प्रवक्ता न्यूज़

जूते खाने वालों में गृहमंत्री चिदंबरम दूसरे भारतीय – जयराम ‘विप्लव’

chidambaramजूते खाने वालों में गृहमंत्री पी चिदंबरम दूसरे भारतीय हस्ती बन गए हैं। कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कोंफ्रेंस के दौरान दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने गृह मंत्री के ऊपर जूता चला दिया। हालाँकि बुश की तरह गृहमंत्री भी अपनी फुर्ती से बच गए। करनैल सिंह ने मीडिया को बताया कि “उसे कांग्रेस से कोई नाराजगी नही है। लेकिन चुनाव से पहले जिस तरह से लोगों को सी बी आई क्लीन चिट दे रही है वो ग़लत है और इसी को लेकर गृहमंत्री पर जूता फेंका। भले ही मेरा तरीका एक पत्रकार होने के नाते ग़लत था। पर, मुझे अफ़सोस नही है। “दरअसल, कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इस दौरान ८४ के सिख दंगो के ऊपर चर्चा होने लगी। सवाल – जवाब के दौरान बढती गहमा-गहमी के बीच पेशे से पत्रकार जरनैल सिंह ने विरोध जताते हुए गृहमंत्री चिदंबरम के ऊपर जूता चला दिया। चिदंबरम का नाम जूते खाने वाले भारतीयों में दूसरे और विश्व स्तर पर चौथे चर्चित व्यक्ति हैं। इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ‘जोर्ज बुश’, चीन के प्रधान मंत्री ‘वेन जिअवाओ’ और बुकर सम्मान प्राप्त ‘अरुंधती राय’ के साथ ऐसी घटना हो चुकी है। इसी साल १३ फ़रवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी में AISA द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अरुंधती राय को जूते खाने वालों की पंक्ति में शुमार होना पड़ा था। “युवा” नाम से बैनर लिए लग-भाग विद्यार्थिओं ने कश्मीर को पाकिस्तान को दिए जाने की वकालत करने के विरोध में जमकर नारेबाजी की। YUVA- yoth unity for vibrant action। का विरोध मुख्यतः पिंक चड्डी के खिलाफ था। उन्होंने अरुंधती रॉय के उस बयान का पुरजोर खंडन किया जिसमे उन्होनो कहा था की कश्मीर, पाकिस्तान को दे देना चाहिए। अजमल कसब के मामले पे उनकी की गई टिपण्णी से भी युवा के कार्यकर्ता नाराज़ दिखे। विवेकानान्द मूर्ति के सामने ऐसे देशद्रोही का बैठना गंवारा नही था। तभी “युवा” कार्यकर्त्ता आशिफ ने अरुंधती राय के ऊपर जूता चला दिया जिसे बाद में १९ फ़रवरी को जंतर मंतर पर १ लाख ११ हजार रूपये में नीलम कर दिया गया था।

फिलहाल, गृहमंत्री के ऊपर जूता फेंके जाने से नेतागण सकते में हैं। मीडिया में इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई है कि क्या विरोध का यह तरीका उचित है?  विरोध का यह तरीका कितना उचित है यह तो अलग मुद्दा है लेकिन नायाब जरुर कही जा सकती है। चुनावों के इस मौसम में नेताओ को सबसे ज्यादा खतर इन जूते से ही तो है। क्या पता कौन सा विरोधी कब जूते से वार कर दे?  जो भी हो विरोध के सारे तरीको पर जूता फेंकना भारी पड़ता दिख रहा है।