मेरा पहला प्यार…………

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मेरा पहला प्यार…………firstlove
एक दिन यूं ही ख्याल आया
अलग तरिके से देखूं ये संसार
क्या सबकी सोच एक जैसी है?
क्या सबके लिये खास होता है,
उनका पहला प्यार?

चलते – चलते, रोते बिलखते,

 

 एक बच्ची को देखा!
पुछा तुम्हारा पहला प्यार क्या है छोटी?
बडी मासुमीयत से बोली बच्ची ने,
दीदी! मेरा पहला प्यार है ये सुखी रोटी…..
बच्ची को सुनकर हैरान थी मै,
इस जवाब से परेशान थी मै,

आगे चली तो मीला सर्कस का जोकर,
वो मुस्कुरा रहा था, जिन्दगी में सब कुछ खोकर!
मैने उनसे पुछा क्या है आपका पहला प्यार?
गम छुपाकर मुस्कराता रहूं!
खुद रोलूं पर दुसरों को हंसाता रहूं!
मर जाऊं पर मुझ पर हंसे संसार
बस यही है मेरा पहला प्यार……..

मैं मुस्कराना चाहती थीroti-chapati
पर गायब हो गयी मेरी मुस्कराहट!
उनसे ऐसा सुन,

हर पल तेज हो रही थी दिल कि बेचैनी और घबराहट,
किसी तरह मैने खुद को संभाला और बढाया अपना दम
कुछ दुर ही चली कि रुक गये कदम,
किसी की बेटी विदा हो रही थी
डोली उठा रहे थे कहार
मैने विदा होती बेटी से पुछा
क्या है आपका पहला प्यार?

रोते हुए बेटी ने कहा
बाबुल का छुटता आंगन मां का आंचल
कैसे समझाऊं क्या है मेरे कहने का सार
जो पीछे छुट रहा है
वही है मेरा पहला प्यार………
रोते हुए मां बाबा से पुछा तो जवाब मिला
बेटी को मिले स्वर्ग से सुंदर संसार
उसको कभी कोई दर्द न हो
यही है हमरा आखिरी और पहला प्यार……..

सब की बातें सुनकर मैंनें अपने अंदर झांका
मेरा पहला प्यार क्या है ये आंका
क्या है जिसपर मैं जान देने को हुं तैयार
दिल को आवाज़ दिया तो जवाब मिला
तुम्हारा देश ही है तुम्हारा पहला प्यार
ये सब सुनकर मैं दंग थी
दिल के उहापोह से तंग थी
कितने अलग हैं सबके सोच और विचार
पर हां सब के लिये खास है उनका
पहला प्यार………..

 

4 COMMENTS

  1. दीदी , मेरा पहला प्यार है ये सुखी रोटी…..
    जी हाँ! हर एक के लिये उसका पहला प्यार अलग अलग है.
    बहुत संवेदनशील रचना

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