दुलहन की आड़ में रोहिंग्याओं का मकड़जाल कितना खतरनाक?

 

रामस्वरूप रावतसरे

जम्मू कश्मीर में जिस योजनाबद्ध तरीके से रोहिंग्याओं को बसाया जा रहा है, जल्दी से कोई एतराज भी नहीं कर सकता। जानकारी के अनुसार जम्मू में 52 साल के अफजल की शादी के लिए उसका परिवार लंबे समय से लड़की ढूंढने में लगा था लेकिन दुल्हन नहीं मिल रही थी। कारण अफजल का मानसिक तौर पर कमजोर होना था। उसकी स्थिति इस प्रकार की बताई जा रही है कि वो खुद उठकर पानी भी नहीं पी सकता। अचानक से एक दिन पता चला कि उसकी शादी हो गई। बातें खुलीं तो पता चला कि लड़की रोहिंग्या है। 20,000 में कोई उसे यहां बेच गया। ऐसे ढेरों मामले जम्मू-कश्मीर में देखने को मिल रहे हैं।

 कोलकाता में रेलवे पुलिस ने अब्दुल रहमान नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया। वह बांग्लादेश का रोहिंग्या मुस्लिम है और कई साल से कश्मीर में मजदूरी करता है। उसके साथ करीब 12-12 साल की दो बच्चियां थीं जिन्हें वो अपने साथ कश्मीर ले जा रहा था। ये बच्चियां खुशकिस्मत थीं जो पुलिस को भनक लग गई लेकिन आए दिन न जाने ऐसी कितनी ही रोहिंग्या लड़कियों को अवैध तरीके से जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई राज्‍यों में लाकर बिना उनकी मर्जी के जबरदस्ती की ’’दुल्हन’’ बना दिया जा रहा है।

    जम्मू कश्मीर में यह रैकेट लंबे समय से चल रहा है। पहले बांग्लादेश और अब म्यांमार से भी रोहिंग्या लड़कियों को झूठे वादे और सपने दिखाकर यहां लाया जाता है। बाद में उनकी शादी उनकी उम्र से दोगुने शख्स से करा दी जाती है। यही नहीं, दिव्यांग या मानसिक रूप से अक्षम लोग, जिनकी शादी जम्मू-कश्मीर में नहीं हो पाती है, वो भी इस अवैध तरीके से दुल्हन खरीद रहे हैं। पिछले महीने ही जम्मू कश्मीर पुलिस ने ऐसे कई नेटवर्क की पहचान की थी जो एनजीओ की ओट में यह काम कर रहे थे। दिसंबर, 2024 तक प्रशासन के मुताबिक कम से कम 24 रोहिंग्या लड़कियां जम्मू में और 124 कश्मीर में ’’दुल्हन’’ बन चुकी हैं। जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर के लिए यह एक खतरनाक स्थिति हो सकती है जिसका पाकिस्तान फायदा उठा सकता है।

जम्मू में 15 साल पहले 200 रोहिंग्या मुसलमान थे। अब 11,000 से ज्यादा रोहिंग्या होने का अनुमान है। आर्मी कैंप, रेलवे स्टेशन, पुलिस लाइन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के पास भी इनकी बस्तियां है। मानव तस्करी, ड्रग्स तस्करी और कई अन्य अपराधों में रोहिंग्या के शामिल होने के आरोप लगते रहे है।

 जानकारों का कहना है कि यहां कई लड़कियां अच्छी लाइफ की तलाश में हमेशा के लिए अपनी जिंदगी नरक बना चुकी हैं। बांग्लादेश और म्यांमार में रोहिंग्या बस्तियों में एनजीओ की आड़ में तस्कर लड़कियों की पहचान करते हैं। कम उम्र की लड़कियों पर इनकी नजर ज्यादा रहती है। इन्हें झांसा दिया जाता है कि कोलकाता, गुवाहाटी जैसे शहरों में आपको काम दिलाया जाएगा। फिर बस-ट्रेन के जरिए चोरी-छिपे इन्हें जम्मू-कश्मीर या अन्य राज्यों में ले जाया जाता है। फिर इन लड़कियों को बेच दिया जाता है।

  मानव तस्करी में लगे लोग हर जगह फैले हैं। खासतौर से जहां रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती हैं। तस्कर लड़कियों को पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के अवैध तरीके से रास्ते भारत में लाते हैं। फिर यहां से देश के अलग-अलग राज्यों में इन्हें भेजा जाता है। असम पुलिस ने हाल ही में इसे लेकर चिंता जताई थी। पुलिस के मुताबिक रोहिंग्या खासतौर से जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और केरल जाते हैं।

    रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से राशन कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक बनवा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में अपनी लड़कियों की शादी कराकर भी रोहिंग्या वहां की नागरिकता हासिल करने की कोशिश में जुटे रहते हैं। पिछले दिसंबर में ही पुलिस को 61 से ज्यादा आधार कार्ड जम्मू में और 97 आधार कार्ड कश्मीर में मिले। ये सभी आधार कार्ड अवैध तरीके से बनवाए गए थे। जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस.पी.वैद के मुताबिक यहां के लोकल लोगों से रोहिंग्या लड़कियों की शादियां लंबे समय से हो रही हैं। कश्मीर से ज्यादा ये जम्मू में देखने को मिल रहा है। पूर्व डीजीपी एस. वैद्य के अनुसार यह स्थिति सही नहीं है। हमें इन्हें वापस भेजना चाहिए। भारत कोई धर्मशाला नहीं है। जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या की संख्या तेजी से बढ़ी है। हमें भी अमेरिका, यूरोप की तरह सख्त कदम उठाना चाहिए। खासतौर से यूएनएचआरसी की दखलअंदाजी पूरी तरह से बंद होनी चाहिए।

  बांग्लादेश और म्यांमार में पहले ही रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति सही नहीं है। हाल में बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद तो हालात और भी खराब हुए हैं। ऐसे में अच्छे जीवन की तलाश में रोहिंग्या महिलाएं एक ऐसे मकड़जाल में फंसती जा रही हैं, जिनसे बाहर निकलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। मीडिया रिपोर्ट में ऐसी कुछ महिलाओं की आपबीती सुनी। उनकी आपबीती रोंगटे खड़े करने वाली है। महिला बताती है, उसे कहा गया कि बंगाल में नौकरी दिलाएंगे। फिर बस और ट्रेन से लंबा सफर कर कश्मीर ले आए। अपने से तीन गुना उम्र के शख्स के साथ शादी करा दी गई। वापस जाने की बात करो तो पति बहुत मारता है। तस्करों के चंगुल में फंसी ऐसी ही दूसरी महिला ने बताया कि उसे तस्करों ने बंधक बनाकर रखा। वॉशरूम तक जाने नहीं दिया। जमकर पीटा गया और खूब पैदल चलाया गया।

   जानकारों की माने तो साल 2009 में पहली बार जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं का आना शुरू हुआ। देश में जो संख्या कभी 200 थी, वो अब 50,000 के पार हो चुकी है। अकेले जम्मू-कश्मीर में ही 11,000 से ज्यादा रोहिंग्या हैं। जम्मू कश्मीर में बसने वाला पहला रोहिंग्या सईद हुसैन था, जिसे 2009 में यहां की राज्य सरकार ने बसाया था। दिल्ली, हरियाणा, असम, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में रोहिंग्याओं की बढ रही संख्या चिंता का विषय है।

रामस्वरूप रावतसरे

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