हेल्थ योगी बाबा रामदेव की राजनैतिक यात्रा

-हरीशंकर साही

बाबा रामदेव ने योग की शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का कभी प्रण किया था। उनके प्रण के पीछे ध्येय था कि वह भारत के लोगों को रोग मुक्त कराना चाहते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक ब्रह्मचारी संत है। ब्रह्मचारी संत आमतौर पर उन लोगो के लिए प्रयुक्त किया जाता है, जो मोह माया से दूर है। परन्तु एक मोह माया से दूर सन्यासी अगर राजनीति की बात करने लगे तब उस पर शंका होने लगती है। रामदेव जो मूलतः हरियाणा के एक साधारण परिवार से संबंधित हैं। अपने योग सिखाने के कारण भारत में एक बडे योग गुरू के रूप पूजे जाते थे। परन्तु अब उनका कुछ दूसरा रूप दिखाई देता है।

कभी बाबा अपने शिविरों में अपने विभिन्न आसन सिखाते थे। उनके शिविरो में व्यक्ति योगिक जागिंग, शीर्षासन, सर्वांगासन जैसे कई आसन व भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम जैसे कई प्राणायाम सीखते थे। उन्होने ग्रन्थों में लिखी प्राणायाम की क्रिया को सरल करके आम जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया। बाबा के इन प्रयोगों से आम जनता में प्राणायाम के प्रति एक जबरदस्त आकर्षण बढा। इसमें भी कोई शंका नही है कि इन योगाभ्यासों से आम जनता को लाभ भी हुआ। धीरे-धीरे बाबा के योग की धूम देश विदेश की सीमा को लांघ गई। अमेरिका के मशहूर अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने भी बाबा रामदेव को विशेष विशेषण देते हुए लिखा था ‘‘एक भारतीय जिसने योग की रियासत को बनाया’’। अपनी बढ़ती प्रसिद्धि के बाद बाबा रामदेव ने अपने विशेष सहयोगी बालकृष्ण के साथ मिलकर हरिद्वार में एक अत्यन्त विशाल और आधुनिक सुविधा पूर्ण पतंजलि योग पीठ की स्थापना की।

इस पूरे चक्र के दौरान उन पर तमाम आरोप भी लगे। कभी रामदेव के खास सहयोगी और पुराने योग समारोहों में सबसे प्रमुख रूप से दिखने वाले कर्मवीर का साथ छोड जाना। कर्मवीर एक बी0ए0एम0एस0 डाक्टर थे और पतंजलि आयुर्वेद फार्मेसी के पूर्व प्रमुख भी। उन्होंने रामदेव का साथ छोडते हुए उन पर तब कई आरोप भी लगाये थे। परन्तु उस समय बाबा केवल लोगों को स्वास्थ्य देने की बात करते थे और उनके योग की दीवानी जनता ने इस पर ध्यान भी नहीं दिया। जिसके फलस्वरूप कर्मवीर नेपथ्य में चले गये। फिर बाद में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वृंदा करात ने तो उन पर बाकायदा उनके आयुर्वेदिक उत्पादों में जानवरों की हड्डियों की मिलावट का आरोप जडा। जिससे वह 2006 में जाँच रिपोर्ट में वह साफ बच तो गये। परन्तु कम्युनिस्ट आज भी अपने आरोपों से पीछे नही हटे हैं। वहीं बाबा के अन्य आलोचकों ने विदेश में दान में मिले द्वीप पर सवाल उठाये। उन पर सबसे नया आरोप दान में मिले हेलीकाप्टर को लेकर लगा। दूसरी ओर बाबा के सुविधाभोगी होने के बारे में चर्चा उठनी शुरू हो गई हैं।

बाबा रामदेव के उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में चलाये उनके योग शिविरो एवं स्वाभिमान यात्रा को काफी नजदीक से अनुभव करने के बाद उन्हें ऐसा संत मानने में शंका उत्पन्न हो जाती है। जो मोह-माया से दूर हो।

बाबा रामदेव ने अपनी उत्तर प्रदेश की यात्रा बिजनौर जनपद से शुरू की थी। बाद में शाहजहाँपुर, रामपुर, पीलीभीत, लखीमपुर-खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोण्डा होते हुए यह यात्रा चलती रही। इस पूरी यात्रा के दौरान उन्होने जनपदों के मुख्यालयों पर प्रातः 5 बजे से 7.30 तक योग शिविर किये। बाद में इन्ही जनपदों के दूर-दराज के क्षेत्रों में जनसंबोधन होते हैं जो राजनीति का महत्वपूर्ण अंग माने जाते हैं। बाबा अपने शिविरों से पहले जनपद में रात्रि विश्राम करते हैं। जो ज्यादातर उस जिले के किसी बडे धनाढ्य या प्रभावशाली व्यक्ति के यहाँ होता है।

रामदेव के प्रातः काल में लगने वाले योग शिविरों में जनता योग सीखने के उद्देश्य से जमा होती है। परन्तु रामदेव योग सिखाने का नाम तो लेते हैं, लेकिन उनका तरीका सिखाने से ज्यादा दिखाने का होता है। बहराइच के उनके योग शिविर में शामिल होने आये राकेश सिंह कहते हैं कि ‘‘ बाबा इतने ज्यादा गति से योग करते हैं कि सीखना तो दूर देखना भी मुश्किल हो जाता है’’। बाबा अपने योग शिविरो में योग सिखाते-सिखाते राजनीतिक परिस्थितियों पर भाषण देने लगते है। बहराइच के ही योग शिविर में बाबा योग सिखाते हुए गोवा में हो रहे पुर्तगालियों के कार्यक्रम के बारे में भाषण देना शुरू कर दिया। वहीं इन शिविरों या उसके बाद की जनसभाओं में अपने योगपीठ के आयुर्वेद दवाईयों की चर्चा करने से नही चूकते हैं। इन योग शिविरो में आये लोगों को वह योग के साथ-साथ दवाईयां भी खरीदने की सलाह देते हैं। जो हरिद्वार से उनके संस्थान से आती हैं, और शिविर के दौरान मौजूद रहती हैं।

उनके योग शिविरो में मुख्य दानकर्ताओ का नाम भी बाबा के मंच पर लिखा होता है जिससे दानकर्ता भी भरपूर प्रचार पा सके। योग सीखने के दौरान आये लोगो को योग का ज्ञान कितना मिलता है यह तो नहीं कहा जा सकता। परन्तु राजनैतिक बयान जरूर सुनने को मिलता है। कहीं बाबा भ्रष्टाचार का मुख्य मुद्दा बनाते हैं तो कहीं अपने प्रयासो को बताते हैं। उनका कहना है केन्द्र सरकार के मंत्री ए0 राजा को उनके प्रयासों के चलते ही त्यागपत्र देना पडा। कहीं कहीं उनकी कथनी और करनी में अन्तर भी दिखता है जब वह बातें तो गरीबों के उत्थान की करते है। परन्तु उनके सारे सम्मेलन किसी बडे धनाढ्य के घर ही होते हैं।

योग शिविरों के बाद वह जिले के छोटे ब्लाकों में भी जाते हैं और राजनेताओं की तरह जनसंपर्क भाषण देते है। इन जनसंपर्कों के दौरान वह पूरी तरह मुखर होकर सरकारों को कोसते हैं और चेतावनी देते हैं कि मात्र दो वर्षों का समय वह दे रहे हैं। अन्यथा उन्हें राजनीति में कूदना पडेगा, जिससे वह राजनीतिक व्यवस्था को बदल देंगे। रामदेव अपने भाषणो के दौरान सनसनी फैलाने में भी कोई कसर बाकी नही छोडते हैं। श्रावस्ती के जमुनहा ब्लाक के अपने दौरे के दौरान उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया कि उनसे 2 करोड रूपये की रिश्वत मांगी गयी थी। उनका इशारा उस समय की सरकार की ओर था जब उनका पतंजलि योगपीठ बन रहा था। इसी प्रकार उन्होंने अन्य जनसभाओं में 300 लाख करोडं के काले धन की भी चर्चा की। उन्होंने एक जनसभा में बडे़ नोट छापने को लेकर अंग्रेजों की लुटेरी संस्कृति का भी आरोप सरकार पर लगाया और साथ ही सरकार से बडे़ नोटों को बंद करने की अपील की। बाबा रामदेव के अनुसार बडे नोट ही भ्रष्टाचार के जनक हैं बडे नोट खत्म भ्रष्टाचार खत्म। अगर इनकी सलाह पर अमल हो जायेगा तो बाजार में कितना नकद रूपया लेकर चला जा सकेगा इस पर उनके विचार शून्य रहे।

बाबा रामदेव के बारे में अब यह कहा जा सकता है कि वह देश को बदलने के नाम पर अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षा पूरी करना चाह रहे हैं। अपनी जनसभाओं में वह आजकल उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की काफी तारीफ करते हैं। वहीं साथ ही साथ उनको राहुल गांधी का मायावती सरकार पर सवाल उठाना अच्छा नहीं लगता। राहुल पर आरोप लगाते हुए नाम लिए बिना कहते हैं कि उन्हे अपने पार्टी के शासन वाले राज्यों में जाकर शासन व्यवस्था देखनी चाहिए। अन्य बाबाओं या नेताओं के राजनीति में सफल ना हो पाने के सवाल पर वह अपने को सर्वश्रेष्ठ और चरित्रवान कहते हैं। वह जनता के करीब भी रहना चाहते है, पर साथ ही विशिष्ट श्रेणी की सुरक्षा भी चाहते हैं। देश भ्रमण के अपने कार्यक्रमों में योग को उन्होंने मात्र एक भीड जुटाऊ की तरह बना रखा है। कभी योग के नाम पर देश के मसीहा बने रामदेव आज उस सम्मान को राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए भुनाने निकले हैं। अब यह फैसला तो देश की जनता ही करेगी कि बाबा कितने योगी है और कितने राजनीतिक खेवनहार।

5 COMMENTS

  1. श्री स्वामी रामदेव जी योग के विषय में अभूतपूर्व कार्य कर रहे है.

    * किसी समय योग अति विशिष्ट वर्ग के लिए मन जाता था “योगा”. आज स्वामी जी की बदोलत गाँव का व्यक्ति भी मुफ्त में अपने घर में टीवी पर आस्था चेनल देखकर अनुलोम विनोम कर रहा है.

    * अगर कोई दूसरी कंपनी इतने अच्छा उत्पाद इतनी कम कीमत पर उपलब्ध कराये हम वोही खरीदेंगे. …. किन्तु कही उपलब्ध नहीं है.

    * देश में कोई तो है जो भ्रष्टाचार पर सरकार को खुली चुनोती दे रहा है.

    * देश में कोई तो है तो स्वाभिमान की सिक्षा दे रहा है. असली इतिहास तो छिपा / ख़त्म कर दिया गया है. भारत दुनिया को ज्ञान देता रहा है और एक किताब लिखी गहि है “भारत एक खोज” – जैसे भारत कोई अविकसित समाज था जिसे अंग्रजो ने खोजा था. २०-२५ साल पहले रविवार को दूरदर्शन पर धारावाहिक भी आता था.

    * स्वामी रामदेवजी अपने प्रदर्शन और भाषण के द्वारा योग का तरीका बताते है. सिखने का कार्य हमें करना है. आज की तारीख में कोई तो है तो इतना बड़ा ओहदा पाने का बाद, शास्त्र में पारंगत में होने के बाद, इतना स्वस्थ होने के बाद भी धोती धारण करते है. वे अपने ओजस्वी भाषण के द्वारा लोगो को जागरूक करने का महान और पुनीत कार्य कर रहे है. उन्हें शत शत नमन.

  2. काल्पनिक आरोप और कुंठित लोगो को स्वामी रामदेव की सफलता पाच नहीं रही है ये सारा प्रयास उनके अन्दर भरी हुई कुंठा का प्रदर्शन भर है

  3. साही जी ,
    अच्छा है बाबा रामदेव शुद्ध रूप से व्यापारी हैंउनका असली रूप अब सामने आया है
    मैं तो बहूतपहलेबोल चूका हूँ ”की बाबा नहीं योग maya वाले बाबा हैं ”
    पंडित विनोद चौबे (ज्योतिषाचार्य)
    सम्पादक ,ज्योतिष का सूर्य (हिंदी मासिक पत्रिका)
    जीवन ज्योतिष भवन ,सड़क २६ कोहका मेन रोड,शांति nagar ,भिलाई
    मोब.namber .09827198828

  4. मैं कुछ समय से जगदीश्वर चतुर्वेदी के बाबा रामदेव फिनोमिना का अवलोकन कर रहा हूँ| यदि बाबा रामदेव कुछ आलोचकों और अनगिनित समर्थकों का ध्यान प्राप्त कर पाए हैं तो उनका यह प्रयोजन अवश्य सफल होना चाहिए| चाहे प्रचलित राजनीतिक पद्धति देश में सर्व-व्यापी भ्रष्टाचार को समाप्त करे या स्वयं बाबा रामदेव राजनीति में उतर देश में स्वाभिमान जगाते देशवासियों को उन्नति की ओर ले जांए, दोनों सुखद प्रयास हैं| यदि वे अपने उद्देश्य में सफल होते हैं तो सभी समर्थक उनके आभारी होंगे और संशयी उन्हें गाईड का राजू समझ अमृत वर्षा का आनंद ले पायेंगे| अन्यथा लोकतंत्र की सफैद चादर तले घुट घुट कर जीने का सभी को अधिकार है|

  5. सब से बड़ी परेशानी यह है की जो लोग शिविर में आकर भावुकता के साथ कहते है की मेरा वज़न आठ दिन कम हो गया और दस दिन में कम हो गया, मेरी सारी बिमारी एक दम ही खत्म हो गयी – वोह कभी कभी हास्यास्पद सा लगता हैं | एक शिविर में हमारे एक साथी ने कहा की कोई कोई भक्त ऐसा भी कहेगा की स्वामी जी मैंने दो दिन शिविर में भाग लिया और इस से मेरा ही नहीं मेरे पडोसी का दस किलो वज़न कम हो गया | यह हंसने की बात नहीं है | कहीं किसी शिविर में ऐसा देखने को नहीं मिला की किसी भी योगासन को अच्छी तरह से सिखाया गया हो | शिविर के लिए पहले से टिकट बिक जाते हैं – अलग अलग श्रेणी और कीमत के टिकट होते हैं | लेकिन शिविर में ५०० रूपए वाला और २००० के टिकट वाला सब बराबर हैं | दो दिनों के बाद में सब को एक जगह कर दिया जाता हैं | इस में कोई संदेह नहीं की स्वामी जी स्वयं अच्छा योगासन करते हैं और उस से यह लगता है की स्वामी जी अपना प्रदर्शन कर रहे हैं | किसी भी शिविर किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं बुलाया गया जिस को कोई लाभ नहीं
    हुआ | देश में से भ्रष्टाचार को मिटाना एक अच्छा काम है और अगर कोई इस बीमारी को खत्म कर
    सके तो उस के प्रति देश का एक बड़ा भाग कृतज्ञ होगा | वो चाहे स्वामी राम देव हो या कोई और | लेकिन वास्तविकता यह है की कोई भी ऐसा व्यक्ति इस काम के लिए तैयार नहीं है | इस के लिए दो वर्ग ज़िम्मेदार हैं – राजनीतिज्ञ और नौकरशाही | क्या इस देश से भृष्टाचार मिट सकता है जब आप का सर्वोच्च पदाधिकारी – चीफ आफ स्टाफ – ही लिखित में झूठ बोल सकता हैं और एक नहीं दो दो तीन तीन | क्या किसी भी भ्रष्टाचारी को आज तक कुछ सजा मिली | उस पर कोई केस दर्ज हुआ – नहीं तो आप किस से इस की आशा कर सकते हैं | स्वामी जी अगर इस काम कर सके तो पूरा देश उन के साथ होगा = लेकिन वही यक्ष प्रश्न है की स्वामी जी का भी कोई व्यक्तिगत अजेंडा तो नहीं है |

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