राजनीति

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सोनिया कांग्रेस में अन्तर को समझना होगा

 डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

सोनिया कांग्रेस की गतिविधियों, उसके कार्यक्रमों और भारतीयता अथवा हिन्दुत्व के प्रति उसके एजेंडा को लेकर पिछले कुछ अर्से से व्यापक चर्चा हो रही है। खास कर जब से विकीलीक्स ने इस बात का खुलासा किया है कि सोनिया कांग्रेस की दृष्टि में भारत को खतरा इस्लामी आतंकवादियों या फिर लकरे तोयबा जैसे संगठनों से नहीं है बल्कि भारत को खतरा गुस्से मे आ रहे हिन्दुओं से है। सोनिया कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत और भारत की पहचान भारतीयता को ही प्रिनत किया है। दरअसल सोनिया कांग्रेस की एक टीम जिसके मुखिया दिग्विजय सिंह है, ने एक सोची समझी योजना के अन्तर्गत भारत में हो रहे आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों और पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों को क्लीन चिट देने का सिलसिला भी शुरू किया है और भारत में पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहे इस छद्म युद्व में पाकिस्तान को पाक साफ बताते हुए भारतीय अथवा हिन्दुओं को ही आतंकवादी घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराना भी शुरू कर दिया है, उससे लगता है कि है किसी सिरफिरे प्रलाप नहीं बल्कि किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है।

 

इस साजिश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम का प्रयोग लोगों को धोखा देने के लिए किया जा रहा है। जबिक असलियत यह है कि सोनिया कांग्रेस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से कोई सम्बन्ध नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का इतिहास उसके जन्म से लेकर 1998 तक एक प्रकार से भारत की राष्ट्रीय धरोहर है इस इतिहास में लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, सरोजनी नायडू, जवाहर लाल नहरू, सुभाष चन्द्र बोस, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, डॉ0 जाकिर हुसैन लाल बहादुर शास्त्री इन्दिरा गांधी, नरसिम्हाराव इत्यादि अनेक महानुभावों का नाम भी शुमार है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अन्तिम अध्यक्ष सीताराम केसरी हुए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचारों से सहमत या असहमत हुआ जा सकता है। परन्तु इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता की इस संगठन का देश को विदेशी शासन से मुक्त करवाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इसने भारत की मूल पहचान को लेकर कभी कोई प्रश्न खड़ा नहीं किया।

सोनिया कांग्रेस एक बिल्कुल अलहदा राजनैतिक दल है जिसका गठन 1998 में किया गया लेकिन दुर्भाग्य से सोनिया गांधी और उसके योजनाकारों ने इतनी हिम्मत नहीं दिखाई की वे इस नये राजनैतिक दल की घोषणा भारत के लोगों के सामने स्पष्ट रूप से करते और अपने इस नये राजनैतिक दल का एजेंडा भी भारत के लोगों को स्पष्ट रूप से बताते। इसके विपरीत एक बड़े षड्यंत्र के अन्तर्गत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तंत्र पर कब्जा करने की योजना बनाई गई। इस योजना का अहम हिस्सा था कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी को किसी ढंग से बलपूर्वक अपदस्थ करके मुख्यालय पर कब्जा कर लिया जाये।

इसके लिए सोनिया गांधी और उसके योजनाकारों ने कांग्रेस कार्यकारणी के कुछ सदस्यों को अपने साथ मिलाने की योजना बनाई। हो सकता है कि इसके पीछे चर्च का हाथ हो या कुछ ऐसी शक्तियों को हाथ हो जो भारत को अस्थिर करना चाहती है और उसको कई हिस्सों में तोड़ने का प्रयास कर रही है। सोनिया गांधी और उसके योजनाकारों के इस षड्यंत्र में साथ देने के लिए ए0के0 एंटोनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, विंसेट जार्ज के अतिरिक्त शरद पवार भी शामिल हुए। यह ध्यान में रखना चाहिए कि चर्च एक लम्बे अरसे से शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाने के प्रयासों में लगा हुआ है। 5 मार्च 1998 को जैसे ही कांग्रेस कार्यकारणी की मीटिंग हुई घर के इन भेदियों ने सोनिया गांधी से प्रार्थना की की वे कांग्रेस संसदीय दल का नेता मनोनीत करें। सीताराम केसरी संसदीय दल के नेता थे। 9 मार्च 1998 को सीताराम केसरी और दूसरे कांग्रेसी सोनिया गांधी की इस साजिश को समझ गये कि सोनिया के नेतृत्व में 57 लोगों का एक समूह भारत के सबसे पुराने राजनैतिक दल को समाप्त करके उसके नाम की आड़ मे ही एक नया राजनैतिक दल खड़ा करना चाह रहे हैं। उन्होंने तुरन्त देश भर के कांग्रेसियों को इस षड्यंत्र से वाकिफ करवाने के लिए यह घोषणा कर दी की वे ऑल इण्डिया कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन बुलाकर उसमें अपना त्यागपत्र प्रस्तुत कर देंगे और कांग्रेसियों को आगे का रास्ता चुनने के लिए कहेंगे। ध्यान रहे सीताराम केसरी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विधिवत चुने हुए अध्यक्ष थे। ए0आई0 सी0सी0 में पूरे दो भर से एक हजार से भी ज्यादा प्रतिनिधि होते हैं। केसरी के इस निर्णय से सोनिया गांधी और उसके योजनाकार और उनकी सहायता कर रहे एंटनी अहमद और गुलाम नबी इत्यादि सकते में आ गये। तुरन्त योजना को नया रूप दिया गया 14 मार्च 1998 को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर कार्यकारिणी की बैठक में प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस के संविधान का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण स्थिति पैदा हो गई है। इस स्थिति में सीताराम केसरी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाया जाता है। तुरन्त जितेन्द्र प्रसाद ने खड़े होकर घोषणा की कि सोनिया गाधी को नया अध्यक्ष बनाया जाता है। अभी सीताराम केसरी कुछ समझ पाते तब तक सोनिया गाधी के विशेष सुरक्षा दस्ते ने कांग्रेस मुख्यालय को घेर लिया मीडिया का एक सेक्शन शायद पहले ही इस षड़यंत्र को जानता था या उसके कुछ लोग उसमें भामिल थे। क्योंकि तुरन्त मीडिया एक दो समूहों ने अतिरिक्त उत्साह से सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के औचित्य को सिद्ध किया। जबिक कांग्रेस सविधान ने कांग्रेस के अध्यक्ष को कार्यकारणी नहीं हटा सकती। यह स्थिति कुछ इसी प्रकार की थी जैसे किसी देश में सेना के कुछ अधिकारी सेना की सहायता से सत्ता के मुख्यालय पर कब्जा कर लेते है और नीचे के अपरेटस स्वत्ता नयी व्यवस्था के अनुसार चलना भी शुरू हो जाता है। क्योंकि यह सत्ता परिवर्तन असंवैधानिक होता है इसलिए कुछ देश नयी सरकार को मान्यता नहीं भी देते। लगभग यही स्थिति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ हुई थी जिसमें सोनिया गांधी ने अपने कुछ सहायकों की सहायता से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था और स्वयं को इस राजनैतिक दल का अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था। यह कुछ इसी प्रकार का मुसोलिनी टाईप फासीवादी प्रयोग था जिसमें पहले किसी की हत्या की जाती है और बाद में उसी व्यक्ति के शरीर में किसी दूसरी आत्मा का प्रवेश करवाया जाता है। दार्क काया देख कर उसे वही आदमी मानते हैं जबिक उसके भीतर कोई दूसरा छिपा बैठा होता है। चुनाव आयोग को चाहिए था कि इस घटनाक्रम के तुरन्त बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर देता और सोनिया कांग्रेस को नये राजनैतिक दल के रूप में पंजीकरण करवाने के लिए कहता। परन्तु दुर्भाग्य से चुनाव आयोग अपन कर्तव्य से चुक गया।

सोनिया कांग्रेस भारत में अपने जिस एजेंडे को लागू कर रही है उसको इस पूरी पृष्ठभूमि में समझना आसान हो सकता है। जिन शक्तियों ने इस नये राजनैतिक दल को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जाहिर है की वे शक्तियां इस देश की पहचान से मुतफिक नहीं हैं। इस देश की पहचान अब्दुल रहमान अंतुले, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, विंसेट जार्ज और दूसरे ऐसे ही कुनबे से नहीं बनी है बल्कि इस देश की पहचान हिन्दुत्व के इस राष्ट्र प्रवाह से बनी है जिसे पूरे विश्व में भारत का पर्यायवाची माना जाता है। सोनिया कांग्रेस अपने दिग्विजयों, अजीज बर्नियों के माध्यम से इसी पहचान को मिटाने का प्रयास कर रही हैं। इस प्रयास में सोनिया कांग्रेस के साथ साथ कुछ दूसरी शक्तियां भी लगी हुई हैं। गुलाम नबी फाई और उसके आका अमेरिका में बैठ कर यह काम कर रहे हैं। ओपस दाई स्पेन में बैठ कर यही काम कर रही है। दुर्भाग्य से सोनिया कांग्रेस का एजेंडा इन भारत विरोधी शक्तियों से मेल खा रहा है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और भी कि सोनिया कांग्रेस यह सब काम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम से कर रही है जो देश से भी धोखा है और इतिहास से भी।