हिंदी है मेरी मात्र भाषा, जो हिंदुस्तान की पहचान कराती है
देव नागरी रसमय हो कर, नव रास यह बरसाती है
हिंदी है मेरी मात्र भाषा……………………
आलोकिक श्रृंगार है इसका, समास और अलंकारों से
मुहावरों और कहावतों से, सबका मन बहलाती है
हिंदी है मेरी मात्र भाषा……………………
हर्षित करके तन मन सबका, विश्व स्तर पर अपना रंग जमाती
संस्कृत भाषा ने ही इसे गोद खिलाया, यह प्यार है खूब लुटाती
हिंदी है मेरी मात्र भाषा……………………
संस्कृत भाषा ही इसकी जननी मानी जाती है,
सब ग्रंथों और वेद पुराणों का सहज ही ज्ञान सिखाती है
हिंदी है मेरी मात्र भाषा……………………
हिंदी में निज जननी को ‘माँ’ कहना हम सबने सीखा
छात्र छाया में इसकी माँ की उंगली पकड़ चलना सीखा
तोतली भाषा में ही हम सबको माँ बाप का प्यार लुटाती है
अ आ उ ऊ भी हमको यह ही तो बुलवाती है
हिंदी है मेरी मात्र भाषा……………………
हिंदी के आश्रय में ही तुलसी नै राम चरित्र मानस लिखा
जिसको पढ़ जन जन के मन में आदर्शों का पुष्प खिला
नीत नियमों का पाठ पढ़ा कर सब अवगुणों को दूर भगाती है
हिंदी है मेरी मात्र भाषा………………………………
ब्रज भाषा का रूप रख कर, सबको प्रेम सिखाया है
रसिया छंद राग रागनियो से, ब्रज रस ये बरसाया है
हर पल हर घडी ये ब्रजराज की याद दिलाती
नन्दो ऐसी मनमोहक “हिंदी”, जो बिंदी से जानी जाती है
हिंदी है मेरी मात्र भाषा ……………………