इंतज़ार में हूं मैं कि
कुछ वक़्त खुद के लिए
तलाश पाऊंगी
इंतज़ार में हूं मैं कि
अपना हाल-ए-दिल उनसे
कह पाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
उनके साथ एक हसीं शाम
बिता पाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
शायद कभी अपनी पहचान
जान पाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
अपने दिल के दर्द को बाहर
निकाल पाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
कभी इन आंखों में ख्वाब
सजा पाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
कभी इस दुनिया से रुबरु
हो भी पाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
कभी साथ किसी अपने का
पा जाऊंगी।
इंतज़ार में हूं मैं कि
इस इंतजार से कभी जुदा
हो जाऊंगी।
लक्ष्मी जयसवाल अग्रवाल