किस दिशा में जा रही है टीम इंडिया

देवेन्द्र शर्मा

इंग्लैण्ड से टेस्ट सीरीज हारने के बाद इंडिया अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से वन डे सीरीज भी हार गया। इंडिया ने भले ही तीसरा और अंतिम वन डे जीत अपनी लाज बचा ली हो लेकिन इतना तो तय है कि भारतीय टीम का सितारा इस समय डूबा हुआ है। इंडिया टीम अपनी दिशा से भटक गई है। एक समय था जब इंडिया को उसके घर में हराना एक टेढ़ी खीर माना जाता था लेकिन आज इंडिया के शेर अपने ही घर में ही ढेर हो रहे है। इंडिया का मजबूत दिखने वाला बल्लेबाजी क्रम अपनी ताश के पत्तों की तरह ढेर हो रहा है, गेंदबाज विकेट लेने में कम रन लुटाने में ज्यादा व्यस्त है। फील्डर के हाथों से कैच टपक रहे है। धोनी कप्तान के रूप में बार-बार विफल साबित हो रहे है। लगातार फ्लॉप हो रहे बल्लेबाजों को वह पिच पर टिके रहने की प्रेरणा नहीं दे रहे है। वे गेंदबाजों का उपयोग भी उस चतुराई से नहीं कर पाए जिस तरह से मिस्बाह उल हक ने किया। दूसरे मैच में पाकिस्तान द्वारा दिए गए 251 रनों के लक्ष्य को भारत अगर हासिल नहीं कर पाया तो उसके जिम्मेदार वे खुद भी हैं। धोनी खुद फार्म में होते हुए छठवें नंबर पर उतरे जबकि युवराज को उन्होंने चौथे नंबर पर भेजा जो उनके लिए उल्टा साबित हुआ। दिल्ली में हुए तीसरे और अंतिम वनडे मैच में भारतीय टीम की दशा और दिशा तय होनी थी। यह बात तय थी कि टीम इंडिया अगर यह मैच भी गंवा देती है तो इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज में टीम में कई अहम बदलाव देखने को मिलेंगे। कई सीनियर खिलाडिय़ों की किस्मत इस मैच से जुड़ी हुई थी। ऐसे में इन खिलाडिय़ों के सामने एक ही रास्ता है या तो अच्छा प्रदर्शन करो या फिर टीम से बाहर जाओ। पर टीम इंडिया ने इस मैच में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाक के जबड़े से मैच छीन लिया। इस जीत की वजह से चयनकर्ताओं ने टीम में ज्यादा परिवर्तन नहीं किये वरना काफी खिलाडिय़ों पर गाज गिरना तय थी। सहवाग की टीम इंडिया से छुट्ïटी की गई, लेकिन यहां सवाल यह उठता है जब गंभीर, रोहित भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे है तो गाज सिर्फ सहवाग पर ही क्यों गिराई गई। सहवाग पाक के खिलाफ 4 व 31 रन बना सके। इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में उनके स्कोर 30 व 9 (मुंबई), 23 व 49 (कोलकाता) और 0 (नागपुर) रहे थे। लेकिन गंभीर की पिछली पारियों पर नजर ड़ाले तो उन्होंने पाक के विरुद्ध 8 व 11 रन बनाए। इंग्लैंड के खिलाफ उनकी पारियां 4 व 65 (मुंबई), 60 व 40 (कोलकाता) और 37 (नागपुर) रहीं तो फिर गंभीर को जीवनदान क्यों दिया गया। टीम इंडिया का लगातार का हार का कारण आईपीएल तो नहीं या फिर अत्यधिक क्रिकेट के चलते टीम इंडिया थक गई है। क्या ये वहीं विश्व विजेता टीम है जिसने 2011 में वल्र्ड कप जीता था। आज कप्तानी के मोर्चे पर भारतीय टीम में खिलाडिय़ों की कमी है। आप प्रयोग के लिए किसी को कप्तान बना दें, लेकिन वो लंबे दौर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। कोच की बात करें, तो वर्षों बाद भारतीय टीम को ऐसा कोच मिला है, जिसे अच्छे या बुरे किसी भी वजह से सुर्खियां नहीं मिल रही हैं। भारतीय टीम डंकन फ्लेचर के कारण कुछ नया कर पा रही है। ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। यहाँ भी विदेशी कोच को लेकर बीसीसीआई की जिद समझ में नहीं आती। भारत को कप्तान के साथ-साथ ऐसे कोच की भी आवश्यकता है, जो कड़े फैसले कर सके। भले ही शुरुआत में उसका फल नहीं मिले, लेकिन अगर फैसला सही हुआ, तो देर-सबेर नतीजा तो निकलेगा ही। भारतीय क्रिकेट को पटरी पर लाना है तो सबसे पहले टीम में चल रही गुटबाजी और राजनीति को खत्म करना होगा। टीम को एकजुट होकर खेलना होगा। खिलाड़ी अपने लिए नहीं बल्कि टीम के लिए खेले ताकि हमारे ये शेर घर में भी शेर बने तथा बाहर भी शेर बने।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,715 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress