याद मेरी,तुम्हे आती तो होगी

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याद मेरी तुम्हे आती तो होगी
आकर तुम्हे सताती तो होगी।।

सुबह जब तुम उठती तो होगी,
नींद तुम्हारी खुलती तो होगी।
पास न पाती जब तुम मुझको,
दिल में बैचैनी होती तो होगी।।
याद मेरी,तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,,,

ठंडी हवा सुबह चलती तो होगी,
मेरा संदेश तुम्हे देती तो होगी।
मिलता न जब संदेश तुम्हे मेरा,
दिल में तडपन होती तो होगी।।
याद मेरी,तुम्हे,,,,,,,,,,,,,

नहाने जब तुम जाती तो होगी,
जल से बदन भिगोती तो होगी।
होता होगा जब एक स्पर्श निराला,
तन की तपिश बुझती तो होगी।
याद मेरी,तुम्हे,,,,,,,,,,,

भोजन जब तुम बनाती तो होगी,
थाली में जब तुम लगाती तो होगी।
खाने को न होगा जब पास तुम्हारे,
याद मेरी तुम्हे आती तो होगी।।
याद मेरी,तुम्हे,,,,,,,,

दिन रात का जब मिलन होता होगा,
सूर्य जब पश्चिम में अस्त होता होगा।
दीपक जलाओगी जब प्रकाश के लिए,
अपने दीपक की याद आती तो होगी।
याद मेरी,तुम्हे ,,,,,,,

आमो में जब बोर आता होगा,
कोयल उस पर मंडराती होगी,
सुनती होगी जब तुम मधुर तान,
पिया की मधुर आवाज आती तो होगी,
याद मेरी, तुम्हे,,,,,,,,,

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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