हरियाणा को दूसरा स्थान हासिल हुआ है।
हरियाणा प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्ष 2012-13 के लिए बजट में शिक्षा के लिए 8245.58 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इस समय प्रदेश के उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 10 लाख 45 हजार 118 विद्यार्थी शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। हरियाणा के गठन के समय वर्ष 1966 में मात्र 6 बहुतकनीकी संस्थान और एक इंजीनियरिंग संस्थान था, जिनमें दाखिला लेने की वार्षिक क्षमता 1341 विद्यार्थियों की थी। जबकि, वर्ष 2011 में इन संस्थानों की संख्या बढ़कर 640 और विद्यार्थियों की वार्षिक दाखिला क्षमता बढ़कर 1 लाख 42 हजार 226 विद्यार्थियों की हो चुकी है। रचनात्मक कलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए रोहतक में फैशन डिजायन, फिल्म एवं टेलीविजन और फाईन आर्ट्स के राज्य संस्थान स्थापित किए जा चुके हैं। हरियाणा प्रदेश बहुत जल्द विधि विश्वविद्यालय और उच्चतर शिक्षा हब का सम्मान हासिल करने के लिए बड़ी तेजी से अग्रसित हो चुका है। राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय सोनीपत जिले के कुण्डली में राजीव गांधी एजुकेशन सीटी में स्थापित करने के लिए विधेयक-2012 पास किया जा चुका है। वर्ष 2004-05 में प्रदेश मंे कुल 7 विश्वविद्यालय थे, जोकि अब बढ़कर 23 हो गए हैं। महेन्द्रगढ़ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय और खानपुर कलां, सोनीपत में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। गुड़गांव जिले में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी और हिसार में पशु चिकित्सालय विश्वविद्यालय खोला गया है। खानपुर कलां (सोनीपत), मेवात, फरीदाबाद और करनाल में मैडीकल कॉलेज खोले जा रहे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में हरियाणा ने बड़ी तेजी से उन्नति की है। इस समय हरियाणा में तीन नए मैडीकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है। इनमें मेवात जिले में नल्हड़ मैडीकल कॉलेज, करनाल में कल्पना चावला मैडीकल कॉलेज और झज्जर के बाढ़सा में एम्स-दो शामिल है। इससे पूर्व रोहतक मंे पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की जा चुकी है। इसके साथ ही हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर वाहनों की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। इनके अलावा, राज्य में एंडवांस लाईफ स्पोर्ट सिस्टम एंबुलेंस सुविधा भी शुरू की गई है, जोकि दिनरात सेवा में तत्पर रहती है। निश्चित तौरपर इन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में हरियाणा प्रदेश की अभूतपूर्व उपलब्धि कहा जा सकता है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र प्रदेश की प्राथमिक सूची में शामिल है, जिसके चलते वर्ष 2012-13 के लिए रिकार्ड़ 1656.03 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित की है।
हरियाणा में वर्ष 2005-06 में मातृ-मृत्यु दर 186 थी, जोकि घटकर 153 रह चुकी है। वर्ष 2002 में शिशु मृत्यु दर 1000 के मुकाबले 61 थी, जोकि वर्ष 2010 के आते-आते 48 ही रह गई है। इस समय प्रदेश में आर्थिक पैकेज के तहत 1500 करोड़ रूपये की स्वास्थ्य परियोजनाओं पर काम चल रहा है। पीएनडीटी एक्ट का सख्ती से लागू करने के परिणामस्वरूप प्रदेश के लिंगानुपात में भी सुधार आया है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश का अनुपात 877 था, जोकि जून, 2012 में घटकर 844 रह गया है। पीएनडीटी अधिनियम के तहत अब तक 25 चिकित्सकों को सजा दी जा चुकी है और 377 अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों का पंजीकरण निलंबित/रद्द किया जा चुका है। इसके साथ ही 177 अल्ट्रासाउण्ड मशीनें पकड़ी जा चुकी हैं। कन्या-भ्रण हत्या को रोकने में उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय पहल करने वाले जीन्द जिले के बीबीपुर गाँव की पंचायत को एक करोड़ रूपये की धनराशि से सम्मानित किया गया है।
हरियाणा ने खेलों के क्षेत्र में भी अपना परचम फहराया है। वर्ष 2012 के लन्दन ओलम्पिक खेलों में भारत ने कुल छह पदक जीते, जिनमें से चार पदक हरियाणा के होनहार खिलाड़ियों ने अपने नाम किए। वर्ष 2008 के बीजिंग ओलम्पिक खेलों मंे भी हरियाणा के खिलाड़ियों ने तीन में से दो पदक अपने नाम किए थे। इस समय हरियाणा में दो राज्य स्तरीय स्टेडियम, 21 जिला स्तरीय स्टेडियम व 221 छोटे स्टेडियम हैं। इसके साथ ही 226 नए ब्लॉक स्तरीय स्टेडियमों का निर्माण होने वाला है। सरकार द्वारा चालू वित्तवर्ष के दौरान खेल बजट को बढ़ाकर तीन गुना यानि 107 करोड़ किया जा चुका है। हरियाणा सरकार की खेल नीति ‘पदक लाओ, पद पाओ’ के तहत वर्ष 2005 से लेकर अब तक 424 खिलाड़ियों को योग्यतानुसार नौकरियां भी दी चुकी हैं। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को पदो ंके साथ-साथ भारी धनराशि से भी पुरस्कृत किया जा रहा है। लन्दन ओलम्पिक विजेता खिलाड़ियो को करोड़ों रूपये की धनराशि एवं उपहार हरियाणा सरकार ने दिल खोलकर दिए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 2016 में रियोल (ब्राजील) में होने वाले ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को 5 करोड़ रूपये, रजत पदक विजेता को 3 करोड़ रूपये और कांस्य पदक विजेता को 2 करोड़ रूपये की धनराशि देने की घोषणा की है। हरियाणा सरकार की खेल एवं शारीरिक योग्यता परीक्षण (स्पैट) योजना के तहत नए होनहार खिलाड़ियों को खोजने व उन्हें आगे बढ़ाने में बेहद कामयाब हो रही है।
हरियाणा प्रदेश में सड़क एवं परिवार के क्षेत्र में बेहद प्रगति की है। हरियाणा के निर्माण के समय वर्ष 1966 में कुल 475 बसें ही थीं, जोकि वर्ष 2012 में बढ़कर 3490 हो गई हैं। परिवहन के बेड़े में बहुत जल्द 4000 नई बसें शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार के सहयोग से हरियाणा प्रदेश दिल्ली की मैट्रो से जुड़ने जा रहा है। दिल्ली-मैट्रो का विस्तार फरीदाबाद तक और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे मैट्रो स्टेशन से गुड़गाँव तक और मुंडका (दिल्ली) से बहादुरगढ़ तक किया जा रहा है।
हरियाणा ने आर्थिक क्षेत्र में खूब तरक्की की है। एक त्वरित अनुमान के अनुसार प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2010-11 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है और प्रदेश में औद्योगिक उत्पाद की औसत वृद्धि दर 7.9 रही है। वर्तमान प्रचलित दरों पर वर्ष 1999-2000 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद 51 हजार 375 करोड़ रूपये था, जोकि वर्ष 2011-12 में बढ़कर 3 लाख, 9 हजार 326 करोड़ रूपये हो गया। इसमें 500 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी हरियाणा प्रदेश ने बाजी मारी है। प्रचलित मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय 370 प्रतिशत से अधिक बढ़कर, 1 लाख, 9 हजार 227 रूपये हो गई है। इससे पूर्व वर्ष 1999-2000 में यह मात्र 23 हजार 222 रूपये ही थी। योजना आयोग के अनुसार पिछले पाँच वर्षों की हरियाणा की औसत विकास दर 11.6 प्रतिशत है, जोकि राष्ट्रीय विकास दर 8.2 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
हरियाणा में बिजली उपभोक्ताओं को वर्ष 2004-05 में जहां प्रतिदिन 578 लाख यूनिट बिजली दी जा रही थी, वहीं वर्ष 2011-12 में प्रतिदिन 1009 लाख यूनिट बिजली की आपूर्ति दी जा रही है। वर्ष 204-05 के दौरान कृषि क्षेत्र को 291 लाख यूनिट प्रतिदिन बिजली दी जा रही थी, वहीं वर्ष 2011-12 में इसे बढ़ाकर 394 लाख यूनिट प्रतिदिन कर दिया गया है। वर्ष 2011-12 में हरियाणा में स्वयं द्वारा उत्पादित बिजली बढ़कर 4390.5 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। जबकि, वर्ष 2004-05 में यह मात्र 1587.7 मेगावाट ही थी। हरियाणा बहुत जल्द बिजली के मामले में पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर राज्य बनने वाला है।
हरियाणा ने वाणिज्य एवं उद्योग में भी बड़ी उल्लेखनीय प्रगति की है। निवेशकों की नजर में हरियाणा प्रदेश सबसे पसन्दीदा प्रदेश बना है। हरियाणा में वर्ष 2005 के दौरान कुल 59 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ था, वहीं इस समय यह निवेश लगभग 96 हजार करोड़ के आंकड़े को छूने को बेताब है। हरियाणा प्रदेश की नवीन औद्योगिक नीति ने अप्रत्याशित परिणाम देने शुरू कर दिये हैं। इस नीति के तरत प्रदेश भर में नये औद्योगिक मॉडर टाऊनशिप (आईएमटी) स्थापित किये जा रहे हैं। गत सात वर्षों के दौरान 108 बड़े और मध्य स्तर के उद्योग एवं 14336 लघु स्तर के उद्योग लगे हैं।
कुल मिलाकर, हरियाणा प्रदेश नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जिसे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहा जा रहा है। हाल ही में हावर्ड बिजनेस स्कूल से सम्बद्ध इंस्टीच्यूट ऑफ कम्पेटिटिवनैस (आईएफसी) ने ‘आईएफसी-मिंट स्टेट कम्पेटिटिवनैस अवार्ड-2012’ के लिए हरियाणा प्रदेश का चयन किया है। नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय ग्रीन डिजायन-2012 के सम्मेलन में हरियाणा अक्षय उर्जा विभाग और हरेडा को ‘एग्जेम्पलरी डेमोंस्ट्रेशन ऑफ इंटीग्रेशन ऑफ सोलर पैसिब फीजर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। हरियाणा लोकनिर्माण (भवन एवं सड़कें) विभाग को केन्द्र सरकार की निर्माण उद्योगिक विकास परिषद द्वारा ‘विश्वकर्मा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। दी फैडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने हरियाणा प्रदेश को ‘वर्ष 2012 का सर्वोत्कृष्ट खेल राज्य’ पुरस्कार से नवाजा। एनडीटीवी ने खेल प्रोत्साहन के क्षेत्र में हरियाणा को सर्वोत्कृष्ट राज्य का सम्मान दिया। उर्जा नवीनीकरण एवं संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा हरियाणा प्रदेश को वर्ष 2010-11 के लिए दूसरे पुरस्कार से सम्मानित किया। सभी क्षेत्रों में विकास के लिए हरियाणा को ‘फायनेंसियल इनक्लूजन अवार्ड-2012’ से सम्मानित किया गया है।
आपने हरियाणा की प्रगति के बारे में काफी अच्छी तरह से बताया है. अच्छा होता अगर इस प्रगति में कौन कौन से जिले विशेष रूप से शामिल हैं इनके बारे में बता देते. आप ने जो विकास का वर्णन यहाँ किया है, उसमे हरियाणा के आधे से अधिक जिलो का आप नाम नहीं ले पाए हैं. और जिन जिलो का नाम आपने लिया भी है उनमे से कई जिले तो ऐसे हैं जिनका नाम एक आध बार ही बड़ी मुश्किल से लिया जा सकता है. अन्यथा हरियाणा का विकास तो चार पांच जिलो तक ही सीमित है.