आद्ध्या बोली,नाक पकड़ सारी मत बोलो दादाजी|
नियम कायदे नहीं जानते ,पोल न खोलो दादाजी|
कान पकड़कर ही तो सारी ,बोला जाता है हरदम,
किंतु ताज्जुब है दादाजी ,अक्ल आपमें इतनी कम|
अब तो कान पकड़कर सारी ,सबको बोलो दादाजी|
नियम कायदे नहीं जानते ,पोल न खोलो दादाजी|
नहीं थेंक यू अब तक बोला , कितने काम किये मैंने,
दिन भर घर में घूमा करते, लुंगी एक फटी पहने|
‘थेंक्स थेंक्स’ के मधुर शब्द ,कानों में घोलो दादाजी|
नियम कायदे नहीं जानते ,पोल न खोलो दादाजी|
जब जाता है कहीं कोई भी, बाय बाय टाटा करते|
कभी अचानक मिले कोई तो ,उसको हाय हलो कहते|
नई सभ्यता अपना, अपना हृदय टटोलो दादाजी|
नियम कायदे नहीं जानते पोल न खोलो दादाजी|
बहुत लोक लुभावन
भानु गुमास्ता