कविता

उलूक दर्शन

उलूक दर्शन

उल्लुओं की भाषा के जानकारों ने बताया है कि

आजकल उल्लू अपनी हर सभा में चीख – चीख कर कह रहे हैं –

“अगर घोड़ों ने सभ्यता के विकास के शुरुआती दौर में

आदमी को अपने ऊपर चढ़कर अपना शोषण न करने दिया होता

तो यह पूंजीवादी युग कभी नहीं आता । “

लेकिन अब उल्लुओं को कौन समझाये कि

आदमी को अगर घोड़े नहीं तो गधे, और गधे भी नहीं तो

आदमी तो मिल ही जाते – सवारी करने को –

आज भी मिल जाते हैं हर जगह – कोलकाता में भी …!

– राजीव दुबे