मैं तो तेरे पास हूँ
अन्तर्मन के आंखे खोल
वंदे मैं तो तेरे पास हूँ
कर्म में धर्म में
भक्ति में शक्ति में
राग में रंग में
हरदम बैठा मैं तेरे साथ हूँ ।
सरिता में सिंधु में
धरा में गगन में
अगन में पवन में
करता मैं ही वास हूँ ॥
सृष्टि में वंदनीय
प्रकृति में निहित हूँ
जीवों में जीव हूँ
मैं प्राणों में प्राण हूँ ॥
जिगर के दर्द में
शांति और सर्द में
उंगलियों के स्पर्श में
पादों के चाप में
एक मैं ही तो आभास हूँ ॥
दिवस के घुंघरू की रुनझुन
संध्या की पायजेब हूँ
निशब्द निशा का अंजाना स्वर
भोर का मैं ही मधुर कोलाहल हूँ ॥
बीजों का अंकुरण
जीवन का प्रस्फुरण
पीव ॐ की झंकार में
मैं ही अनहद का नाद हूँ ॥
वंदे मैं ही तेरे पास हूँ ॥