
अब देखें कहानी का मोड … लॉज से 8 किलोमीटर की दूरी पर जमुल है जहां का निवासी मनोज नेताम बताया गया । भिलाई के उत्तरी सीमा पर स्थित जामुल तकरीबन 7-8 माह पहले तब सुर्खियों में आया था जब पुलिस नें दो नक्सलीयों को गोली मारकर ढेर की थी । जामुल के बाद अहिवारा आता है जहां से दुर्ग, रायपुर, कवर्धा, नांदगांव जाने के रास्ते हैं । भिलाई की पश्चिम दिशा पर नेशनल हाईवे पर बढते चलें तो दुर्ग के बाद राजनांदगांव आता है जहां से दल्ली राजहरा व खैरागढ पहुचने का मार्ग है । अब पूर्व की ओर चलें तो रायपुर है जहां से धमतरी कांकेर होते हुए फरसगांव का मार्ग है ।
खैर रररर …। फरसगांव का एक नाम आया है अमीन मेनन … फरसगांव से जानकारी लेने पर पता चला की इस नाम का कोई लडका वहां नही रहता है …हां केशकाल के एक पत्रकार हैं अमीन मेनन जिनका उस लडके से कोई लेना देना नही है । जब थाना प्रभारी को ये जानकारी दी गई तो बजाये सत्यता पता करने के उन्होनें बात टाल दिये ।
अभी 8-10 पहले ही धमतरी के नगरी-सिहावा (जहां से आगे बढकर फरसगांव जाया जाता है ) क्षेत्र में नक्सली केंप से सोनिया, राहुल सहित कई राष्ट्रीय और रमन सिंह सहित राज्य स्तर के लगभग हर नेताओं की तस्वीरें बरामद हुई है जिससे ये अंदाजा लगाया जा रहा था की ये नेता नक्सली निशानें पर हैं । भिलाई की जिस लॉज से इन्हे हिरासत में लिया गया था उस लॉज का रजिस्टर खाली था औऱ इन लोगों के कोई नाम पते दर्ज नही थे । महिला सेल प्रभारी अंजना सिंह के अनुसार पिछले कई दिनों से इस लॉज में संदिग्ध गतिविधीयां चल रही थी जिसके बाद छावनी थाने के साथ मिलकर छापामार कार्यवही की गई ।
पीटा एक्ट की कार्यवाही क्यों नही की गई – इस बारे में चर्चा करने पर छावनी थाना प्रभारी व महिला सेल प्रभारी दोनों नें एक ही बात कहे की मैचिंग ना होने के कारण पीटा एक्ट नही लगाया जा सका । जबकि लॉज के दरवाजे को तोडकर लडकी को बाहर निकाला गया था तथा माउथ फ्रेशनर व कंडोम बरामद हुए थे ।
चलो इस बात को छोड भी दें की लडके लडकी कमरे में क्या कर रहे थे तो भी ये बात किसी बडे खतरे से कम नही है की भिलाई शहर में नक्सली जिले के लोग इतनी आसानी से आवाजाही कर रहे हैं की पुलिस को भनक तक नही लग रही है । भिलाई स्टील प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी तो बी.एस.पी. और सी.आई.एस.एस. तय कर लेती है लेकिन उन जगहों का क्या होगा जहां आम जनता की आवाजाही सर्वाधिक रहती है ।
हम केवल इस बात से संतुष्ट नही हो सकते की नक्सली आवाजाही से हम पर कोई फर्क नही पडता क्योंकि हो सकता है योजना भिलाई में बनती हो और कार्यवाही बस्तर या राजनांदगांव में अंजाम दी जाती हो ।