कितने प्रश्‍नों को नकारेगी कांग्रेस

congress1सिद्धार्थ मिश्र “स्‍वतंत्र”

दागदार चेहरे हैं दाग  बड़े गहरे हैं………….अटल जी की ये कविता आज और भी प्रासंगिक हो गयी हैं । राजनीति के इस घोर संक्रमण काल में जब बात सिद्धांतों पर आती है तो हास्‍यापद हो जाती है । अफसोस की बात है हमने शहीदों की कुर्बानी को जाया कर दिया है । हंसी आती है भ्रष्‍टाचारियों को सत्‍ता चलाते देखकर । सच है हमने अपने सपूतों के असीम त्‍याग को कलंकित कर दिया है । ये आज की बात नहीं है,राजनीतिक दुष्‍चक्रों का ये घृणित खेल भारत की स्‍वतंत्रता के साथ आज तक बदस्‍तूर जारी है । जहां तक प्रश्‍न है जवाबदेही का आजादी के बाद से अब तक सत्‍ता में रही कांग्रेस इस पतन के प्रति अपनी जवाबदेही को नकार नहीं सकती ।  किंतु दुर्भाग्‍य की बात है आज कांग्रेसी दिग्‍गज बड़ी बेशर्मी के साथ इन प्रश्‍नों को न सिर्फ नकार रहे हैं वरन दूसरों पर आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं । ऐसे आरोप जिनसे स्‍पष्‍ट रूप से सांप्रदायिकता एवं तुष्टिकरण की बू आती है । इन समस्‍त परिप्रेक्ष्‍यों को देखते हुए कई प्रश्‍न अचानक ही उठ खड़े होते हैं जो काबिलेगौर हैं—

१.   क्‍या स्‍वतंत्र भारत के अस्तित्‍व में आने के बाद से पांच दशक से अधिक समय तक सत्‍ता संचालन के यर्थाथ को नकार सकती है कांग्रेस ?

२.   क्‍या कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी होने का दावा करने के योग्‍य है ?

३.   कश्‍मीर समस्‍या में अपने योगदान को नकार सकती है कांग्रेस ?

४.   अनुच्‍छेद-370 जैसे विभत्‍स कानून की जवाबदेही लेने से बच सकती है कांग्रेस ?

५.   देश के धार्मिक विभाजन का दोष किस पर लगाया जाय ?

६.   धार्मिक विभाजन के उपरांत वैश्विक अल्‍पसंख्‍यक हिन्‍दुओं के शोषण की जवाबदेही किसकी है  ?

७.   सीबीआई के दुरूपयोग को नकार सकती है कांग्रेस ?

८.   गिलानी,ओवैसी जैसे राष्‍ट्रद्रोहीयों को संरक्षण देने के लिए जवाबदेह कौन है  ?

९.   घपलों एवं घोटालों के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय संपत्ति को सर्वाधिक क्षति किसने पहुंचायी है  ?

१० .  देश को पतन के गर्त तक पहुंचाने के यथार्थ को नकार सकती है कांग्रेस ?

विचार करीये कितने प्रश्‍नों को नकारेगी कांग्रेस । आजादी के बाद ही जम्‍मू-काश्‍मीर को विवादित बनाने का मुद्दा हो या अथवा चीन द्वारा अतिक्रमण की घटना इन समस्‍त दुर्भाग्‍यसूचक परिस्थितियों की एकमेव जिम्‍मेवारी मात्र कांग्रेस पर ही है । बावजूद इसके राष्‍ट्रवादी होने का स्‍वांग रचना क्‍या प्रदर्शित करता है । जहां तक प्रश्‍न है घोटालों का तो पं नेहरू के समय अस्तित्‍व में आया जीप घोटाला हो या राजीव गांधी के कार्यकाल में हुआ बोफोर्स तोप घोटाला इनकी जवाबदेही भी पूर्णतया कांग्रेस पर ही है । बात घोटालों तक तो ठीक थी किंतु इसके उपरांत भोपाल गैस त्रासदी के अभियुक्‍त या क्‍वात्रोच्चि को देश से सुरक्षित बाहर निकालना  क्‍या राष्‍ट्रद्रोह नहीं है ? यदि है तो इससे सं‍बंधित कितने लोगों को सजा हुई है ?  नरेंद्र मोदी एवं स्‍वामी रामदेव को नाकों चने चबावाने वाली सीबीआई कांग्रेस से सं‍बंधित मुद्दों पर चुप्‍पी क्‍यों साध लेती है ? क्‍या कोई जवाब है किसी के पास ? यदि नहीं तो किस मुंह से दूसरों पर आरोप लगाया जाता है  ?

इन तमाम आरोप प्रत्‍यारोपों को वर्तमान परिप्रेक्ष्‍यों में देखे तो भी इस पूरी प्रक्रिया के असंख्‍यों उदाहरण मिल जाएंगे । अभी  हाल ही में सरकार की शय पर योजना आयोग ने दोबारा  आम आदमी को कैटल क्‍लास में ला खड़ा किया है । उस पर राज बब्‍बर से लगायत तमाम कुत्‍सित कांग्रेसियों के प्रवचन क्‍या प्रदर्शित करते हैं ?  अपने इस निर्णय की असंवेदनशीलता का ठीकरा किसके सिर फोड़ेगी कांग्रेस ? दूसरे उदाहरण के तौर पर हम हालिया न्‍यायालय के निर्णय की बात कर सकते हैं । अपने इस निर्णय में न्‍यायालय ने बाटला हाउस प्रकरण में इंस्‍पेक्‍टर मदन शर्मा को शहीद प्रमाणित किया । स्‍मरण रहे इस प्रकरण में बात बहादुर दिग्‍विजय सिंह सजरपुर की तीर्थयात्रा कर आये थे । जहां तक बयानों का प्रश्‍न है तो इस मामले को पूर्णतया फर्जी बताया ।अब कहां हैं दिग्‍विजय सिंह ? उनके उपरोक्‍त कथन क्‍या शहादत का अपमान नहीं है ? यदि है तो उनके लिए क्‍या दंड निर्धारित होना चाहीए था  ?  सेक्‍लुरिज्‍म का खटराग अलाप कर  कांग्रेस खुद को पाक साफ नहीं बता सकती । प्रश्‍न विचारणीय है कितने प्रश्‍नों को नकारेगी कांग्रेस  ?

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