भारत-बांग्ला नई ऊंचाइयां

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
बांग्लादेश में शेख हसीना वाजिद की अपूर्व विजय भारत-बांग्ला संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। यदि हसीना हार जातीं और खालिदा ज़िया जीत जातीं तो वह पाकिस्तान के लिए बड़ी खुशखबरी होती, क्योंकि खालिदा ने सत्ता में रहते हुए और उसके बाद बांग्लादेश के उन तत्वों से हाथ मिलाये रखा, जो कट्टरपंथी इस्लामिक थे, जो पाकिस्तान के अंध-समर्थक थे और जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी के संग्राम का भी विरोध किया था। उनके विपरीत हसीना ने भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने की हरचंद कोशिश की है। इस चुनाव में वे तीसरी बार लगातार जीती हैं और सबसे मजेदार बात यह हुई कि विरोधी दलों के गठबंधन ने कोई भी भारत-विरोधी मुहीम नहीं चलाई, जैसा कि पिछले चुनावों में होता रहा है। भारत ने भी किसी भी प्रकार से चुनाव में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। हसीना ने बांग्लादेश में बन रहे आतंकवादी अड्डों को नष्ट किया, जिससे भारत को राहत मिली। उन्होंने पूर्वी सीमांत पर आतंक फैलानेवाले अनूप चेतिया को पकड़कर भारत के हवाले किया। वे चीन के साथ अपने संबंध घनिष्ट जरुर बना रही हैं। उन्होंने बर्मा के लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को चीन की पहल पर शरण देकर चीन-बांग्ला संबंधों में घनिष्टता उत्पन्न की लेकिन वे भारत और बांग्लादेश के बीच नए-नए थल और रेल मार्ग खोलने पर भी उत्साहपूर्वक कार्य कर रही हैं। दोनों देशों के बीच गैस की पाइपलाइन भी डल रही हैं। बांग्ला-छात्रों को अब तीन साल का और वरिष्ठ नागरिकों को पांच साल का वीजा देकर भारत अपने इस पड़ौसी देश के लिए विशेष सुविधा पैदा कर रहा है। भारत के पूर्वी पड़ौसियों में हर प्रकार का सहयोग ‘बिम्सटेक’ संगठन के माध्यम से बढ़ाने में बांग्लादेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है। दक्षेस की बैठकों में भी लगभग सभी प्रमुख मुद्दों पर भारत और बांग्लादेश का रवैया एक जैसा ही होता है। फरक्का बांध और सीमा के विवाद भी सुलझ चुके हैं। उम्मीद है कि तीस्ता-जल विवाद भी शीघ्र ही सुलझ जाएगा। हसीना ने अपने पिछले दस साल के कार्यकाल में नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय में तिगुनी वृद्धि कर दी है। इसके अलावा बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति की रफ्तार भारत और पाकिस्तान से भी ज्यादा रही है। शेख हसीना अपने महान पिता शेख मुजीब के चरण-चिन्हों पर चलती हुईं बांग्लादेश को एक धर्म-निरपेक्ष, समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कटिबद्ध हैं।

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