मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के टोने-टोटके राजनीतिकों में बढ़ते अन्धविश्वास

0
119

प्रमोद भार्गव

भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल इस चुनाव में अंधविश्वासी नजर आ रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए जहां भाजपा अपने भोपाल स्थित प्रदेश मुख्यालय में वास्तु दोष दूर करने के पाखंड में लगी है, वहीं कांग्रेस भाजपा की बुरी नजर से बचने के लिए अपने कर्यालय के दरवाजों पर नींबू-मिर्ची के टोटके लटका रही है। जाहिर है, हमारे नेताओं में अंधविश्वास की कमजोरी व्यापक होती जा रही है। जबकि इनका दायित्व बनता है कि ये धार्मिक पाखंड और आडंबर दूर करते हुए जनता में वैज्ञानिक सोच विकसित करें।
भाजपा ने अपने प्रदेश मुख्यालय का वास्तुदोश दूर करने के लिए हाल ही में ईशान कोण पर पानी की टंकी बनवाई है। इसके पहले यहां 2003 में भी पानी की टंकी बनवाई गई थी, लेकिन कुछ समय बाद इसे वास्तुदोश का दोषी मानकर तुड़वा दिया गया था। अब इस टंकी के निर्माण के परिप्रेक्ष्य में भोपाल के भाजपा सांसद आलोक संजर तक दे रहे है कि वास्तुदोष भवनों में होता है, इसलिए इसे दूर करना जरूरी है। हमारी आस्था ईश्वर और वास्तु दोनों पर हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यालय में भी टोने-टोटके अमल में लाए जा रहे हैं। यहां दरवाजों और खिड़कियों पर नींबू एवं मिर्ची के टोटके धागों में पिरोकर लटका दिए हैं, जिससे भाजपा की बुरी नजर और उसकी अला-बलाओं से कांग्रेस बची रहे। गौरतलब है कि चुनावों में कांग्रेस को नुकसान हुआ भी, तो इसलिए नहीं होगा कि भाजपा की उसे नजर लग गई है, बल्कि इसलिए होगा कि एक तो उसकी अंतर्कलह सतह पर आ गई है, दूसरे वह भाजपा की कमजोरियों को आक्रामक ढंग से जनता के सामने लाने में कमोबेश नाकाम रही है।
अकसर हमारे देश में ग्रामीण, अशिक्षित और गरीब को टोना-टोटकों का उपाय करने पर अंधविश्वासी ठहरा दिया जाता है। अंधविश्वास के पाखंड से उबारने की दृष्टि से चलाए जाने वाले अभियान भी इन्हीं लोगों तक सीमित रहते हैं। वाईदवे आर्थिक रुप से कमजोर और निरक्षर व्यक्ति के टोनों-टोटकों को इस लिहाज से नजरअंदाज किया जा सकता है कि लाचार के कष्ट से छुटकारे का आसान उपाय दैवीय शक्ति से प्रार्थना ही हो सकती है। लेकिन यह हैरानी में डालने वाली विंडबना ही है कि जिन नेताओं पर जनता को जागरूक और जनहितैशी नीतियों के जरिए समृद्धशाली बनाने की जुम्मे बारी है, वो खुद अंधविश्वास से जकड़े हुए हैं। दरअसल वास्तु, टोने-टोटके जैसे प्रतीक अशक्त और अपंग मनुष्य की बैसाखी है। जब इंसान सत्य और ईश्वर की खोज करते-करते थक जाता है और किसी परिणाम पर भी नहीं पहुंचता है तो वह एक प्रतीक गढ़कर उसी को सत्य या ईश्वर मानने लगता है। यह आदमी की स्वाभाविक कमजोरी है। यथार्थवाद से पलायन अंधविश्वास की जड़ता उत्पन्न करता है। भारतीय समाज में यह कमजोरी बहुत व्यापक और दीर्घकालीक रही है। जब चिंतन मनन की धारा सुख जाती है तो सत्य की खोज मूर्ति पूजा में बदल दी गई। जब अध्ययन के बाद मौलिक चिंतन का मन-मस्तिष्क में हृास हो गया तो आदमी भजन-र्कीतन में लग गया। यही हश्र हमारे राजनेताओं का हो गया है।
वर्तमान समाज में अंधविश्वास का बोलबाला इतना बढ़ गया है कि महाराष्ट्र में अंध-श्रद्धा को निर्मूल करने का अभियान चलाने वाले नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हत्या कर दी गई थी। हालांकि बाद में उन्हीं के दिए प्रस्ताव को अंधविश्वास का पर्याय मानते हुए ठोस कानून बनाया गया। इस तरह से महाराष्ट्र अंधविश्वास  के खिलाफ कानून लाने वाला पहला राज्य कहलाया। लेकिन इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद भी महाराष्ट्र के नेताओं में खूब अंधविश्वास देखा गया और किसी के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही नहीं की गई।अंधविश्वास के खिलाफ कानून लाने में भागीदारी करने वाला मंत्री ही अंधविष्वास की गिरफत में देखे गए। इस कानून का उल्लंघन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य के तत्कालीन श्रम मंत्री हसन मुशरिफ ने कर दिया था। इसी पार्टी के एक नाराज कार्यकर्ता ने उनके चेहरे पर काली स्याही फेंक दी थी। इस कालिख से पोत दिए जाने के कारण मंत्री महोदय कथित रुप से ‘अशुद्ध’ हो गए। इस अशुद्ध से शुद्ध का उपाय उनके प्रशंसकों और जानियों ने दूध से स्नान करना सुझाया। फिर क्या था, नागरिकों को दिशा देने वाले हजरत हसन मुशरिफ ने खबरिया चैनलों के कैमरों के सामने सैंकड़ों लीटर दूध से नहाकर देह का शुद्धिकरण किया। हालांकि अंध-श्रद्धा निर्मूलन कानून इतना मजबूत है कि यदि महाराष्ट्र सरकार श्रममंत्री के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति जताती, तो उन्हें लेपेटे में ले सकती थी। क्योंकि इस कानून के दायरे में टोनों-टोटकों के जानिया-तांत्रिक, जादुई चमत्कार, दैवीय शक्ति की सवारी, व्यक्ति में आत्मा का अवतरण और संतों के ईश्वरीय अवतार का दावा करने वाले सभी पाखंडी आते हैं। साथ ही मानसिक रोगियों पर भूत-प्रेत चढ़ने और प्रेतात्मा से मुक्ति दिलाने के जानिया भी इसके दायरे में हैं।
राजनीतिकों के अंधविश्वास का यह कोई इकलौता उदाहरण नहीं है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रहे वीएस येदियुरप्पा अकसर इस भय से भयभीत रहते थे कि उनके विरोधी काला जादू करके उन्हें सत्ता से बेदखल न कर दें ? लेकिन वे सत्ता से बेदखल हुए और खनिज घोटालों में भागीदारी के चलते जेल भी गए। इस दौरान उन्होंने दुष्टात्माओं से मुक्ति के लिए कई मर्तबा ऐसे कर्मकांडों को आजमाया, जो उनकी जगहंसाई का कारण बने। वास्तुदोश के भ्रम के चलते येदियुरप्पा ने विधानसभा भवन के कक्ष में तोड़फोड़ कराई। वसुंधरा राजे सिंधिया, रमन सिंह और शिवराज सिंह चैहान ने अपने मुख्यमंत्रित्व के पहले कार्यकालों में बारिश के लिए सोमयज्ञ कराए। मध्य-प्रदेश के पूर्व सपा विधायक किशोर समरीते ने मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कामाख्या देवी के मंदिर पर 101 भैसों की बलि दी, लेकिन मुलायम प्रधानमंत्री नहीं बन पाए ? संत आसाराम बापू, उनका पुत्र सत्य साईं तो अपने को साक्षात ईश्वरीय अवतार मानते थे, आज वे दुर्गति के किस हाल में जी रहे हैं, किसी से छिपा नहीं है। यह चिंतनीय है कि देश को दिशा देने वाले राजनेता, वैज्ञानिक चेतना को समाज में स्थापित करने की बजाय, अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए तंत्र-मंत्र और टोनों-टोटकों का सहारा ले रहे हैं। जाहिर है, ऐसे भयभीत नेताओं से समाज को दिशा मिलने वाली नहीं है।
हरेक देश के राजनेताओं को सांस्कुतिक चेतना और रुढ़िवादी जड़ताओं को तोड़ने वाले प्रतिनिधि के रुप में देखा जाता है। इसीलिए उनसे सांस्कृतिक परंपराओं से अंधविश्वासों को दूर करने की अपेक्षा की जाती है। जिससे मानव समुदायों में तार्किकता का विस्तार हो, फलस्वरुप वैज्ञानिक चेतना संपन्न समाज का निर्माण हो। लेकिन हमारे यहां यह विडंबना ही है कि नेता और प्रगतिशील सोच का बुद्धिजीवी मानने वाले लेखक-पत्रकार भी खबरिया चैनलों पर ज्योतिषीय-चमत्कार, तांत्रिक-क्रियाओं, टोनों-टोटकों और पुनर्जन्म की अलौकिक काल्पनिक गाथाएं गढ़कर समाज में अंधविश्वास फैलाने में लगे हैं। पाखंड को बढ़ावा देने वाले इन प्रसारणों पर कानूनी रोक लगाए बिना अंधविश्वास मिटना संभव नहीं है ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,015 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress